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क्या पंजाब की सत्ता पाने के लिए काफी है महिलाओं को 1000 रुपये देने का वादा ?

अरविंद केजरीवाल ने चुनाव से पहले महिलाओं को एक हजार रुपये देने का वादा कर 'हुक्म का इक्का' फेंक दिया है. इसके जवाब में अन्य राजनीतिक दल भी ऐलान करेंगे. मगर क्या पंजाब में सत्ता हासिल करने के लिए मुफ्त वाली राजनीति की घोषणा काफी है या आम आदमी पार्टी को कुछ राजनीतिक फैसले भी जरूरी होंगे.

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Published : Nov 22, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 5:20 PM IST

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab

हैदराबाद : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पंजाब मिशन पर हैं. उन्होंने सोमवार को मोगा में 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 1000 रुपये देने का ऐलान कर दिया. बिजली और हेल्थ स्कीम के बाद अरविंद केजरीवाल ने महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश की. इससे पहले 1977 से 2012 तक हुए अलग-अलग चुनावों में जब-जब महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा, उनमें से अधिकतर मौकों पर इसका नुकसान कांग्रेस और फायदा शिरोमणि अकाली दल-भाजपा को हुआ. मगर इस बार राजनीतिक तस्वीर बदली- बदली है. पंजाब में गठबंधन के खिलाड़ी बदल चुके हैं.

त्रिकोणीय नहीं रहेगा पंजाब का विधानसभा चुनाव : पिछले तीन महीनों में पंजाब की राजनीति में काफी उथल-पुथल हुई. कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री के तौर पर गद्दी सौंपी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने नए सीएम के खिलाफ भी मोर्चा खोला. अकाली दल भी बसपा के गठजोड़ के बाद काफी जोश में रहा. कुर्सी जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाई. भाजपा को पंजाब में चुनाव से पहले नया पार्टनर मिल गया. आम आदमी पार्टी ने विवाद से दूर रहते हुए अपनी जमीन पुख्ता की. इस बीच केंद्र सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस लेकर नया कार्ड खेल दिया. अब यह माना जा रहा है कि पंजाब की लड़ाई त्रिकोणीय नहीं रही. अब इसमें चार खिलाड़ी होंगे. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल-बसपा और पंजाब लोक कांग्रेस-बीजेपी.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
पंजाब विधान चुनाव 2022 में होने हैंं.

चुनाव पूर्व हुए सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी रेस में काफी आगे नजर आ रही है. सर्वेक्षणों में 117 सदस्यों वाली विधानसभा में 'आप' बहुमत के करीब दिख रही है. मगर आम आदमी पार्टी के लिए यह राह आसान नहीं है. पार्टी को कई मसले चुनाव से पहले सुलझाने होंगे और उसे मालवा के बाहर भी जीत हासिल करनी होगी.

मालवा से बाहर भी करना होगा बेहतर प्रर्दशन : भौगोलिक और राजनीतिक तौर पर पंजाब तीन इलाकों माझा, दोआबा और मालवा में बंटा हुआ है. माझा में 25, दोआबा में 23 और मालवा में 69 विधानसभा सीटें हैं. राजनीति में मालवा का दबदबा रहा है. अभी तक बने 16 मुख्यमंत्रियों में से 14 मालवा के रहे. इस क्षेत्र में आप के अलावा कांग्रेस और अकाली दल भी मजबूत रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मालवा में 17 सीटें मिली थीं. माझा और दोआबा में पार्टी को सिर्फ 3 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.

पंजाब की राजनीतिक स्थिति का मिल सकता है फायदा : सीएम बदलने के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी खेमे में बंटी है. किसान आंदोनल के दौरान अलग-थलग पड़ी अकाली दल की स्थिति जमीन पर कमजोर हुई. बसपा से गठबंधन के बाद भी दलित वोटर अकाली के पक्ष में नहीं हैं और बीजेपी को वोट देने वाले हिंदू वोटर आम आदमी पार्टी की तरफ तेजी से शिफ्ट हो रहे हैं. जानकार मानते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी कई मुद्दों पर पहले स्टैंड लेती है तो सत्ता में आ सकती है.

