नई दिल्ली : पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत, ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए चीन समेत कई अन्य देशों से बहुत ज्यादा प्रयास कर रहा है और 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की सीओपी26 में की गई उसकी प्रतिज्ञा 'असल जलवायु कार्रवाई' है.
ग्लासगो में 26वें अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में सोमवार को अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए बड़े वादे की सराहना करते हुए, पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि प्रतिज्ञा करके, भारत ने एक हजार अरब डॉलर की जलवायु निधि के वादे को पूरा करने के लिए गेंद विकसित देशों के पाले में डाल दी है. जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता एवं 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट' की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि भारत ने अपना खाका तैयार कर लिया है, और गैर-जीवाश्म ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन तीव्रता में कमी के लक्ष्य 2030 तक एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के रास्ते हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, '50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य, 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन, 45 प्रतिशत कार्बन तीव्रता का लक्ष्य सभी 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन कमी को हासिल करने के रास्ते हैं. भारत ने अपना खाका तैयार कर लिया है, यह आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) से ज्यादा और चीन से निश्चित तौर पर ज्यादा है. भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को बढ़ाना विश्व के लिए ज्यादा कार्रवाई करने की चुनौती पेश करता है.'
नारायण ने ट्वीट किया, 'हम 2030 तक एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेंगे; प्रति व्यक्ति 2.31 टन जो अमेरिका में प्रति व्यक्ति 9.4 टन और चीन के 9 टन/प्रति व्यक्ति के मुकाबले कम होगा. कोई सवाल ही नहीं है कि वह जो कह रहा है वह होगा.' हालांकि, उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री से ज्यादा न बढ़ने देने के लिए शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य दुनिया को 2050 तक प्राप्त करना होगा.
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नारायण ने कहा, 'दुनिया को 2050 तक शून्य उत्सर्जन के लिए, चीन को 2040 तक और ओईसीडी देशों को 2030 तक उत्सर्जन शून्य करना होगा. यही कारण है कि शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य असमान है और जलवायु परिवर्तन से निपटने को अस्पष्ट एवं अप्रभावी बनाता है. हम बेहतर के लायक हैं.'
ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद की संस्थापक अरुणाभा घोष ने कहा, 'मैं कम कार्बन उत्सर्जन के संबंध में एक साहसिक बयान देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भारत को बधाई देना चाहती हूं. भारत ने स्पष्ट रूप से गेंद को विकसित देशों के पाले में डाल दिया है. यह वास्तविक जलवायु कार्रवाई है.' घोष ने कहा, 'अब भारत जल्द से जल्द एक हजार अरब डॉलर की जलवायु निधि की मांग करता है और वह न सिर्फ जलवायु कार्रवाई की निगरानी करेगा बल्कि जलवायु वित्त भी मुहैया कराएगा. सबसे अहम यह है कि भारत ने एक बार फिर जीवनशैली में बदलाव का आह्वान किया है. हम कैसे जीते हैं, इसे अगर हमने अभी नहीं बदला तो, हम जिस धरती पर रह रहे हैं उसे ठीक नहीं कर सकते.'
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इसी तरह की प्रतिक्रिया में, 'क्लाइमेट ट्रेंड्स' की निदेशक, आरती खोसला ने कहा,'2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता की घोषणा करके, भारत ने वैश्विक आह्वान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और यह ग्लासगो में आज की सबसे अच्छी जलवायु कार्रवाई थी.' 'इंटरनेशनल सोलर अलायंस' के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी और गैर जीवाश्म क्षमता का 500 गीगा वाट तक विस्तार बहुत ही व्यापक और परिवर्तनकारी कदम हैं.' 'आईफारेस्ट' के सीईओ चंद्र भूषण ने बड़ी घोषणाओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी और कहा कि जलवायु संकट के समाधान मे ये कदम दूरगामी असर डालेंगे.
'डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया' के सीईओ एवं महासचिव रवि सिंह ने कहा 'सीओपी26 में भारत की प्रतिबद्धता और वैश्विक नेतृत्व के जरिये प्रधानमंत्री ने साहसिक कदम उठाया है और उनके द्वारा जाहिर पांच प्रतिबद्धताओं ने कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में रास्ते और भारत की स्थिति को रेखांकित किया है.'
(पीटीआई-भाषा)