रानीपेट (तमिलनाडु) : कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते इस समय देश में ऑक्सीजन की भयंकर किल्लत चल रही है. कोरोना संक्रमण के बीच मची तबाही में मरीजों की सांसों के लिए परिजन जहां ऑक्सीजन के लिए सिलेंडर लेकर मारे-मारे फिर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से रोजाना कई मरीजों के दम तोड़ने जैसी खबरें झकझोर रही हैं. इस बीच तमिलनाडु के रानीपेट के दो युवकों ने मरीजों की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए सस्ती ऑक्सीजन बनाने वाली मशीन लगाई है.
दरअसल, अराकोणम (Arakkonam) के दो युवकों ने कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए सस्ती ऑक्सीजन बनाने वाली मशीन लगाई है. वहीं, उन्होंने जिला कलेक्टर से इसकी जांच कर इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.
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बता दें कि नरेश और अनीश मैथ्यू रानीपेट (Ranipet) जिले के अराकोणम (Arakkonam) कुरिंजीनगर आवासीय क्षेत्र के रहने वाले हैं. दोनों भारतीय कांग्रेस छात्र वाहिनी (Indian Congress Student Corps) की ओर से कर्फ्यू के दौरान आम जनता के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं और आगे भी करना चाहते हैं. बता दें कि अनीश मैथ्यू बैंगलोर में एस्ट्रोनॉमिकल इंजीनियर (astronomical engineer) के पद पर कार्यरत हैं.
रानीपेट जिले में कोरोना के नए मरीजों को निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है, जिसके चलते मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत बढ़ गई हैं. इससे निपटने के लिए जिला प्रशासन सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त बेड तैयार कर रहा है. ऑक्सीजन की जरूरत भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसे ध्यान में रखते हुए दो युवाओं ने विदेशों से उच्च लागत वाले ऑक्सीजन जनरेटर के आयात को कम करने की कोशिश की है.
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बताया जा रहा है कि कोरोना के तेजी से फैलते संक्रमण और ऑक्सीजन की बढ़ती किल्लतों के चलते नरेश और अनीश मैथ्यू ने एक ऐसी मशीन का आविष्कार करने का फैसला किया, जो कम लागत वाली घरेलू सामग्री के साथ ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकती हो, जिसके बाद हवा में ऑक्सीजन का 21 प्रतिशत, जियोलाइट नामक रसायन का उपयोग करने के साथ ही ऑक्सीजन के उत्पादन के सिद्धांत का उपयोग करके बोतल में संग्रहीत किया जा सकता है.
40 हजार रुपये की लागत से घरेलू सामग्री से बनी यह मशीन 10 लीटर प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन का उत्पादन करने में सक्षम है. इसका विदेशी आयात मूल्य एक से 1.25 लाख तक है.
नरेश और अनीश मैथ्यू ने अपनी मशीन का निरीक्षण करने के लिए रानीपेट के जिला कलेक्टर ग्लैडसन पुष्पराज (Gladson Pushparaj) से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति मांगी. फिर उन्होंने उसे प्रक्रिया के बारे में बताया. जिला कलेक्टर ने युवाओं के प्रयासों की सराहना की और उन्हें लोगों के ध्यान में लाने के लिए उचित कदम उठाने का वादा किया.