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सुबोध जायसवाल ने संभाला सीबीआई निदेशक का पद, खुफिया विभाग में रहा है लंबा अनुभव - सुबोध जायसवाल को

नए सीबीआई निदेशक महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को इस क्षेत्र का 35 वर्षों का अनुभव है. इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में उनका लंबा कार्यकाल रहा है.

नए सीबीआई निदेशक
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Published : May 26, 2021, 10:35 PM IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के रूप में पदभार संभाला. उन्हें दो साल की अवधि के लिए सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है और उन्हें इस क्षेत्र में 35 से अधिक वर्षों का अनुभव है. उनका इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में उनका लंबा कार्यकाल रहा है.

जून 2018 में, सुबोध कुमार जायसवाल को महाराष्ट्र में तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाली देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मुंबई पुलिस आयुक्त के रूप में चुना था, इस पद पर उन्होंने फरवरी 2019 तक काम किया. सूत्रों का कहना है कि उनकी नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के परामर्श से की गई थी. हालांकि बाद में, उन्हें महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में पदोन्नत किया गया.

सीआईएसएफ कार्यालय में अंतिम कार्यदिवस के दिन आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल
सीआईएसएफ कार्यालय में अंतिम कार्यदिवस के दिन आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल (सौजन्य- सीबीआई ट्विटर)

सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीएस) सरकार के राज्य में सत्ता संभालने के बाद महाराष्ट्र के डीजीपी के रूप में उनका कार्यकाल सुचारू नहीं रहा. वह कथित तौर पर राज्य के गृह मंत्रालय के कामकाज से नाखुश थे, विशेष रूप से ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुना और जनवरी 2021 में सीआईएसएफ प्रमुख के रूप में शामिल हुए.

पढ़ें - सीबीआई के नए चीफ बने सुबोध जायसवाल

नए सीबीआई निदेशक की पहली पोस्टिंग 1986 में महाराष्ट्र के अमरावती में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई थी. जायसवाल ने गढ़चिरौली जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में कई सफल नक्सल विरोधी अभियान चलाए. उन्होंने अब्दुल करीम तेलगी द्वारा चलाए जा रहे करोड़ों रुपये के नकली स्टांप पेपर घोटाले की जांच के लिए 2003 में उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी नेतृत्व किया.

जायसवाल ने डीआईजी (एटीएस) के रूप में भी काम किया है और 2006 के सीरियल धमाकों और 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के रूप में पदभार संभाला. उन्हें दो साल की अवधि के लिए सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है और उन्हें इस क्षेत्र में 35 से अधिक वर्षों का अनुभव है. उनका इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में उनका लंबा कार्यकाल रहा है.

जून 2018 में, सुबोध कुमार जायसवाल को महाराष्ट्र में तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाली देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मुंबई पुलिस आयुक्त के रूप में चुना था, इस पद पर उन्होंने फरवरी 2019 तक काम किया. सूत्रों का कहना है कि उनकी नियुक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के परामर्श से की गई थी. हालांकि बाद में, उन्हें महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में पदोन्नत किया गया.

सीआईएसएफ कार्यालय में अंतिम कार्यदिवस के दिन आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल
सीआईएसएफ कार्यालय में अंतिम कार्यदिवस के दिन आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल (सौजन्य- सीबीआई ट्विटर)

सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीएस) सरकार के राज्य में सत्ता संभालने के बाद महाराष्ट्र के डीजीपी के रूप में उनका कार्यकाल सुचारू नहीं रहा. वह कथित तौर पर राज्य के गृह मंत्रालय के कामकाज से नाखुश थे, विशेष रूप से ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में, जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुना और जनवरी 2021 में सीआईएसएफ प्रमुख के रूप में शामिल हुए.

पढ़ें - सीबीआई के नए चीफ बने सुबोध जायसवाल

नए सीबीआई निदेशक की पहली पोस्टिंग 1986 में महाराष्ट्र के अमरावती में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई थी. जायसवाल ने गढ़चिरौली जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में कई सफल नक्सल विरोधी अभियान चलाए. उन्होंने अब्दुल करीम तेलगी द्वारा चलाए जा रहे करोड़ों रुपये के नकली स्टांप पेपर घोटाले की जांच के लिए 2003 में उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी नेतृत्व किया.

जायसवाल ने डीआईजी (एटीएस) के रूप में भी काम किया है और 2006 के सीरियल धमाकों और 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले की जांच करने वाली टीम का हिस्सा थे.

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