ETV Bharat / bharat

MP Noise Pollution: इंदौर में बढ़ता शोर, देश के सबसे स्वच्छ शहर में लोग हो रहे बहरेपन का शिकार - ध्वनि प्रदूषण के लिए डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को ध्वनि प्रदूषण अपने आगोश मे ले रहा है. शहर के रिहायशी इलाकों में भी WHO की गाइडलाइन से ज्यादा शोर रहता है. ट्रैफिक और विभिन्न कारणों से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में बहरेपन की समस्या बढ़ती जा रही है. आइए जानते हैं इंदौर में ध्वनि प्रदूषण का कितना गहरा असर पड़ रहा है.

MP Noise Pollution
इंदौर में बढ़ता शोर
author img

By

Published : Feb 6, 2023, 10:47 PM IST

इंदौर में बढ़ता शोर

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में बढ़ते ट्रैफिक और विभिन्न कारणों से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण के कारण यहां के लोगों में बहरेपन का खतरा बढ़ गया है. स्थिति यह है कि शहर के ट्रैफिक बहुल इलाकों में ध्वनि प्रदूषण और शोर घातक स्तर तक पहुंच गया है. नतीजतन ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता के साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियां और हृदय रोग की भी आशंकाएं बढ़ गई हैं. यही वजह है कि इंदौर शहर में इस तरह के मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते जब नाक कान गला विशेषज्ञ एवं ऐसे तमाम मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक भी लोगों को ध्वनि प्रदूषण को लेकर सचेत करते नजर आ रहे हैं.

ध्वनि प्रदूषण की वजह: इंदौर में सघन आबादी के बावजूद सड़कें संकरी होने और लाखों की तादाद में वाहन होने के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या ज्यादा है. शहर के रेडजोन माने जाने वाले पलासिया चौराहा, रीगल चौराहा, जवाहर मार्ग, राजवाड़ा, पाटनीपुरा चौराहा समेत अन्य इलाकों में शाम के समय ट्रैफिक बढ़ने पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर 75 डेसिबल से भी ज्यादा हो जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक इतनी ज्यादा तीव्रता का ध्वनि प्रदूषण किसी को भी बहरा बनाने के लिए काफी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाइडलाइन तय की है लेकिन इंदौर में यह स्थिति शहर के व्यवसाई आवासीय क्षेत्रों में हैं जो ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह बन कर उभर रही है.

'कोरोना कर रहा पुरुषों की मर्दानगी को कमजोर', जानें नई रिसर्च नें क्यों मचाया तहलका

ध्वनि प्रदूषण का मानक: डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित ध्वनि प्रदूषण मानकों के अनुसार 65 डेसीबल से अधिक का शोर मानव शरीर के लिए नुकसानदायक है. गाइडलाइन के मुताबिक व्यवसाय क्षेत्रों में 65 डेसिबल से अधिक ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए. इसी तरह रहवासी क्षेत्रों के लिए अधिकतम 55 और साइलेंस जोन के लिए 45 से 50 डेसिबल तय किया गया है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में यह 75 से ज्यादा अत्यधिक नुकसानदायक बताया गया है जिसके कारण न केवल सुनने की क्षमता बल्कि उच्च रक्तचाप तनाव अनिद्रा ध्यान केंद्रित ना होना और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

युवा पीढ़ी इयरफोन की शिकार: इंदौर समेत देशभर में 12 वर्ष से 35 साल की आयु के जो लोग लगातार कान में इयर फोन लगाकर गाने सुनते हैं अथवा अलग-अलग म्यूजिक सुनते हैं उससे भी बहरापन लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा लगातार सुनाई देने वाले संगीत एवं शोर-शराबे से कान के परदे से संबंधित बीमारियां भी उभर रही हैं यही स्थिति इंदौर में भी है. 4 पहिया वाहन के अलावा दुपहिया वाहनों पर भी लोग इयरफोन लगाकर चलते हैं इससे कई बार दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है.

इंदौर को मिलेगा नया कन्वेंशन सेंटर, सुपर कॉरिडोर में बनेगा प्रदेश का सबसे बड़ा सिटिंग हॉल

कचरा गाड़ियों से भी ध्वनि प्रदूषण: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के 85 वार्डों में घर-घर से कचरा कलेक्शन के लिए नगर निगम के जो वाहन लगाए गए हैं उन पर बजने वाला गाना एवं प्रेशर हॉर्न भी रिहायशी क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह है. आबादी क्षेत्रों में कचरा कलेक्शन के लिए लोगों को गाड़ी आने की सूचना हो जाए इस कोशिश में गाड़ियों से जो स्वच्छता गान बजाया जाता है वह भी अत्यधिक तेज बजाने से रहवासी क्षेत्रों में काफी देर तक ध्वनि प्रदूषण की वजह बना रहता है.

