हैदराबाद : दिल्ली को वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में स्थान दिया गया है. स्विस संगठन आइ क्यू एयर द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है. वायु प्रदूषण दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरों में से एक है, जो सालाना लगभग सात मिलियन लोगों की समय से पहले मृत्यु का कारण बनता है. इनमें से 23,600,000 बच्चों की मौतें शामिल हैं.
2020 में सभी मॉनिटर किए गए देशों ने 84% हवा की गुणवत्ता में सुधार देखा गया. क्योंकि कोरोना के कारण लॉकडाउन था. 2019 की तुलना में 2020 में कुछ शहरों में वायु प्रदूषण स्तर पर सुधार देखा गया है. इन बड़े शहरों में बीजिंग (-11%), शिकागो (- 13%), दिल्ली (-15%), लंदन (-16%), पेरिस (-17%) और सियोल (-16%) हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वार्षिक 2020 के दिशानिर्देशों के तहत 106 देशों में से 24 शहरों की हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 रहा. पीएम 2.5 उस प्रदूषक तत्व को कहा जाता है, जिसका व्यास 2.5 माइक्रॉन से कम होता है.
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही वायु की गुणवत्ता
वर्ष 2020 की अपेक्षा 2016 सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड गया है. रेत के तूफान और जलवायु परिवर्तन के कारण कैलिफोर्निया, दक्षिण अमेरिका, साइबेरिया और ऑस्ट्रेलिया में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक बढ़ गया.
भारत : 2020 में सभी भारतीय शहरों में 2018 की तुलना में वायु गुणवत्ता में सुधार देखा गया है. जबकि 2019 की तुलना में 63% सुधार देखा गया. दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 शहर भारत से हैं.
चीन : पिछले वर्ष की तुलना में 2020 में चीन के 86% शहरों में हवा का स्तर अच्छा महसूस किया गया. उत्तर पश्चिमी चीन का होटन शहर प्रदूषण मामले में सबसे ऊपर है. प्रदूषण का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और रेत का बवंडर है.
अमेरिका : COVID-19 के प्रसार को रोकने के उपायों के बावजूद, 2020 में प्रदूषण का स्तर 6.7% बढ़ गया. सितंबर 2020 में दुनिया के शीर्ष 100 सबसे प्रदूषित शहरों में से जो 77 शहर थे, उनमें कैलिफोर्निया, ओरेगन और वॉशिंगटन भी शामिल था. जिनका पार्टिकुलेट मैटर 2.5 औसत रहा. 2020 में, 38% अमेरिकी शहरों ने वार्षिक PM 2.5 स्तरों के लिए WHO की गाइडलाइन को पूरा नहीं किया.
दक्षिण एशिया : दक्षिण एशिया बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान के साथ दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, जो विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 42 शहर इन देशों से है.
यूरोप : 2020 में सभी यूरोपीय शहरों में से आधे यूरोपीय शहर पीएम 2.5 के लक्ष्य से अधिक हैं. पीएम 2.5 का उच्चतम स्तर पूर्वी और दक्षिणी यूरोप में पाया गया, जिसमें बोस्निया हर्जेगोविना, उत्तरी मैसेडोनिया और बुल्गारिया शामिल है.
पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) और कोविड-19 के बीच संबंध
वैश्विक स्तर पर एक अध्ययन से पता चला है कि COVID-19 से होने वाली मौतों और मानवजनित उत्सर्जन (anthropogenic emissions) के जोखिम के बीच में अनुपात 7 से 33% के बीच है. मानव निर्मित वायु प्रदूषण को कम करने से इस तरह से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है. PM 2.5 को बढ़ने से रोकने के लिए कई तरह से उपाय किए जा सकते हैं.
दक्षिण एशिया
2020 में दुनिया के 40 सबसे प्रदूषित शहरों में से 37वें स्थान पर दक्षिण एशिया है. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले देश हैं. जानकारी के अनुसार इन क्षेत्रों में अनुमानित 13-22% मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं.
प्रगति
भारत ने कई शहरों के वायु गुणवता में 2019 की तुलना में 63% सुधार देखा गया.
चुनौतियां
भारत के वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में परिवहन, खाना पकाने के लिए बायोमास जलाना, बिजली उत्पादन, उद्योग, निर्माण, अपशिष्ट जलाना और एपिसोडिक कृषि जलाना शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन क्षेत्र भारत के प्रमुख पीएम 2.5 उत्सर्जन स्रोतों में से एक है. दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से भारत के 22 शहर हैं.
पराली प्रदूषण
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board, CPCB) के अनुसार प्राप्त आंकड़े पिछले साल की तुलना में 46.5 फीसद अधिक हैं. वहीं हरियाणा के खेतों में पराली जलाने की घटना इस साल 28.6 फीसद कम हुई है. 2020 में कुल पराली जलाए जाने के मामलों का आंकड़ा 76,537 था.
पराली प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार को वैकल्पिक समाधान प्रदान करना चाहिए. दिल्ली जैसे अधिक आबादी वाले शहर में खुलेआम पराली जलाना आम बात है. दिल्ली के वायु प्रदूषण का 20 से 40% हिस्सा पंजाब के खेत में पराली जलाने से उत्पन्न होता है.