नई दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के तवांग में पिछले हफ्ते के सैन्य गतिरोध के बाद भारत-चीन के मध्य ताजा तनाव के बीच भारतीय वायुसेना पूर्वोत्तर में गुरुवार से दो दिवसीय अभ्यास करेगी जिसमें इसके अग्रिम पंक्ति के करीब सभी युद्धक विमान और इस क्षेत्र में तैनात अन्य संसाधन शामिल किये जाएंगे. सूत्रों ने कहा कि अभ्यास का मकसद भारतीय वायुसेना की समग्र युद्धक क्षमता और इस क्षेत्र में सैन्य तैयारियों को परखना है. हालांकि, भारत और चीन की सेनाओं के बीच ताजा गतिरोध के बहुत पहले इस अभ्यास की योजना बनाई गई थी और इसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है.
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सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना के सुखोई 30एमकेआई और राफेल जेट समेत अग्रिम पंक्ति के विमान इसमें शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में वायुसेना के सभी अग्रिम अड्डे और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) को भी अभ्यास में शामिल किया जाना है. सेना और वायुसेना अरुणाचल और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख विवाद के बाद से पिछले दो सालों से उच्च स्तरीय संचालनात्मक तैयारियों को बरकरार रखती आयी हैं. भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय हिस्से में चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों के बाद अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाया था.
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सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र में चीन द्वारा ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्म की तैनाती तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के लिए नौ दिसंबर को किये गये चीनी सेना के प्रयासों से पहले हुई थी. उन्होंने कहा कि चीनी ड्रोन एलएसी के काफी पास आ गये थे जिसके कारण भारतीय वायुसेना को अपने युद्धक विमान उतारने पड़े थे और समग्र युद्धक क्षमता को बढ़ाना पड़ा था. इस बीच एलएसी पर चीन और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प का एक पुराना वीडियो कथित रूप से सोशल मीडिया पर काफी प्रसारित हो रहा है. यह वीडियो नौ दिसंबर की घटना के संदर्भ में सामने आया. लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह वीडियो पुराना है.
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(पीटीआई-भाषा)