इंदौर में बढ़ता शोर

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में बढ़ते ट्रैफिक और विभिन्न कारणों से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण के कारण यहां के लोगों में बहरेपन का खतरा बढ़ गया है. स्थिति यह है कि शहर के ट्रैफिक बहुल इलाकों में ध्वनि प्रदूषण और शोर घातक स्तर तक पहुंच गया है. नतीजतन ध्वनि प्रदूषण से सुनने की क्षमता के साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियां और हृदय रोग की भी आशंकाएं बढ़ गई हैं. यही वजह है कि इंदौर शहर में इस तरह के मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते जब नाक कान गला विशेषज्ञ एवं ऐसे तमाम मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक भी लोगों को ध्वनि प्रदूषण को लेकर सचेत करते नजर आ रहे हैं.

ध्वनि प्रदूषण की वजह: इंदौर में सघन आबादी के बावजूद सड़कें संकरी होने और लाखों की तादाद में वाहन होने के कारण ध्वनि प्रदूषण की समस्या ज्यादा है. शहर के रेडजोन माने जाने वाले पलासिया चौराहा, रीगल चौराहा, जवाहर मार्ग, राजवाड़ा, पाटनीपुरा चौराहा समेत अन्य इलाकों में शाम के समय ट्रैफिक बढ़ने पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर 75 डेसिबल से भी ज्यादा हो जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक इतनी ज्यादा तीव्रता का ध्वनि प्रदूषण किसी को भी बहरा बनाने के लिए काफी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाइडलाइन तय की है लेकिन इंदौर में यह स्थिति शहर के व्यवसाई आवासीय क्षेत्रों में हैं जो ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह बन कर उभर रही है.

'कोरोना कर रहा पुरुषों की मर्दानगी को कमजोर', जानें नई रिसर्च नें क्यों मचाया तहलका

ध्वनि प्रदूषण का मानक: डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित ध्वनि प्रदूषण मानकों के अनुसार 65 डेसीबल से अधिक का शोर मानव शरीर के लिए नुकसानदायक है. गाइडलाइन के मुताबिक व्यवसाय क्षेत्रों में 65 डेसिबल से अधिक ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए. इसी तरह रहवासी क्षेत्रों के लिए अधिकतम 55 और साइलेंस जोन के लिए 45 से 50 डेसिबल तय किया गया है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में यह 75 से ज्यादा अत्यधिक नुकसानदायक बताया गया है जिसके कारण न केवल सुनने की क्षमता बल्कि उच्च रक्तचाप तनाव अनिद्रा ध्यान केंद्रित ना होना और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

युवा पीढ़ी इयरफोन की शिकार: इंदौर समेत देशभर में 12 वर्ष से 35 साल की आयु के जो लोग लगातार कान में इयर फोन लगाकर गाने सुनते हैं अथवा अलग-अलग म्यूजिक सुनते हैं उससे भी बहरापन लगातार बढ़ रहा है. इसके अलावा लगातार सुनाई देने वाले संगीत एवं शोर-शराबे से कान के परदे से संबंधित बीमारियां भी उभर रही हैं यही स्थिति इंदौर में भी है. 4 पहिया वाहन के अलावा दुपहिया वाहनों पर भी लोग इयरफोन लगाकर चलते हैं इससे कई बार दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है.

इंदौर को मिलेगा नया कन्वेंशन सेंटर, सुपर कॉरिडोर में बनेगा प्रदेश का सबसे बड़ा सिटिंग हॉल

कचरा गाड़ियों से भी ध्वनि प्रदूषण: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के 85 वार्डों में घर-घर से कचरा कलेक्शन के लिए नगर निगम के जो वाहन लगाए गए हैं उन पर बजने वाला गाना एवं प्रेशर हॉर्न भी रिहायशी क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह है. आबादी क्षेत्रों में कचरा कलेक्शन के लिए लोगों को गाड़ी आने की सूचना हो जाए इस कोशिश में गाड़ियों से जो स्वच्छता गान बजाया जाता है वह भी अत्यधिक तेज बजाने से रहवासी क्षेत्रों में काफी देर तक ध्वनि प्रदूषण की वजह बना रहता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.