जलपाईगुड़ी: भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों से टकराने के कारण हाथियों की मौत को रोकने के लिए आईडीएस (इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम) तकनीक के लिए 77 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इतना ही नहीं, ट्रेन चालकों को जागरूक करने के साथ ही कड़ी निगरानी भी रखी जायेगी. हाथी के रेलवे लाइन पर आने पर जानकारी साझा की जाएगी. रेलवे सोशल मीडिया ऐप व्हाट्सएप के जरिए वन विभाग से संपर्क में रहेगा.
ट्रेनों से टकराकर हाथियों की मौत के कारण यह जरूरी हो गया था. भले ही वन विभाग या रेलवे एक-दूसरे का सहयोग करें, लेकिन जंगली हाथियों की मौत वाली दुर्घटनाओं को बचाना मुश्किल हो रहा था. पिछले कुछ वर्षों में रेलवे ने ट्रेन की गति को नियंत्रित करके 82 हाथियों की जान बचाई है. अब रेल मंत्रालय ने हाथियों की मुक्त आवाजाही को सुरक्षित करने के लिए एक कदम और बढ़ाया है. जंगल से होकर गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर हाथियों की आवाजाही के कई गलियारे हैं.
रेलवे ने उन गलियारों को सुरक्षित रखने के लिए धन आवंटित किया. यह पहल जंगल में स्थित हाथी गलियारों में हाथियों की मौत को रोकने के लिए है. बताया गया है कि ज्यादातर हाथियों की मौत नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे, खासकर अलीपुर द्वार, रंगिया और लुमडिंग डिवीजनों में ट्रेनों से टकराने के कारण हुई है. रेलवे ने अलीपुर द्वार रेलवे डिवीजन, रंगिया डिवीजन, लुमडिंग डिवीजन, कटिहार डिवीजन और अलीपुर द्वार सहित पांच डिवीजनों में नई तकनीक की स्थापना के लिए 77 करोड़ रुपये आवंटित किए.
अलीपुर द्वार रेल मंडल के मंडल रेल प्रबंधक, अमरजीत गौतम ने कहा कि हम हाथियों की मौत रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. पिछले साल हमने 62 हाथियों को और इस साल अब तक 21 जंगली हाथियों को चलती ट्रेनों की चपेट में आने से बचाया. गुरुवार को हुआ हादसा दुर्भाग्यपूर्ण है. ट्रेन 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि अगर उन्हें अचानक ट्रैक पर कोई हाथी दिखे तो उसे बचाने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाएं.
उन्होंने कहा कि उन्हें जागरूक करने के साथ ही रास्ते में हाथी आने पर सूचना वन विभाग को व्हाट्सएप के जरिए साझा की जा रही है. डीआरएम ने यह भी कहा कि वह नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के मुख्यालय भी जायेंगे. उन्होंने कहा कि हाथियों के नुकसान को रोकने के लिए क्या आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर चर्चा की जाएगी. ट्रेन ड्राइवरों को अधिक जागरूक किया जाएगा. ये दुर्घटनाएं लाइन में मोड़ के कारण हो रही हैं.
क्या है आईडीएस यानी इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम: यह इंट्रूज़न डिटेक्शन सिस्टम (आईडीएस) ट्रैक के आसपास हाथियों की गतिविधि का शीघ्र पता लगाने में मदद करेगी. यह मूलतः एक थर्मल उपकरण है. अलीपुर द्वार डिवीजन ने इस डिवाइस को रेड बैंक टी गार्डन के पास बानरहाट और करोन स्टेशनों के बीच चलने वाली रेलवे लाइन पर पहले ही स्थापित कर दिया है. पहले चरण में, बिन्नागुड़ी स्टेशन पर आईडीएस लॉन्च किया जाएगा. रेलवे सूत्रों के मुताबिक जरूरी उपकरण लगाए जा रहे हैं.