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सेना प्रमुख ने ड्रोन को करार दिया 'नई चुनौती'

सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ड्रोन की आसानी से उपलब्धता ने सुरक्षा चुनौतियों की जटिलता बढ़ा दी है. इस पर पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

सेना प्रमुख
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Published : Jul 1, 2021, 3:32 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 10:19 PM IST

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे (Army Chief Gen M M Naravane) ने गुरुवार को कहा कि ड्रोन की आसानी से उपलब्धता ने सुरक्षा चुनौतियों की जटिलता बढ़ा दी है और भारतीय सेना खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने की क्षमताएं विकसित कर रही है चाहे ये खतरे देश प्रायोजित हों या देशों ने खुद पैदा किए हों.

यह दिलचस्प समय हैं, क्योंकि दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग (एमएल) से लेकर स्वायत्त और मानव रहित सिस्टम तक विघटनकारी प्रौद्योगिकियां सैन्य प्रौद्योगिकी की तेजी से चर्चा का विषय बन रही हैं, यहां तक ​​​​कि इस क्षेत्र में भारत भी अपनी तैयारी कर रहा है.

एक विचार समूह (थिंक टैंक) में दिए गए संबोधन में जनरल नरवणे ने कहा कि सुरक्षा प्रतिष्ठान चुनौतियों से अवगत हैं और इनसे निपटने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि हम खतरे से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित कर रहे हैं, चाहे ये खतरे देश प्रायोजित हों या खुद देशों ने पैदा किए हों. हम गतिज और गैर गतिज क्षेत्र दोनों में ड्रोन खतरे से निपटने की क्षमताएं विकसित कर रहे हैं. जनरल नरवणे से जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हाल में हुए ड्रोन हमले के बारे में पूछा गया था.

27 जून मंगलवार को कालूचक और रत्नुचक क्षेत्रों में सैन्य शिविरों पर ड्रोन देखे गए, जिन पर भी गोलीबारी की गई थी . केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू में वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन हमलों की जांच औपचारिक रूप से एनआईए को सौंपने के आदेश जारी किए हैं.

जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (Line of Control ) पर हालात पर सेना प्रमुख ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच फरवरी में हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद नियंत्रण रेखा पर कोई घुसपैठ नहीं हुई. उन्होंने कहा कि कोई घुसपैठ न होने के कारण कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या कम है और आतंकवाद से संबंधित घटनाएं भी कम हुई हैं.

हालांकि, जनरल नरवणे ने ऐसी उभरती सैन्य प्रौद्योगिकियों के नैतिक आयामों पर भी आगाह किया, जो उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने में विफल रहने पर अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं.

जनरल नरवणे ने कहा कि पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है और बदलाव लाने के लिए तथा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए प्रक्रिया को और लचीला तथा अनुकूल बनाना जरूरी है ताकि भविष्य में होने वाली जंग के लिए तैयार हुआ जा सके तथा उभरती चुनौतियों से निपटा जा सके.

सेना प्रमुख ने जानेमाने सैन्य इतिहासकार बी एच लिडेल हार्ट के प्रसिद्ध उद्धरण का भी जिक्र किया कि सेना की सोच में किसी नये विचार को अपनाने से ज्यादा कठिन चीज केवल पुराने विचार को त्यागना है.

नये जमाने की सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि ड्रोन बनाना बड़ी सरल परियोजना हो गयी है जिसे घर पर भी किया जा सकता है. उन्होंने ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल द्वारा आयोजित डिजिटल सम्मेलन में कहा कि ड्रोनों की आसानी से उपलब्धता निश्चित रूप से हमारे सामने जटिलताओं और चुनौतियों को बढ़ाती है. हमारे सामने यह समस्या है और हमने कुछ उपाय किये हैं.

सेना प्रमुख ने कहा कि धरातल पर मौजूद सैनिकों को उभरते खतरे के बारे में जागरुक किया गया है तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित की जा रही हैं, चाहे वे किसी देश से हों या देश प्रायोजित तत्वों से.

भारतीय सेना को एआई की अपार क्षमताओं और शक्तियों को एक्स्प्लॉइट करने की जरूरत है. 2018 में स्थापित एआई पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय सेना ने अपनी AI संचालित योजनाओं और योजनाओं के प्रसार और कार्यान्वयन को भी सुव्यवस्थित किया है. हमने कुछ चुनिंदा एआई प्रौद्योगिकियों की पहचान की है और संगठन के भीतर डोमेन विशेषज्ञता के आधार पर उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमला : एनएसजी, सीआईएसएफ प्रमुखों ने किया निरीक्षण

उन्होंने कहा कि हमेशा ऐसे तत्व रहेंगे जो शांति और विकास की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश करेंगे, हमें इसका ध्यान रखना होगा. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया.

जनरल नरवणे ने कहा कि हमारा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद रोधी और घुसपैठ रोधी मजबूत तंत्र है तथा शांति एवं सामंजस्य सुनिश्चित करने का हमारा अभियान जारी रहेगा.

