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भाजपा शासित राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार चिंतित - सत्ताधारी पार्टी भाजपा

देश भर में कोरोना के मामले अभी भी बेकाबू हैं. भाजपा शासित राज्यों की बात की जाए तो यहां भी मामले कम नहीं हो रहे हैं. इन राज्यों ने विपक्ष को सवाल उठाने का मौका कैसे दिया है? 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में जानते हैं.

गोपाल कृष्ण
गोपाल कृष्ण
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Published : May 13, 2021, 11:08 AM IST

नई दिल्ली : कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र सरकार से लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार गैर भाजपा शासित राज्यों को तंज कस रही है लेकिन आंकड़े भाजपा शासित राज्यों के भी बहुत अच्छे नहीं हैं. यह पार्टी और केंद्र सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय है. कोविड-19 को लेकर भाजपा शासित राज्यों के कई जनप्रतिनिधियों ने भी अपने ही मुख्यमंत्रियों के मैनेजमेंट को लेकर पत्र लिखा है तो कहीं सवाल उठा दिया जिससे रही सही साख भी इन राज्य सरकारों की दांव पर लगी है. कोविड-19 प्रबंधन को लेकर इन सरकारों की खूब किरकिरी हो रही है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या फिर बिहार में बकौल भाजपा चल रही डबल इंजन की सरकार हो. एक के बाद एक इन राज्यों में कोविड-19 मैनेजमेंट को लेकर ऐसी घटनाएं और तस्वीरें सामने आ रही हैं जो कहीं ना कहीं मानवता को हिलाकर रख देने वाली हैं.

गोपाल कृष्ण

हालांकि डब्ल्यूएचओ ने उत्तर प्रदेश सरकार के गांव में संक्रमण रोकने के लिए की गई कार्रवाई की सराहना भी की है लेकिन बाकी राज्यों की तरह ही इन राज्यों पर भी उंगलियां कम नहीं उठाई जा रहीं.
बंगाल की चुनावी रैलियों और कुंभ के आयोजन को भले ही दरकिनार कर भाजपा दूसरी लहर और कोरोना के दूसरे वेरिएंट को भारत में फैलने के लिए किसान आंदोलन को दोषी ठहरा रही है लेकिन भाजपा शासित राज्य कोरोना को लेकर लगातार चर्चा में हैं.


भाजपा शासित राज्यों में भी हालात इतने खराब हो चुके हैं कि गुजरात हाईकोर्ट को जहां अप्रैल में स्वत संज्ञान लेना पड़ा वहीं, लखनऊ के डीएम का वह कथन भी काफी चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने यहां तक कह दिया कि लोग सड़क पर मर रहे हैं.इसी तरह भोपाल और इंदौर की रिपोर्ट और मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक द्वारा अपने ही मुख्यमंत्री पर दो दिन पहले लगाए गए आरोप जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर कोविड से संबंधित बुलाई गई बैठक के लिए तंज कसा गया था, काफी चर्चा का विषय हैं.

कई सरकारों पर उठ रही उंगलियां
उत्तर प्रदेश की व्यवस्था को तो खुद मंत्री बृजेश पाठक की लीक चिट्ठी ने उजागर किया था. मंत्री ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी कि अधिकारी उनकी बात की अनसुनी कर रहे हैं. केंद्र में मंत्री संतोष गंगवार ने भी कोविड-19 की व्यवस्था को लेकर असंतोष जाहिर किया था.


एनडीए की डबल इंजन की सरकार जिसकी दुहाई भाजपा बार-बार देती है वहां तो जैसे कोविड-19 की व्यवस्था की पोल खोल कर ही रख दी है. बक्सर में गंगा नदी के किनारे उतराती लाशों पर ना सिर्फ बिहार सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं बल्कि उंगलियां उत्तर प्रदेश सरकार पर भी उठ रही हैं.

एक महिला द्वारा बिहार के अलग-अलग अस्पतालों की लचर व्यवस्था को उजागर करने और मरीजों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार और बदसलूकी की घटना ने मानवता को हिला कर रख दिया है. राज्य सरकार की काफी आलोचना हो रही है.

इन घटनाओं ने सीधे-सीधे इन सरकारों की व्यवस्था पर विपक्ष को उंगली उठाने का मौका दे दिया है.


यह अलग बात है कि गैर भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ संक्रमण के लिहॉज से आगे हैं लेकिन वहीं दूसरा सच यह भी है कि अच्छी स्थिति में कोई भी राज्य नहीं है. चाहे बात उत्तर प्रदेश की कर लें, मध्य प्रदेश की कर लें या फिर बिहार की करें. भाजपा शासित कर्नाटक की स्थिति भी सुकून से सांस लेने लायक नहीं है.

