नई दिल्ली : उधमपुर में महत्वपूर्ण उत्तरी कमान के मुख्यालय में सुरक्षा का एक बड़ा उल्लंघन हुआ है. सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के एक अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं कि चोरी की गई सूचना की सीमा और महत्व क्या है.
इस मामले में पंजाब से बाहर स्थित पैदल सेना की एक बटालियन का सैनिक है, जिसे कुछ समय पहले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा भर्ती किया गया था. उसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है. माना जा रहा है कि वह पाकिस्तान स्थित हैंडलर को दस्तावेज सौंपने से पहले उसे पेन-ड्राइव में सुरक्षित करता था. यह समझा जा रहा है कि उधमपुर अड्डे से यह चोरी हुई थी, जबकि उसमें जम्मू के नगरोटा में स्थित 16 कोर का मुख्यालय की जानकारी है. यह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में पीरपंजाल के दक्षिण में सभी सैन्य अभियानों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है.
उधमपुर उत्तरी मोर्चे में सभी सैन्य नियोजन का मुख्य केंद्र है और अब पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) दोनों पर परिचालन में लगा हुआ है. एक अन्य स्रोत ने हालांकि सूचना के नुकसान की सीमा पर संदेह किया है. उन्होंने कहा कि आजकल सूचना का कड़ाई से संरक्षण किया जाता है. शाखा या विभाग जितना संवेदनशील होता है उतनी ही गोपनीयता के दिशा-निर्देश होते हैं. इसके अलावा हर चीज को 'जानने की जरूरत' के आधार पर नियंत्रित किया जाता है. अगर कोई जवान महत्वपूर्ण और संवेदनशील दस्तावेज चुराता है तो यह कहना संदेहास्पद है.
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संपर्क किए जाने पर भारतीय सेना ने पुष्टि की कि सुरक्षा उल्लंघन वास्तव में हुआ है. एक सूत्र ने कहा कि बहुत अधिक जानकारी या डाटा बेस की चोरी नहीं हुई है. हालांकि यह ऐसे समय में हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के निदेशक सैन्य अभियान (DGMOs) के जनरलों को आगे के टकराव को रोकने के लिए गुरुवार को संघर्ष विराम समझौते पर सहमति जताई थी.