नागपुर: दृष्टिबाधित लोगों के लिए भारत का पहला रेडियो चैनल नागपुर में लॉन्च किया गया है. यह अवधारणा नेत्रहीनों की पहुंच शिक्षा संसाधनों और ऑडियोबुक तक सहज करने में मदद करेगा. साथ ही दृष्टिहीन लोगों को डिजिटल उपकरणों पर उपलब्ध कराई जा रही ऑडियोबुक का विकल्प भी देगा. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसके माध्यम से विभिन्न विषयों को शामिल करने वाले शैक्षिक संसाधन भी दृष्टिबाधित लोगों को उपलब्ध कराए जाएंगे. जो एफएम और एएम रेडियो के विपरीत कहीं से भी सूचना के इस विशाल बैंक तक पहुंच सकते हैं. इसमें इंटरनेट रेडियो की तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती.
चैनल के समन्वयक और समद्रष्टि के सदस्य शिरीष दरवेकर ने बताया कि प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की समर्पित टीम जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, इस रेडियो चैनल के लिए सामग्री का निर्माण करती हैं. जिसे भारत और दुनिया भर में दृष्टिबाधित लोगों तक आसानी पहुंचाया जा सकता है. इसका कंटेंट, रिकॉर्डिंग, ध्वनि संपादन और एडिटिंग सावधानी पूर्वक किया जाता है, जिसमें पूरी टीम मिलकर काम करती है.
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से दृष्टिबाधित लोग हमारे पास आते हैं और हमारे द्वारा अपने उपकरणों पर ऑडियोबुक बनवाते हैं. लेकिन COVID-19 की वजह से यह रुक गया था. इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई. इसलिए हमने एक स्टैंड-बाय व्यवस्था के बारे में सोचा. हमें भारत में इंटरनेट रेडियो के लॉन्च के बारे में पता चला और हम इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के संपर्क में आए. हालांकि हमारी आवश्यकताएं उनके अलग तरह की थीं लेकिन उन्होंने सहयोग का वादा किया. यह शायद है नेत्रहीनों के लिए पहला इंटरनेट रेडियो है.
उन्होंने बताया कि हमारे पास रेडियो के विभिन्न विषयों के लिए प्रस्तोता हैं. हमारे पास 20 लोगों की टीम है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं, जो गृहिणियां हैं. वे प्रशिक्षित हैं और अपने काम को अच्छी तरह जानती हैं. किसी को कोई भुगतान भी नहीं किया जाता है. सभी में सहयोगी की भावना है. दरवेकर ने कहा कि उनका चैनल सीमित हो गया है, फिर भी लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. यह भी कहा कि यह सेवा आने वाले दिनों में और अधिक व्यापक होगी.
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यह चैनल प्ले स्टोर और ऐप्पल पर दोनों जगह उपलब्ध है. केवल दो से चार दिनों में हमारे पास लगभग 161 श्रोता हैं. यह बहुत ही उत्साहजनक तस्वीर पेश करता है. चैनल के लिए काम करने वाले स्वयंसेवकों में से एक ने कहा कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए ऐसी चीजें करने से मुझे खुशी मिलती है. वे अपने घरों से रेडियो अक्ष के माध्यम से अध्ययन कर सकते हैं. मुझे इसके लिए कुछ फुर्सत का समय मिलता है और हर दिन दोपहर में एक या दो घंटे का योगदान देता हूं. चैनल के लाभार्थियों में से एक ने बताया कि रेडियो चैनल बड़े लाभ के रूप में कार्य करता है क्योंकि ब्रेल लिपियों में किताबें हमेशा उपलब्ध नहीं होती हैं. उन्होंने कहा कि अब हमें और जानकारी मिलेगी और हमारी पढ़ाई आसान हो जाएगी. हमें ऐसा महसूस होता है जैसे हम कक्षाओं में भाग ले रहे हैं. दृष्टिबाधित लोगों के लिए यह एक अच्छी पहल है.
(ANI)