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जानें क्या है आईएसओ सर्टिफाइड श्मशान घाट, जहां मिलती है हर सुविधा

होशंगाबाद के इटारसी में मौजूद है आईएसओ सर्टिफाइड श्मशान घाट, जहां आधुनिक सुविधा के अलावा पर्यावरण संरक्षण और पुस्तकालय आदि की सुविधाओं के साथ निर्धनों के लिए निःशुल्क दाह संस्कार की सुविधा भी है, इस खास रिपोर्ट में जानें आईएसओ सर्टिफाइड श्मशान घाट के बारे में..

सर्टिफाइड श्मशान घाट
सर्टिफाइड श्मशान घाट
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Published : Nov 5, 2020, 2:25 PM IST

होशंगाबाद : हमारे देश भारत के साथ ही दुनिया के तकरीबन 150 देशों में उच्च दर्जे के होटल, रेस्टोरेंट सहित हॉस्पिटल जैसे संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर आईएसओ (International Organization for Standardization) प्रमाणित किया जाता है, लेकिन आईएसओ ने कुछ साल पहले श्मशान घाटों को वहां की सुविधाओं के अनुसार प्रमाणित करना शुरू किया है. ऐसा ही एक श्मशान घाट होशंगाबाद जिले के इटारसी शहर में भी मौजूद है.

सर्टिफाइड श्मशान घाट

देश का पहला आईएसओ सर्टिफाइड श्मशान घाट होने का दावा

2010-11 में बने इस श्मशान घाट को 2011 में ही आईएसओ प्रमाणित किया गया. ये श्मशान घाट अपनी खूबसूरती और आधुनिक सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है, जोकि होशंगाबाद के इटारसी में मौजूद है. इसे शहर में शांति धाम नाम से जाना जाता है. यहां आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, जो अमूमन एक श्मशान घाट में देखने को नहीं मिलती हैं. इस शांति धाम के संचालक इसे भारत का पहला ISO प्रमाणित श्मशान घाट होने का दावा भी करते हैं.

अंतिम संस्कार के तरीके ने दिलाया सर्टिफिकेट

शांति धाम का पिछले कई सालों से रखरखाव करते आ रहे समाजसेवी प्रमोद पगारे बताते हैं कि आईएसओ सर्टिफिकेट अंतिम संस्कार की पद्धति में परिवर्तन के चलते मिला है. आमतौर में अंतिम संस्कार में करीब तीन से चार क्विंटल तक जलाऊ लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन यहां केवल दो से ढाई क्विंटल लकड़ी में ही अंतिम संस्कार हो जाता है. साथ ही यहां पर पेड़ों की कटाई और लकड़ी के बचाव के लिए केवल गोबर के कंडे से ही अंतिम संस्कार की सुविधा दी जाती है. लकड़ी का उपयोग मात्र मानक रूप में किया जाता है.

आधुनिक बैठक हॉल, गार्डन और पुस्तकालय

इटारसी के इस श्मशान घाट में आधुनिक व्यवस्था सहित पुस्तकों का संग्रहण किया गया है, जिसे यहां शव यात्रा में आने वालों के पढ़ने के लिए दिया जाता है. इसके अलावा यहां आधुनिक श्रद्धांजलि हॉल सहित कई बगीचों का निर्माण किया गया है, जहां दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी रोपे गए हैं, यहां मॉर्निंग वॉक और योग के लिए शहर के लोग भी सुबह शाम पहुंचते हैं.

बगिया में ऊगती है सब्जियां

यहां पर खाली पड़ी जमीन पर सब्जियों और फूलों की खेती की जाती है, जिससे मिलने वाली उपज को बाजार में बेचा जाता है. उससे होने वाली इनकम को संस्था के लोग इसी के रखरखाव में लगाते हैं. यही कराण है कि साल 2011 से इस श्मशान घाट की गुणवत्ता बरकरार है.

समुद्र के साथ पवित्र नदिया के जल का संग्रहण

अंतिम क्रिया में उपयोग होने वाली सभी सामग्री यहां आसानी से मिल जाती है, इसके साथ ही यहां समुद्र के जल सहित अन्य पवित्र नदियों के जल का संग्रहण भी किया गया है. अस्थि कलश को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर की सुविधा भी दी जाती है. सबसे खास बात यह है कि यहां के प्रबंधन की कोशिश होती है कि वह ज्यादा से ज्यादा सामग्रियों को रिसायकल कर पाएं.

