हमीरपुर: क्या आपका बच्चा भी गुमसुम रहने लगा है और हमेशा मोबाइल फोन में खोया रहता है, तो ये इशारा है एक गंभीर बीमारी का. अगर आपका बच्चा भी एकदम से बोलना बंद कर देता है और परिवार वालों की बातों पर ध्यान नहीं देता तो अभी वक्त है सावधान होने का, क्योंकि आपका बच्चा भी कहीं ऑटिस्टिक और एडीएचडी जैसी बीमारियों का शिकार तो नहीं हो रहा है. इन बीमारियों में बच्चों की बोलने की क्षमता कमजोर हो रही है. डेढ़ से ढाई साल की आयु के बच्चों में ये बीमारी सबसे ज्यादा सामने आ रही है.
हमीरपुर में सामने आए दो मामले: हमीरपुर जिले के अंतगर्त आयुष अस्पताल हमीरपुर में दो ऐसे मामले सामने आए हैं. जिसमें बच्चे ऑटिस्टिक और हाइपरएक्टिविटी से ग्रस्त हैं. इन मामलों में बीमारी से ग्रसित बच्चे पहले तो जन्म के 8-9 महीने के बाद बोलना तो शुरू कर देते हैं, लेकिन कुछ ही समय के बाद एकदम से बोलना बंद कर देते हैं. इतना ही नहीं यह बच्चे परिवार वालों की बातों पर ध्यान देना बंद कर देते हैं.
मोबाइल के कारण बच्चे हो रहे बीमार: आयुष अस्पताल हमीरपुर में ऑटिस्टिक, एडीएचडी (बोलने की क्षमता का कम होना), सीजर डिसऑर्डर (दौरे पड़ना) और हाइपरएक्टिविटी से जुड़े 15 केस पिछले एक साल में सामने आए हैं, जिनमें 2 मामले सीधे तौर पर मोबाइल के इस्तेमाल से जुड़े हुए थे. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों का ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करना उन्हें बीमार कर रहा है, क्योंकि मोबाइल के कारण इन बच्चों का मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है. जिससे बच्चे ऑटिस्टिक और एडीएचडी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं. जिसके बाद बच्चे अचानक बोलना बंद कर देते हैं और दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देते, केवल खुद में ही खोए खोए रहते हैं. वहीं, मोबाइल के ज्यादा यूज से बच्चों के देखने और सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है.
क्या बोले परिजन?: आयुष अस्पताल हमीरपुर में ऑटिस्टिक की बीमारी से ग्रस्त बच्चे की माता ने बताया कि उन्होंने 6 महीने की उम्र में ही बच्चे को फोन दे दिया था. जिसके बाद जैसे जैसे बच्चा बड़ा हुआ उसने सबसे बोलना बंद कर दिया और परिवार वालों की बातों पर ध्यान देना भी पूर तरह से बंद कर दिया. पीजीआई चंड़ीगढ़ में दिखाने पर चिकित्सकों ने उन्हें बच्चे से फोन छुड़वाने की सलाह दी. दूसरे मामले में हाइपरएक्टिविटी और ऑटिज्म के शिकार बच्चे की माता ने बताया कि उनका बच्चा ना तो किसी से बात करता था, ना ही वह एक जगह टिक कर बैठता था. बल्कि हमेशा हाइपर ही रहता था. इसके अलावा वह किसी की बातों पर बिलकुल ध्यान नहीं देता था. दोनों बच्चों का आयुष अस्पताल हमीरपुर में पंचकर्म पद्धति से उपचार हो रहा है.
पंचकर्म पद्धति से हो रहा इलाज: आयुष अस्पताल हमीरपुर की एमडी और बाल विशेषज्ञ डॉ. मनु गौतम ने बताया कि पंचकर्म पद्धति द्वारा सभी प्रकार के रोगों का उपचार किया जा रहा है. पंचकर्म थेरेपी के इस्तेमाल से ऑटिस्टिक, एडीएचडी, सीजर डिसऑर्डर और हाइपरएक्टिविटी जैसी जटिल बिमारियों को भी ठीक किया जा रहा है. इसमें शिरोधारा, नस्य, शिरो अभ्यंग और सृष्टि शाली अभ्यंग द्वारा पंचकर्म से रोगों का उपचार किया जा रहा है. पंचकर्म विधि द्वारा उपचार होने के बाद बच्चों ने बोलना बंद शुरू दिया है और दूसरों की बातों पर ध्यान भी देने लगे हैं.
डॉक्टर्स की अभिभावकों को सलाह: ऑटिस्टिक की समस्या दसअसल डेढ़ से ढाई साल के बच्चों में ज्यादा पाई जा रही है. ऑटिस्टिक में बच्चे सबसे अलग होकर खोये-खोये रहते हैं. आयुष अस्पताल की एमएस डॉ. सुनीता भारती ने बताया कि अस्पताल में ऑटिस्टिक, एडीएचडी, सीजर डिसऑर्डर जिसमें अकसर दौरे पड़ते हैं और हाइपरएक्टिविटी जैसी बीमारयों से ग्रसित बच्चे पहुंच रहे हैं. कई बच्चे हाइपरएक्टिव होते हैं और आराम से एक जगह नहीं बैठते और साथ ही ये बच्चे बोल भी नहीं पाते हैं. डॉ. सुनीता भारती ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों को कम से कम मोबाइल फोन दें और उन्हें दूसरी एक्टिविटी में शामिल करें.
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