ETV Bharat / bharat

पोस्ट ब्रेक्सिट डील भारत के लिए लाभकारी : विशेषज्ञ

ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने गुरुवार को महीनों चली वार्ता के बाद ट्रेड डील पर सहमति बन गई. इस ऐतिहासिक व्यापार समझौते का भारत के लिए क्या अर्थ है और ब्रेक्सिट समझौते से भारत को क्या लाभ होगा? इस संबंध में अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने शनिवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जहां तक भारतीयों का वहां रहने और नागरिकता पाने का सवाल है, उनके लिए नियमों में ढील दी जाएगी. इसलिए यूके में अधिक भारतीय प्रवासी होंगे और दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे. वहीं पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहर ने कहा है कि यह सौदा भारत के लिए फायदेमंद होगा.

राजनयिक अशोक सज्जनहर
राजनयिक अशोक सज्जनहर
author img

By

Published : Dec 26, 2020, 10:56 PM IST

नई दिल्ली : ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में गुरुवार को महीनों चली वार्ता के बाद ट्रेड डील पर सहमति बन गई. इस ऐतिहासिक व्यापार समझौते का भारत के लिए क्या अर्थ है और ब्रेक्सिट समझौते से भारत को क्या लाभ होगा? इस पर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्रेक्सिट से पहले की पूरी अवधि के दौरान पिछले 18 महीनों में, ब्रिटेन भारत के करीब आया है, जहां तक आर्थिक संबंध का सवाल है ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो गया है, लेकिन पूरी तरह से नहीं.

इसका एक स्वाभाविक परिणाम यह भी होगा कि यूके कुछ अन्य देशों के करीब आएगा, क्योंकि प्रत्येक देश को वैश्विक व्यापार करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये ग्लोबलाइजेशन का दौर है.

ब्रेक्सिट का मतलब यह नहीं है कि ब्रिटेन या यूरोपीय संघ अन्य देशों के बिना जीवित रहेगा या आगे बढ़ेगा. उन्हें अन्य देशों की जरूरत है और भारत एक ऐसा देश है, जहां हम बहुत सहयोग और विकास की उम्मीद करते हैं, जहां तक आपसी आर्थिक संबंध का सवाल है, हमने पिछले 18 महीनों में इसका एक नमूना देखा है.

राजनयिक अशोक सज्जनहर

अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने शनिवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जहां तक भारतीयों का वहां रहने और नागरिकता पाने का सवाल है, उनके लिए नियमों में ढील दी जाएगी. इसलिए यूके में अधिक भारतीय प्रवासी होंगे और दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे.

यूके दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम पहले से ही जापान और चीन की स्थिति से अवगत हैं.

जापान जब से अपनी मुद्रा की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हुआ, तब से वो विकास करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि पिछले तीन वर्षों में उसकी जीडीपी थम गई है. इसलिए भारत यूके के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते कायम करने का प्रबल दावेदार है.

उन्होंने समझौते से भारत के लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि व्यापार समझौता सकारात्मक संकेत और निहितार्थ के साथ आगे बढ़ रहा है.

दूसरी ओर, चीन की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है, इसलिए भारत में बहुत सारे एफडीआई, विदेशी संस्थागत निवेशक, म्यूचुअल फंड निवेश होंगे.

दूसरी बात यह है कि भारत इस समझौते से कैसे लाभान्वित होगा, तो इसके बाद बहुत सारे सामान का मेन्यूफैक्चर होंगे, जो भारत से यूके को निर्यात किए जाएंगे, क्योंकि भारत विनिर्माण क्षेत्र में आगे बड़ रहा है.

अर्थशास्त्री जिंदल का कहना है कि भारत में फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), म्यूचुअल फंड और पेंशन मनी के माध्यम से भारत में विदेशी मुद्रा का बहुत अधिक प्रवाह होगा. इसलिए, दोनों तरह से भारत को लाभ होने जा रहा है.

दोनों पक्षों ने यूके के ट्रांसीशन अवधि समय पूरा होने से पहले 31 दिसंबर की तय समय सीमा तक अपने भविष्य के संबंधों की शर्तों को परिभाषित करने के लिए एक समझौते पर सहमति बनाने का फैसला किया.

यूरोपीय संघ और यूके दोनों के लिए एक सफल ब्रेक्सिट डील पर बहुत निर्भर कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जीरो-टैरिफ और जीरो-कोटा डील करके यूके और यूरोपीय संघ $ 1 ट्रिलियन सालाना व्यापार की रक्षा करने में सक्षम होंगे.

इस वर्ष 31 जनवरी को औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद, यूनाइटेड किंगडम ने 11 महीने के संक्रमण काल में प्रवेश किया. इस दौरान वह यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करता रहा और यह उस समय हुआ जब देश ने अपने संबंधों के प्रमुख पहलुओं को निर्धारित करने के लिए ब्लॉक के साथ एक समझौते पर बातचीत शुरू की. इसमें ट्रेड एग्रीमेंट, रक्षा, सुरक्षा और आव्रजन शामिल थे.