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे (Army Chief Gen M M Naravane) ने गुरुवार को कहा कि ड्रोन की आसानी से उपलब्धता ने सुरक्षा चुनौतियों की जटिलता बढ़ा दी है और भारतीय सेना खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने की क्षमताएं विकसित कर रही है चाहे ये खतरे देश प्रायोजित हों या देशों ने खुद पैदा किए हों.

यह दिलचस्प समय हैं, क्योंकि दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग (एमएल) से लेकर स्वायत्त और मानव रहित सिस्टम तक विघटनकारी प्रौद्योगिकियां सैन्य प्रौद्योगिकी की तेजी से चर्चा का विषय बन रही हैं, यहां तक ​​​​कि इस क्षेत्र में भारत भी अपनी तैयारी कर रहा है.

एक विचार समूह (थिंक टैंक) में दिए गए संबोधन में जनरल नरवणे ने कहा कि सुरक्षा प्रतिष्ठान चुनौतियों से अवगत हैं और इनसे निपटने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि हम खतरे से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित कर रहे हैं, चाहे ये खतरे देश प्रायोजित हों या खुद देशों ने पैदा किए हों. हम गतिज और गैर गतिज क्षेत्र दोनों में ड्रोन खतरे से निपटने की क्षमताएं विकसित कर रहे हैं. जनरल नरवणे से जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हाल में हुए ड्रोन हमले के बारे में पूछा गया था.

27 जून मंगलवार को कालूचक और रत्नुचक क्षेत्रों में सैन्य शिविरों पर ड्रोन देखे गए, जिन पर भी गोलीबारी की गई थी . केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू में वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन हमलों की जांच औपचारिक रूप से एनआईए को सौंपने के आदेश जारी किए हैं.

जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (Line of Control ) पर हालात पर सेना प्रमुख ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच फरवरी में हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद नियंत्रण रेखा पर कोई घुसपैठ नहीं हुई. उन्होंने कहा कि कोई घुसपैठ न होने के कारण कश्मीर में आतंकवादियों की संख्या कम है और आतंकवाद से संबंधित घटनाएं भी कम हुई हैं.

हालांकि, जनरल नरवणे ने ऐसी उभरती सैन्य प्रौद्योगिकियों के नैतिक आयामों पर भी आगाह किया, जो उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने में विफल रहने पर अनपेक्षित परिणाम उत्पन्न कर सकते हैं.

जनरल नरवणे ने कहा कि पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है और बदलाव लाने के लिए तथा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए प्रक्रिया को और लचीला तथा अनुकूल बनाना जरूरी है ताकि भविष्य में होने वाली जंग के लिए तैयार हुआ जा सके तथा उभरती चुनौतियों से निपटा जा सके.

सेना प्रमुख ने जानेमाने सैन्य इतिहासकार बी एच लिडेल हार्ट के प्रसिद्ध उद्धरण का भी जिक्र किया कि सेना की सोच में किसी नये विचार को अपनाने से ज्यादा कठिन चीज केवल पुराने विचार को त्यागना है.

नये जमाने की सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि ड्रोन बनाना बड़ी सरल परियोजना हो गयी है जिसे घर पर भी किया जा सकता है. उन्होंने ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल द्वारा आयोजित डिजिटल सम्मेलन में कहा कि ड्रोनों की आसानी से उपलब्धता निश्चित रूप से हमारे सामने जटिलताओं और चुनौतियों को बढ़ाती है. हमारे सामने यह समस्या है और हमने कुछ उपाय किये हैं.

सेना प्रमुख ने कहा कि धरातल पर मौजूद सैनिकों को उभरते खतरे के बारे में जागरुक किया गया है तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमताएं विकसित की जा रही हैं, चाहे वे किसी देश से हों या देश प्रायोजित तत्वों से.

भारतीय सेना को एआई की अपार क्षमताओं और शक्तियों को एक्स्प्लॉइट करने की जरूरत है. 2018 में स्थापित एआई पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय सेना ने अपनी AI संचालित योजनाओं और योजनाओं के प्रसार और कार्यान्वयन को भी सुव्यवस्थित किया है. हमने कुछ चुनिंदा एआई प्रौद्योगिकियों की पहचान की है और संगठन के भीतर डोमेन विशेषज्ञता के आधार पर उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमला : एनएसजी, सीआईएसएफ प्रमुखों ने किया निरीक्षण

उन्होंने कहा कि हमेशा ऐसे तत्व रहेंगे जो शांति और विकास की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश करेंगे, हमें इसका ध्यान रखना होगा. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया.

जनरल नरवणे ने कहा कि हमारा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद रोधी और घुसपैठ रोधी मजबूत तंत्र है तथा शांति एवं सामंजस्य सुनिश्चित करने का हमारा अभियान जारी रहेगा.

Last Updated : Jul 1, 2021, 10:19 PM IST
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