हैदराबाद : अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) रोजाना नए इलाकों पर कब्जा करने का दावा कर रहा है. एएनआई के रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान अब पाकिस्तान और आईएसआई के निर्देशों के हिसाब से हमले कर रहा है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि आईएसआई ने तालिबान को भारत की ओर से बनाए गए प्रोजेक्ट्स को खत्म करने को कहा है. साथ ही, भारत अफगान मित्रता को दिखाने वाले निशानों को टारगेट किया जा रहा है.
अफगानिस्तान से अफगान इंडिया मैत्री डैम (Afghan India Maitri Dam) के नाम से मशहूर इस डैम पर तालिबान लगातार हमले की खबर भी आ रही है. बता दें कि भारत सरकार ने पिछले 20 साल में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, डैम, बिजली प्रोजेक्ट्स समेत कई प्रोजेक्ट्स में करीब 3 बिलियन यानी 300 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. वहां भारतीय निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए 2002 मार्च में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में अपने दूतावास का विस्तार किया था.
काबुल के अलावा मज़ार-ए-शरीफ़, हेरात, कंधार और जलालाबाद में भी वाणिज्य दूतावास खोले थे. अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में 400 से अधिक प्रोजेक्ट्स हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर (Minister of External Affairs S Jaishankar) ने यह जानकारी जिनेवा के अफगानिस्तान सम्मेलन में दी थी. आज तालिबान के बढ़ते हमले से इनका भविष्य अधर में लटक गया है.
अफगान संसद भवन : अफगानिस्तान के संसद भवन (Afghanistan Parliament) के निर्माण में भारत ने दिल खोलकर 90 मिलियन डालर खर्च किए थे. आफगानिस्तान की संसद मु्गल और आधुनिक आर्किटेक्ट का मिला-जुला रूप है. इसके फर्श पर राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों से भेजा गया सफेद मार्बल लगा हुआ है. इस संसद भवन पर कई बार आतंकी हमला हो चुका है.
सलमा डैम (Salma Dam) : हेरात में बनाए गए इस डैम से 42 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है. इस बांध का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने वर्ष 2016 में उद्घाटन किया था. इसे 1500 भारतीय इंजीनियरों ने जान जोखिम में डालकर बनाया था. सलमा बांध में 64 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी आता है, जिससे दो लाख एकड़ इलाके में सिंचाई होती है. इस प्रोजेक्ट पर भारत सरकार ने करीब 33 करोड़ डालर खर्च किए थे.
जरांज देलाराम हाइवे : ज़ारंज देलाम राजमार्ग (Zaranj Delaram highway) जो ईरान को अफगानिस्तान से जोड़ता है. पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट (Gwadar Port Pakistan) के जरिए चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. चीनी गतिविधियों का जवाब देने के लिए ईरान का चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) भारत के लिए महत्वपूर्ण है. जरांज देलाराम हाइवे के जरिए भारत की पहुंच चाबहार तक थी. 2009 में 217 किलोमीटर लंबे हाइवे का निर्माण पूरा किया था. यह अफगानिस्तान के चार शहरों हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ को जोड़ता है.
इसके अलावा भारत बिजली, सड़क और हेल्थ सेक्टर में लगातार वित्तीय मदद दे रहा है. भारत सरकार ट्रांसपोटेशन के लिए 400 बस, 200 मिनी बस, 285 मिलिट्री वीइकल, 10 एंबुलेंस और 185 अन्य वाहन की दे चुका है. इसके अलावा अफगानिस्तान के स्कूलों के लिए भी मूलभूत सुविधा देने का खर्च भारत उठा रहा है.
कौन है तालिबान
तालिबान का अफगानिस्तान में उदय 90 के दशक में हुआ. सोवियत सैनिकों के लौटने के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हुआ, जिसका फायदा तालिबान ने उठाया. उसने दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान से तालिबान ने जल्द ही अपना प्रभाव बढ़ाया. सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया. 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद तालिबान ने इस्लामिक कानून को सख्ती लागू किया. मसलन मर्दों का दाढ़ी बढाना और महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया. सिनेमा, संगीत और लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बामियान में तालिबान ने यूनेस्को संरक्षित बुद्ध की प्रतिमा तोड़ दी.
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2001 में जब 9/11 के हमले हुए तो तालिबान अमेरिका के निशाने पर आया. अलकायदा के ओसामा बिन लादेन को पनाह देने के आरोप में अमेरिका ने तालिबान पर हमले किए. करीब 20 साल तक अमेरिका तालिबान के साथ लड़ता रहा. 1 मई से वहां से अमेरिकी सैनिकों ने वापसी शुरू कर दी है. 11 सितंबर 2021 तक अमेरिकी सेना पूरी तरह अफगानिस्तान से हट जाएगी. अंदेशा है कि इसके बाद आईएसआई और तालिबान भारत के प्रोजेक्ट को और निशाना बनाएगी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)