श्रीनगर : कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विजय कुमार ने दो-टूक कहा है कि आतंकियों के शव परिजनों को सौंपने का सवाल ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि एक तो कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत ऐसे किया जा रहा कि अंतिम संस्कार में भीड़ इकट्ठा न हो, दूसरा बड़ा कारण आतंकियों के अंतिम संस्कार में युवा भावुक हो जाते हैं उन्हें भड़काया जाता है. मजबूरन पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ता है.
लावापोरा एनकाउंटर पर आतंकियों के परिजनों के सवाल उठाए जाने को लेकर आईजी ने कहा कि जांच की जा रही है, जल्द पुख्ता सबूत साझा करेंगे. मामला संवेदनशील होने के कारण इस मुद्दे पर अभी ज्यादा नहीं कहा जा सकता.
पुलवामा के एजाज मकबूल गनई और अतहर मुश्ताक लोन, शोंपियां का जुबैर अहमद लोन दिसंबर में लावापोरा में मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे. तीनों के शव उनके गांव से 120 किलोमीटर दूर गांदरबल के सोनमर्ग इलाके में दफनाए गए थे. परिजनों का आरोप है कि उनके बेटे निर्दोष हैं. युवकों के शव लेने के लिए परिजनों ने कई बार प्रदर्शन भी किया है.
पुलिस का कहना है कि तीनों आतंकी सूची में नहीं थे, लेकिन मारे गए अतहर मुश्ताक और एजाज मकबूल गनई आतंकियों को रसद सहायता पहुंचाते थे.
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किलो फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एचएस साही ने मुठभेड़ के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि तीनों आतंकवादी थे जो श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बना रहे थे.