सिख सीएम के कैंडिडेट की घोषणा : 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में 23.80 वोट फीसदी के साथ 20 सीटें हासिल की थीं. एक्सपटर्स के मुताबिक, अगर आम आदमी पार्टी सीएम कैंडिडेट की घोषणा कर देते तो पिछले चुनाव में ही पार्टी की स्थिति बेहतर होती. पंजाब चुनाव केजरीवाल के चेहरे पर लड़ा जा सकता है, मगर जीता नहीं जा सकता. अरविंद केजरीवाल को यह मानना होगा कि पंजाब में चुनाव का नेतृत्व कोई सिख ही कर सकता है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी को कैप्टन अमरिंदर, नवजोत सिंह सिद्धू, प्रकाश सिंह बादल और चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारने होंगे.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
भगवंत मान सीएम कैंडिडेट के तगड़े दावेदार हैं, मगर पार्टी उनसे सहमत नहीं दिखती है.

मुफ्त बिजली जैसे वादों की लिस्ट से बना माहौल : अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में 300 यूनिट तक बिजली बिल फ्री करने की घोषणा की थी. जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल ने 400 यूनिट तक फ्री बिजली देने का चुनावी वादा कर दिया. इस पर कांग्रेस की चन्नी सरकार ने 300 यूनिट तक का बिजली का बिल माफ करने का ऐलान कर दिया. इसके बाद लोगों के बीच आम आदमी पार्टी के लिए बेहतर माहौल बना. हेल्थ सेक्टर में केजरीवाल की 6 गारंटी पिंड क्लिनिक, हेल्थ कार्ड और मुफ्त ऑपरेशन के वादे ने भी पंजाब में मुफ्त की राजनीति को बढ़ावा दिया. हर व्यस्क महिला को 1000 रुपये का अनुदान का वादा अन्य सब मुद्दों पर भारी पड़ सकता है.

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2018 में मजीठिया से माफी मांग चुके हैं केजरीवाल.

जो मुद्दे चुनाव में गले की फांस बनेंगे : पंजाब के पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने नशे के मुद्दे को खूब उठाया. अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने के एक महीने के भीतर पंजाब को ड्रग्स फ्री बनाने और ड्रग्स के कारोबार में लिप्त सभी नेताओं को जेल और उनकी संपत्ति भी जब्त करने का वादा किया था. इस दौरान उन्होंने अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर पंजाब में नशा बेचने का आरोप लगाया था. मगर मानहानि केस में फैसले से पहले 2018 में अरविंद केजरीवाल ने ने बिक्रम सिंह मजीठिया को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली थी. अकाली दल और कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में भुना सकती है.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
आप की विधायक रूपिंदर कौर रूबी कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. फाइल फोटो

पुराने विधायकों के पार्टी छोड़ने से बढ़ेगी मुश्किल : पिछले चुनाव में AAP के टिकट पर चुनकर 20 लोग विधायक बने थे. अब चुनाव से पहले 7 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं और अन्य दल में शामिल हो रहे हैं. यानी विधायकों की गिनती 13 पर सिमट गई है. पार्टी छोड़ने वाले 12 विधायकों ने तो पहली बार आप की टिकट पर जीत हासिल की थी. पार्टी छोड़ने वालों में रूपिंदर कौर रूबी, सुखपाल खैरा, जगदेव सिंह कमलू, पीरमल सिंह खालसा, नजर सिंह के नाम भी शामिल है. इन विधायकों में से सुखपाल खैरा दो बार विधायक रह चुके हैं. अगर पुराने विधायक पार्टी से जाते रहे तो उन चुनाव क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी को दिक्कत हो सकती है.

सीएम के चेहरे के लिए पार्टी में गुटबाजी : भगवंत सिंह मान अपने समर्थकों के माध्यम से पार्टी आलाकमान पर खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कराने की कोशिश कर रहे हैं. 2017 में भी उन्होंने सीएम बनने की ख्वाहिश जाहिर की थी, मगर केजरीवाल सहमत नहीं हुए. माना जाता है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान उनका यह रुख पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली को जिम्मेदार ठहराया है. यह मुद्दा आम आदमी पार्टी को मुसीबत में डाल सकती है.