तमिलनाडु की स्थिति भी अभी तक सुधार के रास्ते पर नहीं है जहां एआईएडीएमके भाजपा की सहयोगी दल सत्ता में है. संक्रमण के मामले में गोवा भी प्रति दस लाख में मौतों के आंकड़े में काफी आगे है, वहीं लद्दाख की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है जबकि हिमाचल की स्थिति एक समय केरल से भी बदतर हो चुकी थी. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा लगातार विपक्ष शासित प्रदेशों पर लगाए जा रहे आरोप कहीं ना कहीं बेमानी साबित हो रहे हैं.

मिलकर काम करने की बजाय गलतफहमी फैला रहा विपक्ष : गोपाल कृष्ण
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि कोरोना की त्रासदी ने कुछ प्रदेश को नहीं बल्कि पूरे भारत को अपने आगोश में ले लिया है. ऐसे समय में विपक्ष इस कोरोना की लड़ाई में सरकार के साथ मिलकर काम करने की बजाय, अलग-अलग बिंदुओं को उठाकर लोगों के बीच गलतफहमी फैला रहा है.

राज्य सरकारों को चाहिए कि केंद्र के साथ मिलकर लड़ें, लेकिन महाराष्ट्र और दिल्ली में केंद्र सरकार पर केवल आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि यह बात अच्छी है कि महाराष्ट्र में अब कोरोना की लहर कम हो रही है लेकिन दिल्ली अभी भी चपेट में है और लोग जूझ रहे हैं.

भाजपा प्रवक्ता का यह भी दावा है कि यदि उत्तर प्रदेश को देखें तो योगी सरकार ने जिस तरह काम किया है, गांव-गांव में संक्रमण को रोकने के लिए लगभग 97000 लोगों को भेजकर हर घर में कोविड-19 के टेस्ट करवाए हैं. जो व्यवस्थाएं की हैं उसकी तारीफ की है.

डब्ल्यूएचओ ने दोबारा 2000 लोगों की टीम भेजकर गांव में जांच करवाई और अपनी रिपोर्ट में कहा कि योगी आदित्यनाथ ने अतुलनीय ढंग से करोना की लड़ाई को लड़ा है और गांव में फैलने से इसे काफी हद तक बचाया है.

पढ़ें- देश के कई राज्यों में कबाड़ हो रहे हैं पीएम केयर्स के तहत मिले वेंटिलेटर
भाजपा प्रवक्ता का ये भी कहना है कि महाराष्ट्र में डॉक्टर, बीएमसी कमिश्नर ने भी काफी अच्छा काम किया है. केरला में भी काफी अच्छा काम हुआ है. कुछ प्रदेशों में त्रासदी ज्यादा है कुछ में कम है और कुछ में नियंत्रित है. केंद्र सरकार ऑक्सीजन और वैक्सीन की उपलब्धता करा रही है. उम्मीद है कि जल्दी ही हर राज्य में स्थिति नियंत्रण में होगी.

नई दिल्ली : कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर केंद्र सरकार से लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार गैर भाजपा शासित राज्यों को तंज कस रही है लेकिन आंकड़े भाजपा शासित राज्यों के भी बहुत अच्छे नहीं हैं. यह पार्टी और केंद्र सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय है. कोविड-19 को लेकर भाजपा शासित राज्यों के कई जनप्रतिनिधियों ने भी अपने ही मुख्यमंत्रियों के मैनेजमेंट को लेकर पत्र लिखा है तो कहीं सवाल उठा दिया जिससे रही सही साख भी इन राज्य सरकारों की दांव पर लगी है. कोविड-19 प्रबंधन को लेकर इन सरकारों की खूब किरकिरी हो रही है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या फिर बिहार में बकौल भाजपा चल रही डबल इंजन की सरकार हो. एक के बाद एक इन राज्यों में कोविड-19 मैनेजमेंट को लेकर ऐसी घटनाएं और तस्वीरें सामने आ रही हैं जो कहीं ना कहीं मानवता को हिलाकर रख देने वाली हैं.

गोपाल कृष्ण

हालांकि डब्ल्यूएचओ ने उत्तर प्रदेश सरकार के गांव में संक्रमण रोकने के लिए की गई कार्रवाई की सराहना भी की है लेकिन बाकी राज्यों की तरह ही इन राज्यों पर भी उंगलियां कम नहीं उठाई जा रहीं.
बंगाल की चुनावी रैलियों और कुंभ के आयोजन को भले ही दरकिनार कर भाजपा दूसरी लहर और कोरोना के दूसरे वेरिएंट को भारत में फैलने के लिए किसान आंदोलन को दोषी ठहरा रही है लेकिन भाजपा शासित राज्य कोरोना को लेकर लगातार चर्चा में हैं.


भाजपा शासित राज्यों में भी हालात इतने खराब हो चुके हैं कि गुजरात हाईकोर्ट को जहां अप्रैल में स्वत संज्ञान लेना पड़ा वहीं, लखनऊ के डीएम का वह कथन भी काफी चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने यहां तक कह दिया कि लोग सड़क पर मर रहे हैं.इसी तरह भोपाल और इंदौर की रिपोर्ट और मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक द्वारा अपने ही मुख्यमंत्री पर दो दिन पहले लगाए गए आरोप जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर कोविड से संबंधित बुलाई गई बैठक के लिए तंज कसा गया था, काफी चर्चा का विषय हैं.

