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International Day For Disaster Reduction : आपदा को रोकना असंभव, समय पर सही जानकारी और जागरूकता से जानमाल का नुकसान कर सकते हैं कम

भारत के 36 राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों में 27 आपदा के प्रति संवेदनशील (Disaster Vulnerable States In India ) हैं. इन राज्यों में बाढ़, सूखा, चक्रवात, सुनामी, भूकंप, भूस्खलन-हिमस्खलन, चक्रवात सहित अन्य आपदाओं के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती हैं. भारी मात्रा में संपत्ति का नुकसान होता है. आपदाओं को रोकना असंभव है. लेकिन समय पर उचित जानकारी से इसके नुकसान को कम किया जा सकता है. इस बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए 13 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस (International Day For Disaster Reduction ) मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

International Day For Disaster Reduction
आपदा न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2023, 12:02 AM IST

Updated : Oct 15, 2023, 2:49 PM IST

हैदराबाद : वैश्विक स्तर पर आपदा जोखिम कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1989 में 13 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस घोषित किया था. इसका उद्देश्य आपदाओं के बारे में लोगों को जागरुक कर, उससे होने वाले नुकसान को कम करना है. अंतरराष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस 2023 को आपदाओं और असमानता के बीच संबंध पर फोकस करना है.

  • International Day for Disaster Risk Reduction 2023 focuses on the link between disasters and inequality. Unequal access to services increases exposure to disaster risk, while disasters worsen inequality by pushing those most at risk into poverty. #DDRDay ➡️https://t.co/LunG9bW7US pic.twitter.com/Bd7YmqcWZ2

    — UNDRR (@UNDRR) October 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आपदा के नुकसान को कम करने के लिए थ्री लेयर तैयारी जरूरी
आपदाओं से दुनिया का कोई देश अछूता नहीं है. बाढ़, सूखा, चक्रवात, सुनामी, भूकंप, भूस्खलन-हिमस्खलन, चक्रवात, जंगल की आज जैसे अन्य आपदाओं से हर साल लाखों की संख्या में लोग मरते हैं. करोड़़ों-खरबों की संपत्ति तबाह हो जाती है. आपदाओं की बात करें तो यह दो प्रकार का होता है. पहला प्राकृतिक आपदा. दूसरा मानव निर्मित आपदा या कहें मानव की गलतियों से पैदा होने वाला आपदा. आपदाओं को रोका नहीं जा सकता है. बल्कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण कर इसके नुकसान को कम किया जा सकता है. इसके लिए आपदाओं को सबसे पहले पहचान और उससे बचाव के बारे में जानना होगा. साथ ही आपदा जोखिम न्यूनीकरण में थ्री लेयर पर फोकस कर तैयारियां जरूरी है. आपदा से पूर्व (Pre Disaster), आपदा के दौरान (During The Disaster) और आपदा के बाद (Post Disaster).

भारत में आपदा से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन के अधीन भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से क्लाइमेट इन इंडिया 2022 (Statement on Climate Of India 2022) के अनुसार 1901 के बाद साल 2022 भारत का पांचवा सबसे गर्म साल रहा. देश में 2022 में बिजली गिरने (ठनका) के कारण 1280 लोगों की मौत हुई, इनमें सबसे ज्यादा बिहार में 415 मौतें हुई है.
  • भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority-NDMA) की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट 2020-2021 के अनुसार भारत में कुल 36 राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों में 27 आपदा प्रवण (Disaster Prone) हैं, अर्थात ये इलाके आपदाओं के लिए सेंसिटिव (संवेदनशील) हैं.
  • इनमें 27 फीसदी इलाके साधारण से लेकर उच्च तीव्रता वाले भूकंप जोन में आते हैं. 12 फीसदी इलाका बाढ़ और कटाव प्रभावित इलाका है.
  • देश में 7516 किलोमीटर लंबी समुद्री तट वाला इलाका है. इनमें 5700 किलोमीटर इलाका चक्रवाद और सुनामी को लेकर संवेदनशील है.
  • देश में कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल में से लगभग 68 फीसदी सूखे से असुरक्षित (संभावना) है.
  • देश में 15 फीसदी पहाड़ी इलाके हिमस्खलन और भूस्खलन को लेकर काफी संवेदनशील हैं.
  • देश में 5161 शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies -ULB) बाढ़ प्रभावित है.
  • भारत में आपदों के बेहतर प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन 30 मई 2005 को भारत सरकार की ओर से किया गया है.
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं.

नवंबर 2016 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर नई दिल्ली में आयोजित एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 बिंदुओं पर फोकस किया था.

  1. विकास के लिए नीतियों को बनाने और कार्यान्वयन के लिए आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को ध्यान में रखना चाहिए.
  2. जोखिम कवरेज के दौरान गरीब हो अमीर, छोटी हो बहुराष्ट्रीय कंपनियां सबों को ध्यान में रखना चाहिए.
  3. आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं को समूचित नेतृत्व और भागीदारी मिले.
  4. आपदाओं की बेहतर समझ के लिए स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर जोखिम मानचित्रण तैयार किया जाए.
  5. बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए.
  6. आपदा प्रबंधन पर शोध और नीति निर्धारित करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक बेहतर नेटवर्क तैयार हो.
  7. आपदा प्रबंधन के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म और मोबाइल नेटवर्क का बेहतर उपयोग किया जाए.
    • On International Day for Disaster Risk Reduction, October 13, unite to promote global risk awareness, reducing disaster exposure, and raising awareness. The Sendai Framework emphasizes local resilience and addresses climate change impact. Together, let's create a safer world.… pic.twitter.com/zsRm8Z0DXW

      — VishwajitRane (@visrane) October 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  8. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक और ट्रेंड किया जाए.
  9. आपदाओं से सीख लेना चाहिए और हर आपदा के बाद सभी पहलुओं पर अध्ययन करना चाहिए.
  10. आपदाओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता के लिए प्रयास किया जाए.