प्रदूषण का मुद्दा बन सकता है गले की हड्डी : पिछले दिनों दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों को किसानों को जिम्मेदार बताया था. बताया गया था कि इन राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली प्रदूषण की चपेट में आया. तब पूरे प्रदेश में कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा ने इसकी आलोचना की. अब चुनाव के दौरान यह मुद्दा गरमा सकता है.

हैदराबाद : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पंजाब मिशन पर हैं. उन्होंने सोमवार को मोगा में 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को 1000 रुपये देने का ऐलान कर दिया. बिजली और हेल्थ स्कीम के बाद अरविंद केजरीवाल ने महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश की. इससे पहले 1977 से 2012 तक हुए अलग-अलग चुनावों में जब-जब महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा, उनमें से अधिकतर मौकों पर इसका नुकसान कांग्रेस और फायदा शिरोमणि अकाली दल-भाजपा को हुआ. मगर इस बार राजनीतिक तस्वीर बदली- बदली है. पंजाब में गठबंधन के खिलाड़ी बदल चुके हैं.

त्रिकोणीय नहीं रहेगा पंजाब का विधानसभा चुनाव : पिछले तीन महीनों में पंजाब की राजनीति में काफी उथल-पुथल हुई. कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री के तौर पर गद्दी सौंपी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने नए सीएम के खिलाफ भी मोर्चा खोला. अकाली दल भी बसपा के गठजोड़ के बाद काफी जोश में रहा. कुर्सी जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाई. भाजपा को पंजाब में चुनाव से पहले नया पार्टनर मिल गया. आम आदमी पार्टी ने विवाद से दूर रहते हुए अपनी जमीन पुख्ता की. इस बीच केंद्र सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस लेकर नया कार्ड खेल दिया. अब यह माना जा रहा है कि पंजाब की लड़ाई त्रिकोणीय नहीं रही. अब इसमें चार खिलाड़ी होंगे. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, अकाली दल-बसपा और पंजाब लोक कांग्रेस-बीजेपी.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
पंजाब विधान चुनाव 2022 में होने हैंं.

चुनाव पूर्व हुए सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी रेस में काफी आगे नजर आ रही है. सर्वेक्षणों में 117 सदस्यों वाली विधानसभा में 'आप' बहुमत के करीब दिख रही है. मगर आम आदमी पार्टी के लिए यह राह आसान नहीं है. पार्टी को कई मसले चुनाव से पहले सुलझाने होंगे और उसे मालवा के बाहर भी जीत हासिल करनी होगी.

मालवा से बाहर भी करना होगा बेहतर प्रर्दशन : भौगोलिक और राजनीतिक तौर पर पंजाब तीन इलाकों माझा, दोआबा और मालवा में बंटा हुआ है. माझा में 25, दोआबा में 23 और मालवा में 69 विधानसभा सीटें हैं. राजनीति में मालवा का दबदबा रहा है. अभी तक बने 16 मुख्यमंत्रियों में से 14 मालवा के रहे. इस क्षेत्र में आप के अलावा कांग्रेस और अकाली दल भी मजबूत रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मालवा में 17 सीटें मिली थीं. माझा और दोआबा में पार्टी को सिर्फ 3 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.

पंजाब की राजनीतिक स्थिति का मिल सकता है फायदा : सीएम बदलने के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी खेमे में बंटी है. किसान आंदोनल के दौरान अलग-थलग पड़ी अकाली दल की स्थिति जमीन पर कमजोर हुई. बसपा से गठबंधन के बाद भी दलित वोटर अकाली के पक्ष में नहीं हैं और बीजेपी को वोट देने वाले हिंदू वोटर आम आदमी पार्टी की तरफ तेजी से शिफ्ट हो रहे हैं. जानकार मानते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी कई मुद्दों पर पहले स्टैंड लेती है तो सत्ता में आ सकती है.

सिख सीएम के कैंडिडेट की घोषणा : 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में 23.80 वोट फीसदी के साथ 20 सीटें हासिल की थीं. एक्सपटर्स के मुताबिक, अगर आम आदमी पार्टी सीएम कैंडिडेट की घोषणा कर देते तो पिछले चुनाव में ही पार्टी की स्थिति बेहतर होती. पंजाब चुनाव केजरीवाल के चेहरे पर लड़ा जा सकता है, मगर जीता नहीं जा सकता. अरविंद केजरीवाल को यह मानना होगा कि पंजाब में चुनाव का नेतृत्व कोई सिख ही कर सकता है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी को कैप्टन अमरिंदर, नवजोत सिंह सिद्धू, प्रकाश सिंह बादल और चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारने होंगे.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
भगवंत मान सीएम कैंडिडेट के तगड़े दावेदार हैं, मगर पार्टी उनसे सहमत नहीं दिखती है.

