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म्यांमार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव : यूएन के दूत ने UNSC को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा - पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा

अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा म्यांमार में अत्याचारों को समाप्त करने के लिए एक निरंतर अपील की जा रही है. भारत ने भी म्यांमार मुद्दे को UNSC में उठाया है. इस मामले में विदेश नीति विशेषज्ञ और भारत के पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत को म्यांमार में राजनीतिक संकट का समाधान निकालने में यूएनएससी की भूमिका के बारे में कहा कि यूएनएससी म्यामांर में पैदा हुई स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, अनुभव कहता है कि UNSC की अपनी सीमाएं हैं.

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Published : Apr 1, 2021, 10:18 PM IST

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा म्यांमार में अत्याचारों को समाप्त करने के लिए एक निरंतर अपील की जा रही है. म्यांमार में जुंटा सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र में म्यांमार में हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए कदम उठाने की बात कही.

उन्होंने म्यांमार में एक हिंसक घटनाओं के बीच गृह युद्ध के जोखिम की चेतावनी दी थी, जिसमें अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि परिषद को म्यांमार में घटनाओं के पाठ्यक्रम को उलटने के लिए बड़ी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.

विदेश नीति विशेषज्ञ और भारत के पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत को म्यांमार में राजनीतिक संकट का समाधान निकालने में यूएनएससी की भूमिका के बारे में कहा कि यूएनएससी म्यामांर में पैदा हुई स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, अनुभव कहता है कि UNSC की अपनी सीमाएं हैं.

ईटीवी भारत से बात करते अचल मल्होत्रा

उन्होंने कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि UNSC के सभी 15 सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति होनी चाहिए कि यह म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर एक्शन लिया जाए.

UNSC सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों को पारित कर सकता है या उस पर प्रतिबंध लगा सकता है, लेकिन उसके लिए भी सर्वसम्मति होनी चाहिए. म्यांमार के मामले में यह स्पष्ट है कि अधिकांश सदस्य शांति के लिए प्रजातंत्र की बहाली, औंग सान सू ची और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, लेकिन क्या म्यांमार के खिलाफ दंडात्मक प्रतिबंध होना चाहिए या सैन्य जुंटा के कारण पैदान हुई स्थिति को संबोधित किया जाना चाहिए! म्यामांर के खिलाफ अपनाए जाने वाले इन उपायों पर सभी सदस्यों की कोई सहमति नहीं है.

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर म्यांमार मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गुप्त की बैठक में भारत ने म्यांमार में हिंसा की कड़ी निंदा की और निर्दोष लोगों की हत्या करने पर शोक जताया.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पीएस तिरुमूर्ति ने UNSC में अपनी टिप्पणी में म्यांमार के राजनीतिक संकट पर कई बिंदुओं को शामिल किया, जिसमें स्थिति का समाधान, अधिक से अधिक जुड़ाव, लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना, राखीन राज्य को सहायता प्रदान करना, राज्य में विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल हैं.

बैठक के दौरान भारत ने सैन्य जुंता द्वारा म्यांमार में की जा रही हिंसा पर कठोर कदम उठाने का आग्रह किया. इसके अलावा भारत ने लोकतांत्रिक ट्रांसमिशन के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई के लिए अपील की.

तिरुमूर्ति ने अपनी टिप्पणी में म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बारे में आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) द्वारा किए गए प्रयासों का भी स्वागत किया.

म्यांमार के मुद्दे को UNSC में उठाने के लिए भारत की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए, अचल मल्होत्रा ने दोहराया कि म्यांमार भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है.

मल्होत्रा ने कहा कि म्यांमार में भारत के सुरक्षा, रणनीतिक और आर्थिक हित हैं. इसलिए, भारत को यह देखना होगा कि म्यांमार में शांति और स्थिरता कायम रहे और तदनुसार, भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी मौजूदगी का उपयोग वर्तमान परिदृश्य के समाधान और प्रयासों के माध्यम से अपने उद्देश्यों की प्राप्ति को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहेगा.

उन्होंने कहा कि हालांकि मुझे नहीं लगता कि भारत म्यांमार पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाने या ऐसे किसी भी उपाय को बढ़ावा देगा या उसका समर्थन करेगा, जिससे म्यांमार को अलग-थलग किया जा सके.

1990 के दशक के बाद से भारत ने म्यांमार में सैन्य शासकों के साथ जुड़ाव की नीति अपनाई है और इसलिए भारत उसे अलग-थलग करने से बचेगा.

भारत इस तथ्य से अवगत है कि उसे चीन के प्रभाव को रोकने के लिए म्यांमार को इंगेज करने की आवश्यकता है. साथ ही भारत को यह भी देखना होगा कि म्यामांर को अलग थलग करना चाहता है. वहीं, दूसरी ओर चीन यहां चीन की भी पैनी नजर है और इससे भारत के हित को चोट पहुंच सकती है.

पढ़ें - छत्तीसगढ़ : सुरक्षा बलों ने दो आईईडी बम का पता लगाया, नक्सली हमला टला

इसके अलावा म्यांमार में जारी खूनी संघर्ष के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिति भी बिगड़ रही है.

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद से म्यांमार से भारतीय सीमाओं तक शरणार्थियों की आमद कई गुना बढ़ गई है और जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के दूत ने यूएनएससी में म्यांमार को लेकर कहा शरणार्थियों की तादाद में बढ़ोतरी हो सकती है.

इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि क्षेत्रीय एक्टर्स इस स्थिति से बाहर आने के लिए एक व्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से इस मामले में मदद करने के लिए अपनी अनूठी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एक साथ आना होगा.

जब से म्यांमार में तख्तापलट हुआ है तब से सुरक्षा बलों ने 27 मार्च तक सात बच्चों सहित कम से कम 107 लोगों की हत्या कर दी है.

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा म्यांमार में अत्याचारों को समाप्त करने के लिए एक निरंतर अपील की जा रही है. म्यांमार में जुंटा सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र में म्यांमार में हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए कदम उठाने की बात कही.

उन्होंने म्यांमार में एक हिंसक घटनाओं के बीच गृह युद्ध के जोखिम की चेतावनी दी थी, जिसमें अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि परिषद को म्यांमार में घटनाओं के पाठ्यक्रम को उलटने के लिए बड़ी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.

विदेश नीति विशेषज्ञ और भारत के पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत को म्यांमार में राजनीतिक संकट का समाधान निकालने में यूएनएससी की भूमिका के बारे में कहा कि यूएनएससी म्यामांर में पैदा हुई स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, अनुभव कहता है कि UNSC की अपनी सीमाएं हैं.

ईटीवी भारत से बात करते अचल मल्होत्रा

उन्होंने कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि UNSC के सभी 15 सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति होनी चाहिए कि यह म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर एक्शन लिया जाए.

UNSC सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों को पारित कर सकता है या उस पर प्रतिबंध लगा सकता है, लेकिन उसके लिए भी सर्वसम्मति होनी चाहिए. म्यांमार के मामले में यह स्पष्ट है कि अधिकांश सदस्य शांति के लिए प्रजातंत्र की बहाली, औंग सान सू ची और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, लेकिन क्या म्यांमार के खिलाफ दंडात्मक प्रतिबंध होना चाहिए या सैन्य जुंटा के कारण पैदान हुई स्थिति को संबोधित किया जाना चाहिए! म्यामांर के खिलाफ अपनाए जाने वाले इन उपायों पर सभी सदस्यों की कोई सहमति नहीं है.

उन्होंने कहा कि दूसरी ओर म्यांमार मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गुप्त की बैठक में भारत ने म्यांमार में हिंसा की कड़ी निंदा की और निर्दोष लोगों की हत्या करने पर शोक जताया.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पीएस तिरुमूर्ति ने UNSC में अपनी टिप्पणी में म्यांमार के राजनीतिक संकट पर कई बिंदुओं को शामिल किया, जिसमें स्थिति का समाधान, अधिक से अधिक जुड़ाव, लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना, राखीन राज्य को सहायता प्रदान करना, राज्य में विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल हैं.

बैठक के दौरान भारत ने सैन्य जुंता द्वारा म्यांमार में की जा रही हिंसा पर कठोर कदम उठाने का आग्रह किया. इसके अलावा भारत ने लोकतांत्रिक ट्रांसमिशन के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई के लिए अपील की.

तिरुमूर्ति ने अपनी टिप्पणी में म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बारे में आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) द्वारा किए गए प्रयासों का भी स्वागत किया.

म्यांमार के मुद्दे को UNSC में उठाने के लिए भारत की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए, अचल मल्होत्रा ने दोहराया कि म्यांमार भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है.

मल्होत्रा ने कहा कि म्यांमार में भारत के सुरक्षा, रणनीतिक और आर्थिक हित हैं. इसलिए, भारत को यह देखना होगा कि म्यांमार में शांति और स्थिरता कायम रहे और तदनुसार, भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी मौजूदगी का उपयोग वर्तमान परिदृश्य के समाधान और प्रयासों के माध्यम से अपने उद्देश्यों की प्राप्ति को आगे बढ़ाने के लिए करना चाहेगा.

उन्होंने कहा कि हालांकि मुझे नहीं लगता कि भारत म्यांमार पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाने या ऐसे किसी भी उपाय को बढ़ावा देगा या उसका समर्थन करेगा, जिससे म्यांमार को अलग-थलग किया जा सके.

1990 के दशक के बाद से भारत ने म्यांमार में सैन्य शासकों के साथ जुड़ाव की नीति अपनाई है और इसलिए भारत उसे अलग-थलग करने से बचेगा.

भारत इस तथ्य से अवगत है कि उसे चीन के प्रभाव को रोकने के लिए म्यांमार को इंगेज करने की आवश्यकता है. साथ ही भारत को यह भी देखना होगा कि म्यामांर को अलग थलग करना चाहता है. वहीं, दूसरी ओर चीन यहां चीन की भी पैनी नजर है और इससे भारत के हित को चोट पहुंच सकती है.

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इसके अलावा म्यांमार में जारी खूनी संघर्ष के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिति भी बिगड़ रही है.

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट होने के बाद से म्यांमार से भारतीय सीमाओं तक शरणार्थियों की आमद कई गुना बढ़ गई है और जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के दूत ने यूएनएससी में म्यांमार को लेकर कहा शरणार्थियों की तादाद में बढ़ोतरी हो सकती है.

इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि क्षेत्रीय एक्टर्स इस स्थिति से बाहर आने के लिए एक व्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से इस मामले में मदद करने के लिए अपनी अनूठी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एक साथ आना होगा.

जब से म्यांमार में तख्तापलट हुआ है तब से सुरक्षा बलों ने 27 मार्च तक सात बच्चों सहित कम से कम 107 लोगों की हत्या कर दी है.

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