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21वीं सदी के मध्य प्रदेश की परेशान करने वाली तस्वीर! दलित घर के आगे से ना निकलें, रोड पर लगवा दिया दरवाजा

Chhatarpur Dalits In Trouble: एमपी के छतरपुर जिले में दलितों की बेबसी से जुड़ा एक मामला सामने आया है. यहां एक गांव के दलित आबादी को लेकर दबंगों ने परेशान करने वाली हरकत की है. उंची जाति के दबंगों ने अपने घर के आगे सरकारी रोड पर एक दरवाजा लगवा दिया ताकि उनके घर के सामने से कोई दलित ना निकल जाए. देश आजाद हो गया लेकिन अमृतकाल में भी दलितों की ऐसी हालत झकझोरती है. देखें यह खास वीडियो रिपोर्ट.

Injustice With Dalits in Chhatarpur
छतरपुर में दलितों के साथ अन्याय
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 29, 2023, 6:55 PM IST

Updated : Nov 29, 2023, 8:22 PM IST

छतरपुर के दलितों की बेबसी

छतरपुर। देश की आजादी के 76 साल बाद जहां विकास और समानता की बातें हो रही है. वहीं देश में एक तबका ऐसा भी हो जो आज भी रूढ़िवादी और दकियानूसी सोच से आजादी नहीं पा सका है. यह तबका आज भी दबंगों, छुआ-छूत और लोगों के दुर्व्यवहार का शिकार है. हम दलित और आदिवासी तबके की बात कर रहे हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण एमपी के छतरपुर में देखने मिला. यहां के दलितों का आरोप है कि उनको आम रास्ते से निकलने पर रोक लगाई गई है. दलित समुदाय आम रास्ते न जा पाए इसके लिए सरकारी सड़क पर बड़े-बड़े फाटक लगा दिए गए हैं.

सिसोलर गांव के ग्रामीणों का दर्द: दरअसल, एमपी के छतरपुर जिले के सिसोलर गांव की यह घटना है. यह गांव छतरपुर मुख्यालय से 120 किलोमीटर की दूरी पर यूपी बॉर्डर से लगा हुआ है. अगर इस गांव की जनसंख्या की बात करें तो करीब 1500 लोग यहां निवास करते हैं. गांव में ज्यादातर दलित वोटर हैं, जिनकी संख्या 1200 है. आजादी के 76 साल बाद देश में चारों तरफ जहां आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. सभी को समान अधिकार देने के दावे किए जा रहे हैं. वहीं इन दलितों की हालत जस के तस बनी हुई है.

दबंगों ने सरकारी रास्ते पर लगाया गेट: सिसोलर गांव में बराबरी की बात तो छोड़िए इनके तो रास्ते से जाने पर भी रोक लगा दी गई है, इनकी गलती बस यही है कि ये दलित समुदाय से आते है. ग्रामीणों के मुताबिक कुछ दबंगों ने सरकारी सड़क पर बड़े-बड़े फाटक लगा दिए हैं. दलित समुदाय का एक व्यक्ति उस रास्ते से गुजर न पाए, इसके लिए रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. आलम यह है कि चाहे प्रसूता महिला हो, बुजुर्ग हो, बीमार या कोई जरूरी घटना हो ये रास्ता नहीं खोला जाता. भले इसके बदले सामने वाले की जान पर ही क्यों न बन जाए.

गेट बंद होने के चलते ग्रामीण की हुई मौत: एक ग्रामीण राजेंद्र अहिरवार ने बताया कि दो फरवरी को उनके चाचा को दिल का दौरा पड़ा था. चाचा को अस्पताल ले जाने के लिए प्राइवेट वाहन भी कर लिया था, लेकिन रास्ते पर फाटक लगा होने के कारण वह चाचा को लेकर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उनकी मौत हो गई. जबकि घर से जहां वाहन खड़ा था, वहां की दूरी 500 मीटर थी, लेकिन गेट बंद होने के चलते वाहन नहीं आ पाया.

शिकायत के बाद भी नहीं हटाए गए गेट: वहीं ग्रामीणों ने एक और घटना के बारे में बताया. राजबाई अहिरवार को 2 नवंबर की सुबह प्रसव पीड़ी हुई. जिसके बाद परिवार वालों ने जननी एक्सप्रेस बुलाई, लेकिन यहां भी गेट बंद होने के चलते महिला अस्पताल नहीं पहुंच पाई और गांव की सड़क पर ही प्रसव कराया गया. हालांकि अभी दोनों स्वस्थ हैं. आपको बता दें गांव के अंदर पहुंचने के मुख्य रूप से दो ही रास्ते हैं. इन दोनों आम रास्ते में लोहे के बड़े-बड़े फाटक लगे हुए हैं. जिन दबंगों ने यह फाटक लगवाए हैं. वह जब चाहे उन्हें बंद कर देते हैं. दलितों का आरोप है की फाटक लगे होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है. इसको लेकर वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

यहां पढ़ें...