मुफ्त बिजली जैसे वादों की लिस्ट से बना माहौल : अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में 300 यूनिट तक बिजली बिल फ्री करने की घोषणा की थी. जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल ने 400 यूनिट तक फ्री बिजली देने का चुनावी वादा कर दिया. इस पर कांग्रेस की चन्नी सरकार ने 300 यूनिट तक का बिजली का बिल माफ करने का ऐलान कर दिया. इसके बाद लोगों के बीच आम आदमी पार्टी के लिए बेहतर माहौल बना. हेल्थ सेक्टर में केजरीवाल की 6 गारंटी पिंड क्लिनिक, हेल्थ कार्ड और मुफ्त ऑपरेशन के वादे ने भी पंजाब में मुफ्त की राजनीति को बढ़ावा दिया. हर व्यस्क महिला को 1000 रुपये का अनुदान का वादा अन्य सब मुद्दों पर भारी पड़ सकता है.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
2018 में मजीठिया से माफी मांग चुके हैं केजरीवाल.

जो मुद्दे चुनाव में गले की फांस बनेंगे : पंजाब के पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने नशे के मुद्दे को खूब उठाया. अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने के एक महीने के भीतर पंजाब को ड्रग्स फ्री बनाने और ड्रग्स के कारोबार में लिप्त सभी नेताओं को जेल और उनकी संपत्ति भी जब्त करने का वादा किया था. इस दौरान उन्होंने अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर पंजाब में नशा बेचने का आरोप लगाया था. मगर मानहानि केस में फैसले से पहले 2018 में अरविंद केजरीवाल ने ने बिक्रम सिंह मजीठिया को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली थी. अकाली दल और कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में भुना सकती है.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
आप की विधायक रूपिंदर कौर रूबी कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. फाइल फोटो

पुराने विधायकों के पार्टी छोड़ने से बढ़ेगी मुश्किल : पिछले चुनाव में AAP के टिकट पर चुनकर 20 लोग विधायक बने थे. अब चुनाव से पहले 7 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं और अन्य दल में शामिल हो रहे हैं. यानी विधायकों की गिनती 13 पर सिमट गई है. पार्टी छोड़ने वाले 12 विधायकों ने तो पहली बार आप की टिकट पर जीत हासिल की थी. पार्टी छोड़ने वालों में रूपिंदर कौर रूबी, सुखपाल खैरा, जगदेव सिंह कमलू, पीरमल सिंह खालसा, नजर सिंह के नाम भी शामिल है. इन विधायकों में से सुखपाल खैरा दो बार विधायक रह चुके हैं. अगर पुराने विधायक पार्टी से जाते रहे तो उन चुनाव क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी को दिक्कत हो सकती है.

सीएम के चेहरे के लिए पार्टी में गुटबाजी : भगवंत सिंह मान अपने समर्थकों के माध्यम से पार्टी आलाकमान पर खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कराने की कोशिश कर रहे हैं. 2017 में भी उन्होंने सीएम बनने की ख्वाहिश जाहिर की थी, मगर केजरीवाल सहमत नहीं हुए. माना जाता है कि पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान उनका यह रुख पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

Kejriwal promises Rs 1000 per month for every woman above 18 if AAP wins Punjab
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली को जिम्मेदार ठहराया है. यह मुद्दा आम आदमी पार्टी को मुसीबत में डाल सकती है.

प्रदूषण का मुद्दा बन सकता है गले की हड्डी : पिछले दिनों दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों को किसानों को जिम्मेदार बताया था. बताया गया था कि इन राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली प्रदूषण की चपेट में आया. तब पूरे प्रदेश में कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा ने इसकी आलोचना की. अब चुनाव के दौरान यह मुद्दा गरमा सकता है.

Last Updated : Nov 22, 2021, 5:20 PM IST
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