नई दिल्ली : दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक 2021 को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिली गई. विभिन्न विषयों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच राज्यसभा ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक 2021 ध्वनिमत से पारित कर दिया जो इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा.
सदन में विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता विधेयक लागू हुए पांच साल हुए हैं. इन पांच वर्षो में देश की कारोबारी सुगमता की स्थिति में प्रगति हुई है.
उन्होंने कहा कि कारोबारी सुगमता में भारत की रैकिंग आज बेहतर होकर 52वीं हो गई है. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र पर कुछ दिक्कतें आईं जिससे इस संशोधन की जरूरत महसूस हुई.
विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में बीजू जनता दल (बीजद) के डॉ अमर पटनायक ने कहा कि इससे न केवल कारोबारी सुगमता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इससे एमएसईएम को भी बढ़ावा मिलेगा.
अन्नाद्रमुक के ए थंबीदुरई ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह विधेयक कारोबारियों के लिए मददगार होगा जो कोविड महामारी की वजह से कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं.
माकपा के जॉन ब्रिटस ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डालेगा और इससे परेशानियां बढ़ेंगी.
तेदेपा के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने कहा कि यह विधेयक आज के समय की चुनौतियों के समाधान के लिए लाया गया है. इसमें एमएसईएम क्षेत्र पर ध्यान दिया गया है, यह अत्यंत सराहनीय है.
वाईआरएस कांग्रेस पार्टी के वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि वह और उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करते हैं. उन्होंने विधेयक को लेकर कुछ सुझाव दिए और आंध्र प्रदेश की ओर से ऊर्जा क्षेत्र में की मांग पर विचार करने का अनुरोध भी किया.
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भाकपा के विनय विश्वम ने विधेयक का विरोध करते हुए दावा किया कि इसके प्रावधानों से जनता के पैसे की बर्बादी होगी.
टीआरएस के डॉ बंदा प्रकाश ने कहा कि निगम दिवाला प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिये व्यक्तिक्रम की न्यूनतम रकम एक करोड़ रूपये से बढ़ाना सराहनीय है.
चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने महामारी के कारण उत्पन्न संकट को कम करने के लिये अनेक उपाए किये हैं . यह विधेयक संकट के इस दौर में न केवल कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देगा बल्कि एमएसईएम क्षेत्र के लिए भी मददगार होगा.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष द्वारा अध्यादेश के खिलाफ लाए गए सांविधिक संकल्प को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई.
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता संशोधन अध्यादेश, 2021, चार अप्रैल 2021 से प्रभावी हो गया था. इसके तहत छोटे और मझोले इकाई के तहत आने वाले कर्जदार कारोबारियों को पहले से तैयार व्यवस्था (प्री पैकेज्ड) के तहत दिवाला निपटान प्रक्रिया की सुविधा मिल गई है.
इसके तहत अधिकृत प्रतिनिधि की पहचान और चयन, सार्वजनिक घोषणा और संबंधित पक्ष के दावे, मसौदे की जानकारी, कर्जदाता और कर्जदाता समिति की बैठक करने, विवाद निपटान योजना का आमंत्रण, मूल विवाद निपटान और सबसे अच्छे विवाद निपटान के बीच प्रतिस्पर्धा तथा कॉरपोरेट कर्जदार के साथ विवाद निपटान पेशेवरों के साथ प्रबंधन जैसी सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं.
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दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत सभी प्रस्तावों की योजनाएं राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मंजूर होना जरूरी है.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कोविड महामारी ने भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में कारोबार, वित्तीय बाजार एवं अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है. सरकार ने महामारी के कारण उत्पन्न संकट को कम करने के लिये अनेक उपाए किये हैं जिसमें अन्य बातों के साथ निगम दिवाला प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिये व्यक्तिक्रम की न्यूनतम रकम एक करोड़ रूपये से बढ़ाना शामिल है. इसमें 25 मार्च 2020 से 24 मार्च 2021 तक एक वर्ष की अवधि के दौरान निगम दिवाला प्रक्रिया आरंभ करने के लिये आवेदन फाइल का निलंबन शामिल है.
इसमें कहा गया है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम क्षेत्र (एमएसईएम) हमारे सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. इसलिये यह जरूरी समझा गया कि त्वरित एवं लागत प्रभावी दिवाला प्रक्रिया के लिये संहिता के अधीन कुशल एवं वैकल्पिक ढांचा प्रदान करने पर तुरंत ध्यान दिया जाए.