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राजनीतिक संकट के बीच नेपाल को सहयोग देता रहेगा भारत

मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेपाल और उसके लोगों को शांति, समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए भारत अपना सहयोग करना जारी रखेगा.

अनुराग श्रीवास्तव
अनुराग श्रीवास्तव
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Published : Dec 24, 2020, 8:48 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि नेपाल और उसके लोगों को शांति, समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए भारत अपना सहयोग करना जारी रखेगा. गुरुवार को यहां एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, हम नेपाल में हाल के राजनीतिक विकासों पर ध्यान दे रहे हैं.

ये नेपाल का अपना फैसला है कि वो अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाएगा या नहीं. एक पड़ोसी के रूप में, भारत शांति और समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने में नेपाल और उसके लोगों का समर्थन करना जारी रखेगा.

विदेश मंत्रालय का यह बयान रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद को भंग करने के बाद आया है, जिसने नेपाल में राजनीतिक परिदृश्य को एक नया मोड़ दिया है.

अनुराग श्रीवास्तव का बयान

इस फैसले ने नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है. इस फैसले से जनता के साथ-साथ ओली की पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का भी गुस्सा सामने आया है. सैकड़ों लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं.

इससे पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने बुधवार को अपने अध्यक्ष के रूप में माधव कुमार नेपाल को चुना और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से हटा दिया.

केंद्रीय समिति के 315 सदस्यों ने माधव कुमार नेपाल के पक्ष में मतदान किया. हालांकि, सभी की निगाहें नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं, जहां बुधवार को मामले की सुनवाई शुरू हुई.

बता दें कि ओली के फैसले के खिलाफ देशभर से शीर्ष अदालत में कुल 12 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं. इन सभी याचिकाओं में इस फैसले को असंवैधानिक होने का दावा किया गया है.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि ओली द्वारा इस तरह के कदम उठाने की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी. माधव कुमार नेपाल की नियुक्ति निश्चित रूप से भारत और नेपाल के बीच के रिश्ते को शांत करेगा.

पढ़ें - 40 लाख से अधिक लोगों को वंदे भारत मिशन का मिला लाभ : विदेश मंत्रालय

नेपाल लगभग एक साल से कालापानी क्षेत्र के संबंध में भारत के साथ सीमा विवाद में फंसा हुआ है. इसके अलावा हिमालयी राष्ट्र द्वारा नेपाल के क्षेत्र में भारत के कुछ हिस्सों को प्रदर्शित करने वाले मानचित्र को जारी करने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी. हालांकि, दोनों राष्ट्रों के बीच झगड़े को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

संवैधानिक संकट के मद्देनजर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के साथ बातचीत मौजूदा समस्या को हल करने के लिए बातचीत आगे बढ़ी है.

नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि नेपाल और उसके लोगों को शांति, समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए भारत अपना सहयोग करना जारी रखेगा. गुरुवार को यहां एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, हम नेपाल में हाल के राजनीतिक विकासों पर ध्यान दे रहे हैं.

ये नेपाल का अपना फैसला है कि वो अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाएगा या नहीं. एक पड़ोसी के रूप में, भारत शांति और समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने में नेपाल और उसके लोगों का समर्थन करना जारी रखेगा.

विदेश मंत्रालय का यह बयान रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा संसद को भंग करने के बाद आया है, जिसने नेपाल में राजनीतिक परिदृश्य को एक नया मोड़ दिया है.

अनुराग श्रीवास्तव का बयान

इस फैसले ने नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है. इस फैसले से जनता के साथ-साथ ओली की पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का भी गुस्सा सामने आया है. सैकड़ों लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं.

इससे पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने बुधवार को अपने अध्यक्ष के रूप में माधव कुमार नेपाल को चुना और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से हटा दिया.

केंद्रीय समिति के 315 सदस्यों ने माधव कुमार नेपाल के पक्ष में मतदान किया. हालांकि, सभी की निगाहें नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं, जहां बुधवार को मामले की सुनवाई शुरू हुई.

बता दें कि ओली के फैसले के खिलाफ देशभर से शीर्ष अदालत में कुल 12 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं. इन सभी याचिकाओं में इस फैसले को असंवैधानिक होने का दावा किया गया है.

कई विशेषज्ञों का मानना है कि ओली द्वारा इस तरह के कदम उठाने की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी. माधव कुमार नेपाल की नियुक्ति निश्चित रूप से भारत और नेपाल के बीच के रिश्ते को शांत करेगा.

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नेपाल लगभग एक साल से कालापानी क्षेत्र के संबंध में भारत के साथ सीमा विवाद में फंसा हुआ है. इसके अलावा हिमालयी राष्ट्र द्वारा नेपाल के क्षेत्र में भारत के कुछ हिस्सों को प्रदर्शित करने वाले मानचित्र को जारी करने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी. हालांकि, दोनों राष्ट्रों के बीच झगड़े को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

संवैधानिक संकट के मद्देनजर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के साथ बातचीत मौजूदा समस्या को हल करने के लिए बातचीत आगे बढ़ी है.

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