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भारत-चीन सीमा से लगे हर्षिल में सेना को युद्धाभ्यास के लिए मिलेगी 476.75 एकड़ जमीन

उत्तरकाशी के हर्षिल में भारतीय सेना के युद्धाभ्यास (Army maneuvers in Harshil Uttarkashi) के लिए 476.75 एकड़ जमीन मिलने जा रही है. डीएफओ पुनीत तोमर (DFO Puneet Tomar) के अनुसार हस्तांतरण प्रक्रिया मार्च-अप्रैल 2023 तक पूरी कर ली जाएगी.

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सेना को युद्धाभ्यास के लिए मिलेगी 476.75 एकड़ जमीन
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Published : Nov 30, 2022, 7:40 PM IST

उत्तरकाशी: भारत-चीन सीमा से लगे उत्तरकाशी जनपद के हर्षिल में भारतीय सेना को युद्धाभ्यास (Indian army exercise in Harsil ) के लिए 476.75 एकड़ जमीन मिलने जा रही है. सेना के प्रस्ताव पर यहां वन विभाग और सेना के बीच आरक्षित वनभूमि हस्तांतरण की कार्रवाई चल रही है. ऐसे में अगले चार-पांच माह में हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

हर्षिल में सेना की एक बटालियन तैनात है, जो कि तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर बदलती रहती है. आपातकाल में जगह की कमी के चलते यहां सेना को युद्धाभ्यास के साथ अस्थाई शिविर स्थापित करने में भी दिक्कत होती है. इसी कारण सेना ने यहां वन भूमि हस्तांतरण के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव सौंपा था. वन क्षेत्राधिकारी गंगोत्री रेंज राहुल पंवार ने बताया कि सेना को हस्तांतरित होने वाली कुल वनभूमि 476.75 एकड़ है, जो अलग-अलग टुकड़ों में है. अगस्त माह से इस वनभूमि पर लगे पेड़ों की गिनती की जा रही है. वहीं, डीएफओ पुनीत तोमर के अनुसार हस्तांतरण प्रक्रिया मार्च-अप्रैल 2023 तक पूरी कर ली जाएगी. इस वन भूमि पर एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा. इसके लिए पेड़ों की गणना करवाई जा रही है. इस गणना में समय लग रहा है.

पढ़ें- शीतकाल में वन्यजीवों की हलचल पर रहेगी नजर, गंगोत्री नेशनल पार्क में लगेंगे 40 ट्रैप कैमरे

हर्षिल वन पंचायत ने जताई आपत्ति: हर्षिल वन पंचायत ने वन भूमि हस्तांतरण की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. वन पंचायत के अध्यक्ष माधवेंद्र रावत का कहना है कि वन पंचायत को इसकी जानकारी नहीं दी गई है और ना ही एनओसी ली गई है. हर्षिल में वन पंचायत की 124 हेक्टेयर जमीन है. स्थानीय ग्रामीणों को भरोसे में लिए बिना वन भूमि हस्तांतरण से ग्रामीणों के हक-हकूक प्रभावित होंगे. इसमें गौचर, लकड़ी व घास लाने के रास्ते भी प्रभावित होंगे.

उत्तरकाशी: भारत-चीन सीमा से लगे उत्तरकाशी जनपद के हर्षिल में भारतीय सेना को युद्धाभ्यास (Indian army exercise in Harsil ) के लिए 476.75 एकड़ जमीन मिलने जा रही है. सेना के प्रस्ताव पर यहां वन विभाग और सेना के बीच आरक्षित वनभूमि हस्तांतरण की कार्रवाई चल रही है. ऐसे में अगले चार-पांच माह में हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी.

हर्षिल में सेना की एक बटालियन तैनात है, जो कि तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर बदलती रहती है. आपातकाल में जगह की कमी के चलते यहां सेना को युद्धाभ्यास के साथ अस्थाई शिविर स्थापित करने में भी दिक्कत होती है. इसी कारण सेना ने यहां वन भूमि हस्तांतरण के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव सौंपा था. वन क्षेत्राधिकारी गंगोत्री रेंज राहुल पंवार ने बताया कि सेना को हस्तांतरित होने वाली कुल वनभूमि 476.75 एकड़ है, जो अलग-अलग टुकड़ों में है. अगस्त माह से इस वनभूमि पर लगे पेड़ों की गिनती की जा रही है. वहीं, डीएफओ पुनीत तोमर के अनुसार हस्तांतरण प्रक्रिया मार्च-अप्रैल 2023 तक पूरी कर ली जाएगी. इस वन भूमि पर एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा. इसके लिए पेड़ों की गणना करवाई जा रही है. इस गणना में समय लग रहा है.

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हर्षिल वन पंचायत ने जताई आपत्ति: हर्षिल वन पंचायत ने वन भूमि हस्तांतरण की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. वन पंचायत के अध्यक्ष माधवेंद्र रावत का कहना है कि वन पंचायत को इसकी जानकारी नहीं दी गई है और ना ही एनओसी ली गई है. हर्षिल में वन पंचायत की 124 हेक्टेयर जमीन है. स्थानीय ग्रामीणों को भरोसे में लिए बिना वन भूमि हस्तांतरण से ग्रामीणों के हक-हकूक प्रभावित होंगे. इसमें गौचर, लकड़ी व घास लाने के रास्ते भी प्रभावित होंगे.

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