नई दिल्ली : कोविड 19 महामारी (Covid19 pandemic) की संभावित तीसरी लहर से पहले भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (INSACOG) ने पूरे भारत में कोविड19 संक्रमणों की जीनोमिक विविधताओं की निगरानी और परीक्षण को तेज कर दिया है.
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड कंट्रोल (National Centre for Disease Control) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत को बताया कि INSACOG प्रबंधन ने हब एंड स्पोक मॉडल (Hub and Spoke model) पर काम करने का फैसला किया है.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry ) ने हाल ही में INSACOG की प्रयोगशालाओं की संख्या 10 से बढ़ाकर 28 कर दी है. नई प्रयोगशालाएं मौजूदा प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम करेंगी, ताकि आवश्यक प्रशिक्षण और मार्गदर्शन (training and guidance) प्रदान किया जा सके और नई पहचान की गई अनुक्रमण प्रयोगशालाओं द्वारा मानकीकृत प्रोटोकॉल और एसओपी का पालन किया जा सके.
ये नई प्रयोगशालाएं प्रति माह 20,000 जीनोम का अनुक्रम कर सकती हैं और मौजूदा नेटवर्क के साथ मिलकर, ये 28 प्रयोगशालाएं प्रति माह 45,000 जीनोम की अनुक्रमण कर सकती हैं.
INSACOG को स्वास्थ्य मंत्रालय और बायो टेक्नोलॉजी विभाग (Department of Bio Technology) द्वारा संयुक्त रूप से महामारी के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया में सहायता के लिए जीनोमिक, महामारी विज्ञान और नैदानिक सहसंबंध के लिए सार्स-कोव-2 में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी के लिए स्थापित किया गया था. INSACOG के लिए एनसीडीसी का नोडल प्राधिकरण बनाया गया है.
आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि INSACOG द्वारा अब तक 21,109 प्रकार के चिंता (VoC) मामलों का पता लगाया गया है, जिनमें से 4544 अल्फा वेरिएंट, 266 बीटा वेरिएंट, 2 गामा वेरिएंट और 16297 डेल्टा और कप्पा वेरिएंट हैं. विशेष रूप से, महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश अधिकतम संख्या वाले शीर्ष पांच राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं.
वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (senior public health expert) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (Indian Association of Preventive and Social Medicine ) की अध्यक्ष डॉ सुनीला (Dr Suneela Garg) गर्ग ने कहा कि भारत में मौजूदा जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालांए SARS-CoV-2 वायरस के किसी भी नए प्रकार का पता लगाने में सक्षम हैं. 'हालांकि इस प्रक्रिया पर सख्ती से नजर रखने की जरूरत है.'
गर्ग ने कहा, 'हमारी प्रयोगशालाएं महामारी विज्ञान, नैदानिक गंभीरता की समग्र समझ बढ़ाती हैं और यह वेरिएंट का पता लगाने में मदद करती है.'
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट जो शुरुआत में भारत में पाया गया था, अब तक 85 देशों में पाया जा चुका है. कई देशों में संक्रमण बढ़ने के पीछे भी यही जिम्मेदार था.
इस बीच, जैसे ही डेल्टा वेरिएंट दुनिया भर में कहर ढाना शुरू किया, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (US National Institute of Health) ने कहा है कि कोवैक्सिन अल्फा और डेल्टा दोनों प्रकार के कोरोनावायरस को बेअसर करने में अत्यधिक प्रभावी है.
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यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने कहा, 'कोवैक्सिन प्राप्त करने वाले लोगों से ब्लड सीरम (blood serum) के दो अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि टीका एंटी बॉडी उत्पन्न करता है, जो SARS-CoV-2 बी 1.1.7 (अल्फा) और बी 1.617 (डेल्टा) रूपों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय कर देता है-
वास्तव में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) ने पहले दावा किया है कि भारत बायोटेक ने Covaxin को कोविड19 के मौजूदा वेरिएंट के खिलाफ काम किया है.
डॉ गर्ग ने कहा, 'मने पहले ही कहा है कि दोनों भारतीय टीके कोवैक्सिन और कोविशील्ड कोविड 19 के वर्तमान वेरिएंट के खिलाफ काम कर रहे हैं.'
हालांकि, उन्होंने कहा कि मॉडर्न को आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने का सरकार का निर्णय का भी योग्य कदम है.
गर्ग ने कहा कि चूंकि इसे mRNA प्लेटफॉर्म में बनाया गया है, मॉडर्न की कोविड-19 के विभिन्न रूपों से लड़ने में अधिक प्रभावशाली है.