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क्या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को पेंशन का अधिकार है?

मद्रास उच्च न्यायालय में सवाल उठाया गया है कि क्या किसी व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके सेवानिवृत्ति और पेंशन संबंधी फायदों का अधिकार है?

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Published : Jun 10, 2021, 10:32 AM IST

Updated : Jun 10, 2021, 12:37 PM IST

मद्रास उच्च न्यायालय
मद्रास उच्च न्यायालय

चेन्नई : क्या किसी व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में रहने वाली महिला को उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके सेवानिवृत्ति और पेंशन संबंधी फायदों का अधिकार है जो उसकी दिवंगत पत्नी की ही बहन है?

मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) में यह प्रश्न उठाया गया है और एकल पीठ ने मामले को फैसले के लिए वृहद पीठ को भेजने का फैसला किया है.

कुंभकोणम में तमिलनाडु विद्युत उत्पादन और वितरण निगम (तैनजेडको) में कार्यरत रहे एस कलियापेरुमल का विवाह सुशीला से हुआ था और उन्होंने अपनी पत्नी को आधिकारिक दस्तावेजों में अपना नामित (Nominee) घोषित किया था.

सुशीला कैंसर से पीड़ित थीं तो उन्होंने अपनी बहन मलारकोडि को अपने पति से शादी करने की अनुमति दे दी थी और तीनों एक ही घर में दंपती के तीन बेटों और तीन बेटियों के साथ रह रहे थे.

बाद में सुशीला का निधन हो गया और कलियापेरुमल ने मलारकोडि को 2015 में अपना कानूनी उत्तराधिकारी बनाने के लिए आवेदन किया. इसके लिए उनके बेटे और बेटियां सहमत थे.

विद्युत निगम द्वारा इस संबंध में संशोधन किए जाने से पहले ही उसी साल कलियापेरुमल की भी मृत्यु हो गई. लेकिन तैनजेडको ने कोई फैसला नहीं किया. इसलिए मलारकोडि की ओर से यह रिट याचिका दाखिल की गई है.

यह भी पढ़ें- विश्व भारती के कुलपति ने ऑडियो क्लिप में शिक्षकों पर अप्रिय टिप्पणी की

न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन के समक्ष याचिका हाल ही में सुनवाई के लिए आई और उन्होंने अंतिम निर्णय के लिए मामले को वृहद पीठ को भेजने का फैसला किया. रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया है कि मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस मामले को रखा जाए ताकि पीठ का गठन हो सके.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : क्या किसी व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में रहने वाली महिला को उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके सेवानिवृत्ति और पेंशन संबंधी फायदों का अधिकार है जो उसकी दिवंगत पत्नी की ही बहन है?

मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) में यह प्रश्न उठाया गया है और एकल पीठ ने मामले को फैसले के लिए वृहद पीठ को भेजने का फैसला किया है.

कुंभकोणम में तमिलनाडु विद्युत उत्पादन और वितरण निगम (तैनजेडको) में कार्यरत रहे एस कलियापेरुमल का विवाह सुशीला से हुआ था और उन्होंने अपनी पत्नी को आधिकारिक दस्तावेजों में अपना नामित (Nominee) घोषित किया था.

सुशीला कैंसर से पीड़ित थीं तो उन्होंने अपनी बहन मलारकोडि को अपने पति से शादी करने की अनुमति दे दी थी और तीनों एक ही घर में दंपती के तीन बेटों और तीन बेटियों के साथ रह रहे थे.

बाद में सुशीला का निधन हो गया और कलियापेरुमल ने मलारकोडि को 2015 में अपना कानूनी उत्तराधिकारी बनाने के लिए आवेदन किया. इसके लिए उनके बेटे और बेटियां सहमत थे.

विद्युत निगम द्वारा इस संबंध में संशोधन किए जाने से पहले ही उसी साल कलियापेरुमल की भी मृत्यु हो गई. लेकिन तैनजेडको ने कोई फैसला नहीं किया. इसलिए मलारकोडि की ओर से यह रिट याचिका दाखिल की गई है.

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न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन के समक्ष याचिका हाल ही में सुनवाई के लिए आई और उन्होंने अंतिम निर्णय के लिए मामले को वृहद पीठ को भेजने का फैसला किया. रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया है कि मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस मामले को रखा जाए ताकि पीठ का गठन हो सके.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 10, 2021, 12:37 PM IST
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