व्यापार सौदा कई ब्रिटिश व्यवसायों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएगा, जो पहले से ही कोरोना वायरस से प्रभावित थे, जिन्होंने सीमाओं पर विघटन और टैरिफ लगाने या आयात पर कर लगाने की आशंका जताई थी.

ईटीवी भारत को पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहर ने ऐतिहासिक व्यापार समझौते का गहराई से विवरण दिया और बताया कि यह सौदा भारत के लिए सकारात्मक होगा या नकारात्मक होगा.

उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा इस सौदे का गर्मजोशी से स्वागत किया गया है.

उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन ने एक बार फिर संप्रभुता प्राप्त कर ली है, वह अपने व्यापार, सीमाओं और कानूनों को बनाए रखने में सक्षम हो गया है.

जहां तक उसके व्यापार के मामले और अन्य मुद्दे एक चिंता का विषय है, तो ब्रिटिश न्यायालय सभी कानूनों के लिए जिम्मेदार होगा. इस मामले में यूरोपीय न्यायालय के पास न कहने के लिए कुछ नहीं है.

पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि फिशिंग के अधिकार के संदर्भ में दोनों पक्षों को समझौता करना पड़ा, लेकिन यह यूके और यूरोपीय संघ के बीच एक उचित समझौता है.

पढ़ें -यूके और यूरोपीय संघ के बीच ब्रेग्जिट के बाद ट्रेड डील पर सहमति

विभिन्न मुद्दों पर यह एक अच्छा सौदा है. बेशक लोग आ सकते हैं और जा सकते हैं, उन्हें वीजा की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी, पासपोर्ट की जांच की संभावना है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि जहां तक कारों, ट्रकों, व्यक्तियों के साथ-साथ व्यापार प्रवाह का संबंध है, कुछ प्रतिबंध लगने जा रहे हैं और यह ऑपरेशन के निचले स्तर पर होगा.

जहां तक शिक्षा का सवाल है, ब्रिटेन अब इरास्मस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेगा, जिसका अर्थ है कि यूरोप के उज्ज्वल छात्र और विद्वान ब्रिटिश शिक्षा संस्थानों में नहीं आ सकेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि बेशक, दोनों पक्षों के बीच कुछ पहलुओं पर बातचीत जारी रहेगी, लेकिन मौजूदा हालात में यह ही सबसे अच्छी खबर थी, जो आ सकती थी.

राजदूत सज्जनहार ने आगे कहा कि जहां तक यूके का संबंध है, कई भारतीय कंपनियां चाहे वह टाटा हो या भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश हों उन्होंने हमेशा ही यूके को यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखा.

नई दिल्ली : ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में गुरुवार को महीनों चली वार्ता के बाद ट्रेड डील पर सहमति बन गई. इस ऐतिहासिक व्यापार समझौते का भारत के लिए क्या अर्थ है और ब्रेक्सिट समझौते से भारत को क्या लाभ होगा? इस पर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्रेक्सिट से पहले की पूरी अवधि के दौरान पिछले 18 महीनों में, ब्रिटेन भारत के करीब आया है, जहां तक आर्थिक संबंध का सवाल है ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो गया है, लेकिन पूरी तरह से नहीं.

इसका एक स्वाभाविक परिणाम यह भी होगा कि यूके कुछ अन्य देशों के करीब आएगा, क्योंकि प्रत्येक देश को वैश्विक व्यापार करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये ग्लोबलाइजेशन का दौर है.

ब्रेक्सिट का मतलब यह नहीं है कि ब्रिटेन या यूरोपीय संघ अन्य देशों के बिना जीवित रहेगा या आगे बढ़ेगा. उन्हें अन्य देशों की जरूरत है और भारत एक ऐसा देश है, जहां हम बहुत सहयोग और विकास की उम्मीद करते हैं, जहां तक आपसी आर्थिक संबंध का सवाल है, हमने पिछले 18 महीनों में इसका एक नमूना देखा है.

राजनयिक अशोक सज्जनहर

अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने शनिवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जहां तक भारतीयों का वहां रहने और नागरिकता पाने का सवाल है, उनके लिए नियमों में ढील दी जाएगी. इसलिए यूके में अधिक भारतीय प्रवासी होंगे और दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे.

यूके दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम पहले से ही जापान और चीन की स्थिति से अवगत हैं.

जापान जब से अपनी मुद्रा की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हुआ, तब से वो विकास करने वाला देश नहीं रहा, बल्कि पिछले तीन वर्षों में उसकी जीडीपी थम गई है. इसलिए भारत यूके के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते कायम करने का प्रबल दावेदार है.