प्रशासन बोले हटवाएंगे फाटक: वहीं इस मामले में लवकुशनगर एसडीएम देवेंद्र चौधरी का कहना है की "गांव में फाटक लगे हैं, इस बात की जानकारी हमें है, लेकिन दलितों को रास्ते से नहीं निकलने दिया जा रहा है. इस बात की शिकायत नहीं आई है. गांव में पहले से ही फाटक लगे हुए हैं, अगर गांव के लोग शिकायत कर रहे हैं तो यह फाटक हटवाया जाएगा.'

छतरपुर के दलितों की बेबसी

छतरपुर। देश की आजादी के 76 साल बाद जहां विकास और समानता की बातें हो रही है. वहीं देश में एक तबका ऐसा भी हो जो आज भी रूढ़िवादी और दकियानूसी सोच से आजादी नहीं पा सका है. यह तबका आज भी दबंगों, छुआ-छूत और लोगों के दुर्व्यवहार का शिकार है. हम दलित और आदिवासी तबके की बात कर रहे हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण एमपी के छतरपुर में देखने मिला. यहां के दलितों का आरोप है कि उनको आम रास्ते से निकलने पर रोक लगाई गई है. दलित समुदाय आम रास्ते न जा पाए इसके लिए सरकारी सड़क पर बड़े-बड़े फाटक लगा दिए गए हैं.

सिसोलर गांव के ग्रामीणों का दर्द: दरअसल, एमपी के छतरपुर जिले के सिसोलर गांव की यह घटना है. यह गांव छतरपुर मुख्यालय से 120 किलोमीटर की दूरी पर यूपी बॉर्डर से लगा हुआ है. अगर इस गांव की जनसंख्या की बात करें तो करीब 1500 लोग यहां निवास करते हैं. गांव में ज्यादातर दलित वोटर हैं, जिनकी संख्या 1200 है. आजादी के 76 साल बाद देश में चारों तरफ जहां आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. सभी को समान अधिकार देने के दावे किए जा रहे हैं. वहीं इन दलितों की हालत जस के तस बनी हुई है.

दबंगों ने सरकारी रास्ते पर लगाया गेट: सिसोलर गांव में बराबरी की बात तो छोड़िए इनके तो रास्ते से जाने पर भी रोक लगा दी गई है, इनकी गलती बस यही है कि ये दलित समुदाय से आते है. ग्रामीणों के मुताबिक कुछ दबंगों ने सरकारी सड़क पर बड़े-बड़े फाटक लगा दिए हैं. दलित समुदाय का एक व्यक्ति उस रास्ते से गुजर न पाए, इसके लिए रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. आलम यह है कि चाहे प्रसूता महिला हो, बुजुर्ग हो, बीमार या कोई जरूरी घटना हो ये रास्ता नहीं खोला जाता. भले इसके बदले सामने वाले की जान पर ही क्यों न बन जाए.

गेट बंद होने के चलते ग्रामीण की हुई मौत: एक ग्रामीण राजेंद्र अहिरवार ने बताया कि दो फरवरी को उनके चाचा को दिल का दौरा पड़ा था. चाचा को अस्पताल ले जाने के लिए प्राइवेट वाहन भी कर लिया था, लेकिन रास्ते पर फाटक लगा होने के कारण वह चाचा को लेकर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए और उनकी मौत हो गई. जबकि घर से जहां वाहन खड़ा था, वहां की दूरी 500 मीटर थी, लेकिन गेट बंद होने के चलते वाहन नहीं आ पाया.

शिकायत के बाद भी नहीं हटाए गए गेट: वहीं ग्रामीणों ने एक और घटना के बारे में बताया. राजबाई अहिरवार को 2 नवंबर की सुबह प्रसव पीड़ी हुई. जिसके बाद परिवार वालों ने जननी एक्सप्रेस बुलाई, लेकिन यहां भी गेट बंद होने के चलते महिला अस्पताल नहीं पहुंच पाई और गांव की सड़क पर ही प्रसव कराया गया. हालांकि अभी दोनों स्वस्थ हैं. आपको बता दें गांव के अंदर पहुंचने के मुख्य रूप से दो ही रास्ते हैं. इन दोनों आम रास्ते में लोहे के बड़े-बड़े फाटक लगे हुए हैं. जिन दबंगों ने यह फाटक लगवाए हैं. वह जब चाहे उन्हें बंद कर देते हैं. दलितों का आरोप है की फाटक लगे होने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है. इसको लेकर वह कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

यहां पढ़ें...

प्रशासन बोले हटवाएंगे फाटक: वहीं इस मामले में लवकुशनगर एसडीएम देवेंद्र चौधरी का कहना है की "गांव में फाटक लगे हैं, इस बात की जानकारी हमें है, लेकिन दलितों को रास्ते से नहीं निकलने दिया जा रहा है. इस बात की शिकायत नहीं आई है. गांव में पहले से ही फाटक लगे हुए हैं, अगर गांव के लोग शिकायत कर रहे हैं तो यह फाटक हटवाया जाएगा.'

Last Updated : Nov 29, 2023, 8:22 PM IST
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