नई दिल्ली : भारत ने यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार और विद्रोहियों के बीच संघर्ष विराम को अगले दो महीने के लिए बढ़ाने पर सहमति बनने का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि इससे पूरे देश (यमन) में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बहाली तथा संघर्ष समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों के बीच राजनीतिक वार्ता को बढ़ावा मिलेगा.
यमन में संघर्षरत पक्षों के बीच समझौते को लेकर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (External Affairs Ministry Spokesperson Arindam Bagchi) ने अपने बयान में यह बात कही. बागची ने कहा, 'हम यमन में संघर्ष से संबंधित पक्षों के बीच संघर्षविराम को दो महीने और बढ़ाए जाने के समझौते का स्वागत करते हैं.' उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने से अधिक समय से यमन में संघर्षविराम के दौरान हिंसा में कमी और संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में संघर्षरत पक्षों के बीच आमने-सामने की पहली बैठक जैसे घटनाक्रम उत्साहजनक हैं.
प्रवक्ता ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि इन घटनाक्रम से पूरे यमन में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बहाली तथा संघर्ष समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों के बीच राजनीतिक वार्ता को बढ़ावा मिलेगा.' गौरतलब है कि यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि यमन की अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता प्राप्त सरकार और विद्रोही राष्ट्रव्यापी संघर्ष विराम को अगले दो महीने के लिए बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं.
हंस ग्रुंडबर्ग ने एक बयान में कहा था, 'मैं दोनों पक्षों की इन कदमों और संघर्ष विराम बढ़ाने पर सहमत होने के लिए सराहना करता हूं.' दो अप्रैल को यमन की अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता प्राप्त सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच संघर्ष विराम अमल में आया था. यह यमन में छह साल के संघर्ष के दौरान पहला राष्ट्रव्यापी संघर्ष विराम था. संघर्ष विराम के बृहस्पतिवार को समाप्त होने से कुछ घंटे पहले ही इसे दो महीने और बढ़ाने की घोषणा हो गई. यह संयुक्त राष्ट्र की कोशिश का नतीजा है.
यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोही 2014 में अपने उत्तरी क्षेत्र से आगे बढ़े और राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता प्राप्त सरकार को भागना पड़ा. इसके बाद लड़ाई शुरू हुई.
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