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क्वांटम सेंसर की तलाश में India Navy, 2050 तक पनडुब्बी युग का अंत संभव : भारतीय नौसेना

विशिष्ट सैन्य प्रौद्योगिकियों के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) क्वांटम सेंसिंग टूल्स के (Quantum Sensing Tools) अधिग्रहण की योजना बना रही है. जो कि महासागरों को पारदर्शी और पनडुब्बियों को बेमानी (Redundant to submarines) बना देगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरूआ की रिपोर्ट.

Indian Navy Chief Admiral R Hari Kumar File photo
भारतीय नौसेना चीफ एडमिरल आर हरि कुमार फाइल फोटो
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Published : Dec 3, 2021, 7:48 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना (Indian Navy) भविष्य के क्वांटम सेंसर विकसित करने और हासिल करने के लिए उत्सुक है. जो कि महासागरों को पारदर्शी और पनडुब्बियों को बेमानी बनाकर सैन्य और आधुनिक नौसैनिक युद्ध के क्षेत्र में क्रांति (Revolution in the field of modern naval warfare) ला सकता है.

वार्षिक नौसेना दिवस मीडिया प्रेस कॉन्फ्रेंस (Annual Navy Day Media Press Conference) के मौके पर नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के बीच हम क्वांटम सेंसर की तलाश कर रहे हैं. जिसके लिए निजी व सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में बहुत सारी शोध गतिविधियां संचालित हो रही हैं. यह तकनीक ये सुनिश्चित करेगी कि पनडुब्बियों के पास छिपने के लिए कोई जगह नहीं है.

पनडुब्बियां, आज सबसे उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों में से हैं जो बहु-भूमिका संचालन में सक्षम हैं. उनकी शक्ति उनकी गुप्त क्षमता में निहित है, जिसके कारण वे सबसे अधिक परमाणु स्ट्राइक फोर्स होने के अलावा समुद्र में घूम सकती हैं. वहीं, परमाणु और उप-परमाणु कणों के व्यवहार के आधार पर क्वांटम सेंसर, गहरे पानी के नीचे या अंतरिक्ष में जीपीएस क्षमताओं की अनुपस्थिति में गति का पता लगा सकते हैं और ट्रैक भी कर सकते हैं.

आधुनिक युद्ध में इस तरह की विघटनकारी तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार (Indian Navy chief Admiral R Hari Kumar) ने अपने संबोधन में कहा कि उनका उद्देश्य समुद्र में अपना काम करने के बेहतर तरीके खोजने की तकनीक तलाश करना है.

एडमिरल कुमार ने तीन दिन पहले 30 नवंबर 2021 को पूर्व प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह से पदभार संभाला था. उदाहरणों का हवाला देते हुए एडमिरल कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष हमने नौसेना के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियों या उत्पादों को विकसित करने की दिशा में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 35 से अधिक स्टार्टअप और एमएसएमई को समर्थन दिया है.

इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना द्वारा डीआरडीओ के साथ साझेदारी में 17 प्रौद्योगिकी विकास कोष (Technology Development Fund) परियोजनाओं का अनुसरण किया जा रहा है. जो कि प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए हैं जो हमारे प्लेटफॉर्म पर फिट किए जाने वाले उपकरणों का निर्माण करेंगे.

पिछले साल से डीआरडीओ (Defense Research and Development Organization) ने वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक चुनिंदा टीम द्वारा निर्देशित अनुसंधान और विकास गतिविधियों का संचालन करने के लिए मुंबई में एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला में युवा वैज्ञानिकों को लगाया गया है.

ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (Australian National University) के राष्ट्रीय सुरक्षा कॉलेज द्वारा एक व्यापक अध्ययन की पृष्ठभूमि में यह दावा महत्वपूर्ण है कि अगली पीढ़ी की परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियां 2030 और उससे आगे तैनात रहेंगी. हालांकि 2050 तक दुनिया के महासागर पारदर्शी हो जाएंगे और 2050 के दशक में पनडुब्बी युग का अंत होने की संभावना है.

