नई दिल्ली : दिन का उजाला हो या फिर घनघोर अंधेरी रात, भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकवादियों का बचना नामुमकिन होगा. भारतीय सेना पहले ही महू के इन्फैंट्री स्कूल में अपने स्नाइपर कोर्स को अपग्रेड कर चुकी है. स्नाइपर राइफल्स (sniper rifles) खरीदी जा चुकी हैं. अब स्नाइपर राइफल्स में नाइट साइट्स, बॉर्डर ग्रिड में फोर्स मल्टीप्लायर भी होगा.
भारतीय सेना अपने सैनिकों को हाइटेक उपकरणों से लैस करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को 1,121 थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स के लिए प्रस्ताव (आरएफपी) के लिए अनुरोध जारी किया है. पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को स्नानपर साको की जगह 338 टीआरजी -42, बेरेटा .338 कैलिबर लापुआ मैग्नम स्कॉर्पियो टीजीटी स्नाइपर राइफलें दी जाएंगी.
भारतीय सेना के छोटे हथियारों के लिए थर्मल इमेजिंग नाइट साइट्स (TINS) का आखिरी बड़ा ऑर्डर नवंबर 2019 में दिया गया था. तब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21,500 TINS की खरीद को मंजूरी दी थी, जिसे अधिकांश छोटे हथियारों पर लगाया जा सकता है. लेकिन स्नाइपर राइफल्स के लिए नाइट विजन की उच्च क्षमता जरूरी है.
भारतीय सेना के पास सबसे अधिक स्नाइपर राइफलें रूसी निर्मित हैं. भारतीय सेना 7.62 एमएम ड्रैगुनोव स्नाइपर गन साको का इस्तेमाल करती है. इसके अलावा प्वाइंट 338 TRG-42, बेरेटा .338 लापुआ मैग्नम को यूएस-निर्मित बैरेट M95 के साथ एक आपातकालीन खरीद के तहत अधिग्रहित किया गया था. अब पुरानी ड्रैगुनोव को .338 कैलिबर गन और बैरेट एम 95 के साथ बदलने का विचार है. भारतीय सेना के पास लगभग 5,700 स्नाइपर राइफल्स की कमी है. स्नाइपर में जिस नाइट विजन की मांग की गई है, उसकी रेंज रात के समय कम से कम आठ सौ मीटर से लेकर 12 सो मीटर तक है.
सैनिकों प्रशिक्षण और ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली बंदूकों में नाइट विजन बेहतर होना चाहिए. साथ ही ये भारी न हो. 11 सौ ग्राम से ज्यादा इनका वजन नहीं होना चाहिए. रंग के मामले में कहा गया है कि रिफलेक्ट नहीं होना चाहिए. आगरा में केंद्रीय आयुध डिपो में वितरित करने के लिए अधिग्रहण की खरीद (भारतीय - आईडीडीएम) श्रेणी के तहत की जाएगी. इसमें सहायक उपकरण शामिल होंगे और इसमें न्यूनतम स्वदेशी सामग्री 50% होगी.
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