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  • International Day for Disaster Risk Reduction 2023 focuses on the link between disasters and inequality. Unequal access to services increases exposure to disaster risk, while disasters worsen inequality by pushing those most at risk into poverty. #DDRDay ➡️https://t.co/LunG9bW7US pic.twitter.com/Bd7YmqcWZ2

    — UNDRR (@UNDRR) October 6, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आपदा के नुकसान को कम करने के लिए थ्री लेयर तैयारी जरूरी
आपदाओं से दुनिया का कोई देश अछूता नहीं है. बाढ़, सूखा, चक्रवात, सुनामी, भूकंप, भूस्खलन-हिमस्खलन, चक्रवात, जंगल की आज जैसे अन्य आपदाओं से हर साल लाखों की संख्या में लोग मरते हैं. करोड़़ों-खरबों की संपत्ति तबाह हो जाती है. आपदाओं की बात करें तो यह दो प्रकार का होता है. पहला प्राकृतिक आपदा. दूसरा मानव निर्मित आपदा या कहें मानव की गलतियों से पैदा होने वाला आपदा. आपदाओं को रोका नहीं जा सकता है. बल्कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण कर इसके नुकसान को कम किया जा सकता है. इसके लिए आपदाओं को सबसे पहले पहचान और उससे बचाव के बारे में जानना होगा. साथ ही आपदा जोखिम न्यूनीकरण में थ्री लेयर पर फोकस कर तैयारियां जरूरी है. आपदा से पूर्व (Pre Disaster), आपदा के दौरान (During The Disaster) और आपदा के बाद (Post Disaster).

भारत में आपदा से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन के अधीन भारत मौसम विज्ञान विभाग की ओर से क्लाइमेट इन इंडिया 2022 (Statement on Climate Of India 2022) के अनुसार 1901 के बाद साल 2022 भारत का पांचवा सबसे गर्म साल रहा. देश में 2022 में बिजली गिरने (ठनका) के कारण 1280 लोगों की मौत हुई, इनमें सबसे ज्यादा बिहार में 415 मौतें हुई है.
  • भारत सरकार के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority-NDMA) की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट 2020-2021 के अनुसार भारत में कुल 36 राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों में 27 आपदा प्रवण (Disaster Prone) हैं, अर्थात ये इलाके आपदाओं के लिए सेंसिटिव (संवेदनशील) हैं.
  • इनमें 27 फीसदी इलाके साधारण से लेकर उच्च तीव्रता वाले भूकंप जोन में आते हैं. 12 फीसदी इलाका बाढ़ और कटाव प्रभावित इलाका है.
  • देश में 7516 किलोमीटर लंबी समुद्री तट वाला इलाका है. इनमें 5700 किलोमीटर इलाका चक्रवाद और सुनामी को लेकर संवेदनशील है.
  • देश में कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल में से लगभग 68 फीसदी सूखे से असुरक्षित (संभावना) है.
  • देश में 15 फीसदी पहाड़ी इलाके हिमस्खलन और भूस्खलन को लेकर काफी संवेदनशील हैं.
  • देश में 5161 शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies -ULB) बाढ़ प्रभावित है.
  • भारत में आपदों के बेहतर प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन 30 मई 2005 को भारत सरकार की ओर से किया गया है.
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं.

नवंबर 2016 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर नई दिल्ली में आयोजित एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 बिंदुओं पर फोकस किया था.

  1. विकास के लिए नीतियों को बनाने और कार्यान्वयन के लिए आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को ध्यान में रखना चाहिए.
  2. जोखिम कवरेज के दौरान गरीब हो अमीर, छोटी हो बहुराष्ट्रीय कंपनियां सबों को ध्यान में रखना चाहिए.
  3. आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं को समूचित नेतृत्व और भागीदारी मिले.
  4. आपदाओं की बेहतर समझ के लिए स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर जोखिम मानचित्रण तैयार किया जाए.
  5. बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए.
  6. आपदा प्रबंधन पर शोध और नीति निर्धारित करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक बेहतर नेटवर्क तैयार हो.
  7. आपदा प्रबंधन के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म और मोबाइल नेटवर्क का बेहतर उपयोग किया जाए.
    • On International Day for Disaster Risk Reduction, October 13, unite to promote global risk awareness, reducing disaster exposure, and raising awareness. The Sendai Framework emphasizes local resilience and addresses climate change impact. Together, let's create a safer world.… pic.twitter.com/zsRm8Z0DXW

      — VishwajitRane (@visrane) October 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  8. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक और ट्रेंड किया जाए.
  9. आपदाओं से सीख लेना चाहिए और हर आपदा के बाद सभी पहलुओं पर अध्ययन करना चाहिए.
  10. आपदाओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता के लिए प्रयास किया जाए.

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Last Updated : Oct 15, 2023, 2:49 PM IST

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