भारत-चीन के मोर्चे पर सीएनएस ने कहा कि भारतीय नौसेना किसी भी सुरक्षा खतरे का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम है. यहां तक ​​कि उन्होंने थियेटराइजेशन प्रयास का पूरी तरह से समर्थन किया जिसमें एक समुद्री थिएटर कमांड की स्थापना शामिल है.

यह कहते हुए कि पीएलए नौसेना 2008 से हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद हैं. प्रमुख ने कहा कि हम चीनी नौसेना के विकास से अवगत हैं. उन्होंने पिछले 10 वर्षों में 138 जहाजों का निर्माण किया है. प्रत्येक राष्ट्र को अपनी क्षमता विकास का अधिकार है. हम अपने क्षेत्र के सभी घटनाक्रमों पर नजर रखते हैं.

नौसेना में चीन की तेजी से वृद्धि पर एडमिरल कुमार ने कहा कि यह केवल संख्या नहीं है जो मायने रखती है. यह लोगों के बारे में भी है कि आप अपने पास मौजूद हथियारों का इस्तेमाल कैसे करते हैं. आपकी रणनीति और आपकी संचालन संबंधी योजनाएं आदि क्या हैं.

एडमिरल कुमार ने कहा कि नौसेना के लिए 1,97,359 करोड़ रुपये की 72 परियोजनाओं के लिए स्वीकृति का अनुमोदन किया गया है. इनमें से 1,74,027 करोड़ रुपये की 59 परियोजनाओं को स्वदेशी रूप से लागू किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- नौसेना प्रमुख ने कहा- कम हुईं नौकरशाही, युद्धपोतों पर हुई महिला अधिकारियों की तैनाती

उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों और कोविड -19 के प्रतिकूल प्रभाव के कारण दक्षिण एशिया में जटिल सुरक्षा स्थिति के बावजूद भारतीय नौसेना ने एक एकजुट टीम के रूप में परिचालन गति को बनाए रखा और देश की सुरक्षा सुनिश्चित की है. एडमिरल कुमार ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना के हर बड़े युद्धपोत पर महिला अधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना (Indian Navy) भविष्य के क्वांटम सेंसर विकसित करने और हासिल करने के लिए उत्सुक है. जो कि महासागरों को पारदर्शी और पनडुब्बियों को बेमानी बनाकर सैन्य और आधुनिक नौसैनिक युद्ध के क्षेत्र में क्रांति (Revolution in the field of modern naval warfare) ला सकता है.

वार्षिक नौसेना दिवस मीडिया प्रेस कॉन्फ्रेंस (Annual Navy Day Media Press Conference) के मौके पर नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के बीच हम क्वांटम सेंसर की तलाश कर रहे हैं. जिसके लिए निजी व सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में बहुत सारी शोध गतिविधियां संचालित हो रही हैं. यह तकनीक ये सुनिश्चित करेगी कि पनडुब्बियों के पास छिपने के लिए कोई जगह नहीं है.

पनडुब्बियां, आज सबसे उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों में से हैं जो बहु-भूमिका संचालन में सक्षम हैं. उनकी शक्ति उनकी गुप्त क्षमता में निहित है, जिसके कारण वे सबसे अधिक परमाणु स्ट्राइक फोर्स होने के अलावा समुद्र में घूम सकती हैं. वहीं, परमाणु और उप-परमाणु कणों के व्यवहार के आधार पर क्वांटम सेंसर, गहरे पानी के नीचे या अंतरिक्ष में जीपीएस क्षमताओं की अनुपस्थिति में गति का पता लगा सकते हैं और ट्रैक भी कर सकते हैं.