भ्रमण के लिए विदेशों से आते हैं लोग

इटारसी के इस श्मशान घाट को देखने के लिए विदेश से लोग आ चुके हैं, जिसमें विशेष रूप से रोटरी क्लब के सदस्य हैं, जिनका इसके निर्माण में भी योगदान रहा है. इसका निर्माण कराने वाले प्रमोद पगारे ने बताया कि जर्मनी ,फ्रांस, हॉलैंड सहित अन्य देशों से रोटरी क्लब के सदस्य इसे देखने के लिए आते रहते हैं.

निर्धनों के लिए निःशुल्क सुविधा

इटारसी के इस शमशान घाट में अभी तक 4000 से अधिक लोगों का शवदाह किया जा चुका है. कोरोना काल के दौरान यहां एक दिन में सर्वाधिक 11 अंतिम संस्कार किए गए. जबकी यहां अब तक 8 कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. इसकी खास बात ये है कि यहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निःशुल्क अंतिम संस्कार की सुविधा दी जाता है.

ऐसे होता इसका आईएसओ सर्टिफिकेट नवीनीकरण

इस श्मशान घाट का रखरखाव भी निजी संस्था के सहयोग से नगर पालिका करती है. इस श्मशान घाट को 2011 में ही आईएसओ प्रमाण पत्र मिल चुका है. हालांकि आईएसओ हर तीन साल में प्रमाणित संस्था से नवीनीकरण के लिए प्रस्ताव मांगाता है, जिसके बाद उसका ऑडिट कर उसे नया प्रमाण पत्र दिया जाता है. इटारसी के श्मशान घाट के लिए इटारसी नगर पालिका हर तीन साल में आईएसओ सर्टिफिकेट नवीनीकरण के लिए आवेदन करती है.

यह भी पढ़ें- मानव पर अल्ट्रा वायलेट किरणों और कीटाणुनाशक सुरंगों के इस्तेमाल पर लगाए प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट

क्या है आईएसओ सर्टिफिकेट

अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था (International Organization for Standardization) जिसमें 150 देश सदस्य के रूप में जुडे़ हैं. ये संस्था सामाजिक संस्थाओं सहित उद्योग, कंपनी की जांच करती है और गुणवत्ता के आधार पर सर्टिफिकेट देती है. इसका नवीनीकरण हर तीन साल में किया जाता है. इटारसी के श्मशान घाट को भी इसी संस्था ने यहां मिल रही सुविधाओं के आधार पर सर्टिफाइड किया है.

कब-कब मिला प्रमाण पत्र

2010-11 में बने इस श्मशान घाट को साल 2011 के अंत में ही आईएसओ प्रमाणित किया गया था, उसके बाद लगातार 2015 और 2018 में इटारसी के शांति धाम को आईएसओ प्रमाणित श्मशान घाट होने का तमगा मिलता रहा. आज की तारीख में भी ये श्मशान घाट आईएसओ सर्टिफाइड है.

होशंगाबाद : हमारे देश भारत के साथ ही दुनिया के तकरीबन 150 देशों में उच्च दर्जे के होटल, रेस्टोरेंट सहित हॉस्पिटल जैसे संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर आईएसओ (International Organization for Standardization) प्रमाणित किया जाता है, लेकिन आईएसओ ने कुछ साल पहले श्मशान घाटों को वहां की सुविधाओं के अनुसार प्रमाणित करना शुरू किया है. ऐसा ही एक श्मशान घाट होशंगाबाद जिले के इटारसी शहर में भी मौजूद है.

सर्टिफाइड श्मशान घाट

देश का पहला आईएसओ सर्टिफाइड श्मशान घाट होने का दावा

2010-11 में बने इस श्मशान घाट को 2011 में ही आईएसओ प्रमाणित किया गया. ये श्मशान घाट अपनी खूबसूरती और आधुनिक सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है, जोकि होशंगाबाद के इटारसी में मौजूद है. इसे शहर में शांति धाम नाम से जाना जाता है. यहां आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, जो अमूमन एक श्मशान घाट में देखने को नहीं मिलती हैं. इस शांति धाम के संचालक इसे भारत का पहला ISO प्रमाणित श्मशान घाट होने का दावा भी करते हैं.

अंतिम संस्कार के तरीके ने दिलाया सर्टिफिकेट

शांति धाम का पिछले कई सालों से रखरखाव करते आ रहे समाजसेवी प्रमोद पगारे बताते हैं कि आईएसओ सर्टिफिकेट अंतिम संस्कार की पद्धति में परिवर्तन के चलते मिला है. आमतौर में अंतिम संस्कार में करीब तीन से चार क्विंटल तक जलाऊ लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन यहां केवल दो से ढाई क्विंटल लकड़ी में ही अंतिम संस्कार हो जाता है. साथ ही यहां पर पेड़ों की कटाई और लकड़ी के बचाव के लिए केवल गोबर के कंडे से ही अंतिम संस्कार की सुविधा दी जाती है. लकड़ी का उपयोग मात्र मानक रूप में किया जाता है.