कई सरकारों पर उठ रही उंगलियां
उत्तर प्रदेश की व्यवस्था को तो खुद मंत्री बृजेश पाठक की लीक चिट्ठी ने उजागर किया था. मंत्री ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी कि अधिकारी उनकी बात की अनसुनी कर रहे हैं. केंद्र में मंत्री संतोष गंगवार ने भी कोविड-19 की व्यवस्था को लेकर असंतोष जाहिर किया था.


एनडीए की डबल इंजन की सरकार जिसकी दुहाई भाजपा बार-बार देती है वहां तो जैसे कोविड-19 की व्यवस्था की पोल खोल कर ही रख दी है. बक्सर में गंगा नदी के किनारे उतराती लाशों पर ना सिर्फ बिहार सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं बल्कि उंगलियां उत्तर प्रदेश सरकार पर भी उठ रही हैं.

एक महिला द्वारा बिहार के अलग-अलग अस्पतालों की लचर व्यवस्था को उजागर करने और मरीजों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार और बदसलूकी की घटना ने मानवता को हिला कर रख दिया है. राज्य सरकार की काफी आलोचना हो रही है.

इन घटनाओं ने सीधे-सीधे इन सरकारों की व्यवस्था पर विपक्ष को उंगली उठाने का मौका दे दिया है.


यह अलग बात है कि गैर भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ संक्रमण के लिहॉज से आगे हैं लेकिन वहीं दूसरा सच यह भी है कि अच्छी स्थिति में कोई भी राज्य नहीं है. चाहे बात उत्तर प्रदेश की कर लें, मध्य प्रदेश की कर लें या फिर बिहार की करें. भाजपा शासित कर्नाटक की स्थिति भी सुकून से सांस लेने लायक नहीं है.

तमिलनाडु की स्थिति भी अभी तक सुधार के रास्ते पर नहीं है जहां एआईएडीएमके भाजपा की सहयोगी दल सत्ता में है. संक्रमण के मामले में गोवा भी प्रति दस लाख में मौतों के आंकड़े में काफी आगे है, वहीं लद्दाख की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है जबकि हिमाचल की स्थिति एक समय केरल से भी बदतर हो चुकी थी. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा लगातार विपक्ष शासित प्रदेशों पर लगाए जा रहे आरोप कहीं ना कहीं बेमानी साबित हो रहे हैं.

मिलकर काम करने की बजाय गलतफहमी फैला रहा विपक्ष : गोपाल कृष्ण
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि कोरोना की त्रासदी ने कुछ प्रदेश को नहीं बल्कि पूरे भारत को अपने आगोश में ले लिया है. ऐसे समय में विपक्ष इस कोरोना की लड़ाई में सरकार के साथ मिलकर काम करने की बजाय, अलग-अलग बिंदुओं को उठाकर लोगों के बीच गलतफहमी फैला रहा है.

राज्य सरकारों को चाहिए कि केंद्र के साथ मिलकर लड़ें, लेकिन महाराष्ट्र और दिल्ली में केंद्र सरकार पर केवल आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि यह बात अच्छी है कि महाराष्ट्र में अब कोरोना की लहर कम हो रही है लेकिन दिल्ली अभी भी चपेट में है और लोग जूझ रहे हैं.

भाजपा प्रवक्ता का यह भी दावा है कि यदि उत्तर प्रदेश को देखें तो योगी सरकार ने जिस तरह काम किया है, गांव-गांव में संक्रमण को रोकने के लिए लगभग 97000 लोगों को भेजकर हर घर में कोविड-19 के टेस्ट करवाए हैं. जो व्यवस्थाएं की हैं उसकी तारीफ की है.

डब्ल्यूएचओ ने दोबारा 2000 लोगों की टीम भेजकर गांव में जांच करवाई और अपनी रिपोर्ट में कहा कि योगी आदित्यनाथ ने अतुलनीय ढंग से करोना की लड़ाई को लड़ा है और गांव में फैलने से इसे काफी हद तक बचाया है.

पढ़ें- देश के कई राज्यों में कबाड़ हो रहे हैं पीएम केयर्स के तहत मिले वेंटिलेटर
भाजपा प्रवक्ता का ये भी कहना है कि महाराष्ट्र में डॉक्टर, बीएमसी कमिश्नर ने भी काफी अच्छा काम किया है. केरला में भी काफी अच्छा काम हुआ है. कुछ प्रदेशों में त्रासदी ज्यादा है कुछ में कम है और कुछ में नियंत्रित है. केंद्र सरकार ऑक्सीजन और वैक्सीन की उपलब्धता करा रही है. उम्मीद है कि जल्दी ही हर राज्य में स्थिति नियंत्रण में होगी.

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