आधुनिक युद्ध में इस तरह की विघटनकारी तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार (Indian Navy chief Admiral R Hari Kumar) ने अपने संबोधन में कहा कि उनका उद्देश्य समुद्र में अपना काम करने के बेहतर तरीके खोजने की तकनीक तलाश करना है.

एडमिरल कुमार ने तीन दिन पहले 30 नवंबर 2021 को पूर्व प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह से पदभार संभाला था. उदाहरणों का हवाला देते हुए एडमिरल कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष हमने नौसेना के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियों या उत्पादों को विकसित करने की दिशा में विभिन्न परियोजनाओं के लिए 35 से अधिक स्टार्टअप और एमएसएमई को समर्थन दिया है.

इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना द्वारा डीआरडीओ के साथ साझेदारी में 17 प्रौद्योगिकी विकास कोष (Technology Development Fund) परियोजनाओं का अनुसरण किया जा रहा है. जो कि प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए हैं जो हमारे प्लेटफॉर्म पर फिट किए जाने वाले उपकरणों का निर्माण करेंगे.

पिछले साल से डीआरडीओ (Defense Research and Development Organization) ने वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की एक चुनिंदा टीम द्वारा निर्देशित अनुसंधान और विकास गतिविधियों का संचालन करने के लिए मुंबई में एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला में युवा वैज्ञानिकों को लगाया गया है.

ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (Australian National University) के राष्ट्रीय सुरक्षा कॉलेज द्वारा एक व्यापक अध्ययन की पृष्ठभूमि में यह दावा महत्वपूर्ण है कि अगली पीढ़ी की परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियां 2030 और उससे आगे तैनात रहेंगी. हालांकि 2050 तक दुनिया के महासागर पारदर्शी हो जाएंगे और 2050 के दशक में पनडुब्बी युग का अंत होने की संभावना है.

भारत-चीन के मोर्चे पर सीएनएस ने कहा कि भारतीय नौसेना किसी भी सुरक्षा खतरे का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम है. यहां तक ​​कि उन्होंने थियेटराइजेशन प्रयास का पूरी तरह से समर्थन किया जिसमें एक समुद्री थिएटर कमांड की स्थापना शामिल है.

यह कहते हुए कि पीएलए नौसेना 2008 से हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद हैं. प्रमुख ने कहा कि हम चीनी नौसेना के विकास से अवगत हैं. उन्होंने पिछले 10 वर्षों में 138 जहाजों का निर्माण किया है. प्रत्येक राष्ट्र को अपनी क्षमता विकास का अधिकार है. हम अपने क्षेत्र के सभी घटनाक्रमों पर नजर रखते हैं.

नौसेना में चीन की तेजी से वृद्धि पर एडमिरल कुमार ने कहा कि यह केवल संख्या नहीं है जो मायने रखती है. यह लोगों के बारे में भी है कि आप अपने पास मौजूद हथियारों का इस्तेमाल कैसे करते हैं. आपकी रणनीति और आपकी संचालन संबंधी योजनाएं आदि क्या हैं.

एडमिरल कुमार ने कहा कि नौसेना के लिए 1,97,359 करोड़ रुपये की 72 परियोजनाओं के लिए स्वीकृति का अनुमोदन किया गया है. इनमें से 1,74,027 करोड़ रुपये की 59 परियोजनाओं को स्वदेशी रूप से लागू किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- नौसेना प्रमुख ने कहा- कम हुईं नौकरशाही, युद्धपोतों पर हुई महिला अधिकारियों की तैनाती

उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों और कोविड -19 के प्रतिकूल प्रभाव के कारण दक्षिण एशिया में जटिल सुरक्षा स्थिति के बावजूद भारतीय नौसेना ने एक एकजुट टीम के रूप में परिचालन गति को बनाए रखा और देश की सुरक्षा सुनिश्चित की है. एडमिरल कुमार ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना के हर बड़े युद्धपोत पर महिला अधिकारियों की नियुक्ति की गई है.

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