उन्होंने समझौते से भारत के लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि व्यापार समझौता सकारात्मक संकेत और निहितार्थ के साथ आगे बढ़ रहा है.

दूसरी ओर, चीन की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं है, इसलिए भारत में बहुत सारे एफडीआई, विदेशी संस्थागत निवेशक, म्यूचुअल फंड निवेश होंगे.

दूसरी बात यह है कि भारत इस समझौते से कैसे लाभान्वित होगा, तो इसके बाद बहुत सारे सामान का मेन्यूफैक्चर होंगे, जो भारत से यूके को निर्यात किए जाएंगे, क्योंकि भारत विनिर्माण क्षेत्र में आगे बड़ रहा है.

अर्थशास्त्री जिंदल का कहना है कि भारत में फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), म्यूचुअल फंड और पेंशन मनी के माध्यम से भारत में विदेशी मुद्रा का बहुत अधिक प्रवाह होगा. इसलिए, दोनों तरह से भारत को लाभ होने जा रहा है.

दोनों पक्षों ने यूके के ट्रांसीशन अवधि समय पूरा होने से पहले 31 दिसंबर की तय समय सीमा तक अपने भविष्य के संबंधों की शर्तों को परिभाषित करने के लिए एक समझौते पर सहमति बनाने का फैसला किया.

यूरोपीय संघ और यूके दोनों के लिए एक सफल ब्रेक्सिट डील पर बहुत निर्भर कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जीरो-टैरिफ और जीरो-कोटा डील करके यूके और यूरोपीय संघ $ 1 ट्रिलियन सालाना व्यापार की रक्षा करने में सक्षम होंगे.

इस वर्ष 31 जनवरी को औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद, यूनाइटेड किंगडम ने 11 महीने के संक्रमण काल में प्रवेश किया. इस दौरान वह यूरोपीय संघ के नियमों का पालन करता रहा और यह उस समय हुआ जब देश ने अपने संबंधों के प्रमुख पहलुओं को निर्धारित करने के लिए ब्लॉक के साथ एक समझौते पर बातचीत शुरू की. इसमें ट्रेड एग्रीमेंट, रक्षा, सुरक्षा और आव्रजन शामिल थे.

व्यापार सौदा कई ब्रिटिश व्यवसायों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएगा, जो पहले से ही कोरोना वायरस से प्रभावित थे, जिन्होंने सीमाओं पर विघटन और टैरिफ लगाने या आयात पर कर लगाने की आशंका जताई थी.

ईटीवी भारत को पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहर ने ऐतिहासिक व्यापार समझौते का गहराई से विवरण दिया और बताया कि यह सौदा भारत के लिए सकारात्मक होगा या नकारात्मक होगा.

उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा इस सौदे का गर्मजोशी से स्वागत किया गया है.

उन्होंने कहा है कि ब्रिटेन ने एक बार फिर संप्रभुता प्राप्त कर ली है, वह अपने व्यापार, सीमाओं और कानूनों को बनाए रखने में सक्षम हो गया है.

जहां तक उसके व्यापार के मामले और अन्य मुद्दे एक चिंता का विषय है, तो ब्रिटिश न्यायालय सभी कानूनों के लिए जिम्मेदार होगा. इस मामले में यूरोपीय न्यायालय के पास न कहने के लिए कुछ नहीं है.

पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि फिशिंग के अधिकार के संदर्भ में दोनों पक्षों को समझौता करना पड़ा, लेकिन यह यूके और यूरोपीय संघ के बीच एक उचित समझौता है.

पढ़ें -यूके और यूरोपीय संघ के बीच ब्रेग्जिट के बाद ट्रेड डील पर सहमति

विभिन्न मुद्दों पर यह एक अच्छा सौदा है. बेशक लोग आ सकते हैं और जा सकते हैं, उन्हें वीजा की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी, पासपोर्ट की जांच की संभावना है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि जहां तक कारों, ट्रकों, व्यक्तियों के साथ-साथ व्यापार प्रवाह का संबंध है, कुछ प्रतिबंध लगने जा रहे हैं और यह ऑपरेशन के निचले स्तर पर होगा.

जहां तक शिक्षा का सवाल है, ब्रिटेन अब इरास्मस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेगा, जिसका अर्थ है कि यूरोप के उज्ज्वल छात्र और विद्वान ब्रिटिश शिक्षा संस्थानों में नहीं आ सकेंगे.

उन्होंने आगे कहा कि बेशक, दोनों पक्षों के बीच कुछ पहलुओं पर बातचीत जारी रहेगी, लेकिन मौजूदा हालात में यह ही सबसे अच्छी खबर थी, जो आ सकती थी.

राजदूत सज्जनहार ने आगे कहा कि जहां तक यूके का संबंध है, कई भारतीय कंपनियां चाहे वह टाटा हो या भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश हों उन्होंने हमेशा ही यूके को यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.