आधुनिक बैठक हॉल, गार्डन और पुस्तकालय

इटारसी के इस श्मशान घाट में आधुनिक व्यवस्था सहित पुस्तकों का संग्रहण किया गया है, जिसे यहां शव यात्रा में आने वालों के पढ़ने के लिए दिया जाता है. इसके अलावा यहां आधुनिक श्रद्धांजलि हॉल सहित कई बगीचों का निर्माण किया गया है, जहां दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी रोपे गए हैं, यहां मॉर्निंग वॉक और योग के लिए शहर के लोग भी सुबह शाम पहुंचते हैं.

बगिया में ऊगती है सब्जियां

यहां पर खाली पड़ी जमीन पर सब्जियों और फूलों की खेती की जाती है, जिससे मिलने वाली उपज को बाजार में बेचा जाता है. उससे होने वाली इनकम को संस्था के लोग इसी के रखरखाव में लगाते हैं. यही कराण है कि साल 2011 से इस श्मशान घाट की गुणवत्ता बरकरार है.

समुद्र के साथ पवित्र नदिया के जल का संग्रहण

अंतिम क्रिया में उपयोग होने वाली सभी सामग्री यहां आसानी से मिल जाती है, इसके साथ ही यहां समुद्र के जल सहित अन्य पवित्र नदियों के जल का संग्रहण भी किया गया है. अस्थि कलश को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर की सुविधा भी दी जाती है. सबसे खास बात यह है कि यहां के प्रबंधन की कोशिश होती है कि वह ज्यादा से ज्यादा सामग्रियों को रिसायकल कर पाएं.

भ्रमण के लिए विदेशों से आते हैं लोग

इटारसी के इस श्मशान घाट को देखने के लिए विदेश से लोग आ चुके हैं, जिसमें विशेष रूप से रोटरी क्लब के सदस्य हैं, जिनका इसके निर्माण में भी योगदान रहा है. इसका निर्माण कराने वाले प्रमोद पगारे ने बताया कि जर्मनी ,फ्रांस, हॉलैंड सहित अन्य देशों से रोटरी क्लब के सदस्य इसे देखने के लिए आते रहते हैं.

निर्धनों के लिए निःशुल्क सुविधा

इटारसी के इस शमशान घाट में अभी तक 4000 से अधिक लोगों का शवदाह किया जा चुका है. कोरोना काल के दौरान यहां एक दिन में सर्वाधिक 11 अंतिम संस्कार किए गए. जबकी यहां अब तक 8 कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. इसकी खास बात ये है कि यहां आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निःशुल्क अंतिम संस्कार की सुविधा दी जाता है.

ऐसे होता इसका आईएसओ सर्टिफिकेट नवीनीकरण

इस श्मशान घाट का रखरखाव भी निजी संस्था के सहयोग से नगर पालिका करती है. इस श्मशान घाट को 2011 में ही आईएसओ प्रमाण पत्र मिल चुका है. हालांकि आईएसओ हर तीन साल में प्रमाणित संस्था से नवीनीकरण के लिए प्रस्ताव मांगाता है, जिसके बाद उसका ऑडिट कर उसे नया प्रमाण पत्र दिया जाता है. इटारसी के श्मशान घाट के लिए इटारसी नगर पालिका हर तीन साल में आईएसओ सर्टिफिकेट नवीनीकरण के लिए आवेदन करती है.

यह भी पढ़ें- मानव पर अल्ट्रा वायलेट किरणों और कीटाणुनाशक सुरंगों के इस्तेमाल पर लगाए प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट

क्या है आईएसओ सर्टिफिकेट

अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संस्था (International Organization for Standardization) जिसमें 150 देश सदस्य के रूप में जुडे़ हैं. ये संस्था सामाजिक संस्थाओं सहित उद्योग, कंपनी की जांच करती है और गुणवत्ता के आधार पर सर्टिफिकेट देती है. इसका नवीनीकरण हर तीन साल में किया जाता है. इटारसी के श्मशान घाट को भी इसी संस्था ने यहां मिल रही सुविधाओं के आधार पर सर्टिफाइड किया है.

कब-कब मिला प्रमाण पत्र

2010-11 में बने इस श्मशान घाट को साल 2011 के अंत में ही आईएसओ प्रमाणित किया गया था, उसके बाद लगातार 2015 और 2018 में इटारसी के शांति धाम को आईएसओ प्रमाणित श्मशान घाट होने का तमगा मिलता रहा. आज की तारीख में भी ये श्मशान घाट आईएसओ सर्टिफाइड है.

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