नई दिल्ली : भारत-चीन द्वारा अपनी अशांत सीमाओं पर अभूतपूर्व सैन्य तैनाती व युद्ध उपकरणों की भारी जमावट की जा रही है. इसी बीच भारतीय और अमेरिकी सैनिकों ने एमआरई (Meal ready to eat) के पैकेट को सुदूर अलास्का में पूर्वी लद्दाख जैसे चरम मौसम की स्थिति में साझा किया.
वरिष्ठ कमांडर स्तर पर 13वें दौर की वार्ता की विफलता सहित हालिया घटनाक्रम एक ऐसी स्थिति का संकेत हो सकता है जहां दो एशियाई दिग्गजों द्वारा तैनाती इस आगामी सर्दियों में भी जारी रह सकती है. पूर्वी लद्दाख भारत और चीन के बीच सीमा संघर्ष का ग्राउंड जीरो है.
इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि काराकोरम-हिमालय की चरम स्थितियों का अनुकरण चल रहे युद्ध-अभ्यास के 17वें संस्करण पर हावी है. यह युद्ध अभ्यास अलास्का के संयुक्त बेस एल्मेंडॉर्फ रिचर्डसन, एंकोरेज में भारत और अमेरिकी सेनाओं के बीच चल रहा है.
पश्चिम से पूर्व तक और लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में फैली 3488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा हिमालय पर दुनिया के सबसे कठिन और चरम इलाकों में से एक है.
जहां ऑक्सीजन तक की पहुंच मुश्किल और दुर्लभ है. यहां की जलवायु ऐसी है कि सर्दियों में तापमान शून्य से 30-40 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे चला जाता है. वहीं ऐसी ही ठंडी जगह अलास्का में चल रहे युद्धाभ्यास में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व मद्रास रेजिमेंट द्वारा किया जा रहा है. जबकि पहली स्क्वाड्रन-एयरबोर्न, 40वीं कैवलरी रेजिमेंट अमेरिकी पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रही है. दो सप्ताह तक चलने वाला यह अभ्यास 15 अक्टूबर से शुरू हुआ है.
दैनिक गतिविधियों पर विचार व्यक्त करते हुए भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के प्रशिक्षकों की एक टीम ने प्रशिक्षिण के साथ विभिन्न प्रकार के रॉक क्राफ्ट और स्नो क्राफ्ट उपकरणों का भी सह-प्रदर्शन किया.
भारतीय सेना के पर्वतारोही प्रशिक्षकों ने अमेरिकियों को यह भी सिखाया कि हिमस्खलन और अत्यधिक ठंडे मौसम की स्थिति से कैसे बचा जाए. बाद में दोनों देशों ने अपने-अपने एमआरई (खाने के लिए तैयार भोजन) के नमूनों का आदान-प्रदान किया.
यहां दिन की शुरुआत ठंड के मौसम में 5 किमी दौड़ के साथ हुई, जिसके बाद सैनिकों ने कई मजबूत और स्ट्रेचिंग अभ्यास किए. पीटी के बाद पूरा दिन शीतकालीन प्रशिक्षण के लिए आरक्षित रहा. पहले अमेरिकी सैनिकों ने अपने आर्कटिक टेंट की स्थापना करने का प्रदर्शन किया (प्रति टेंट में 10 सैनिक हो सकते हैं) जिसके बाद एक प्रदर्शन और बाद में भारतीय और अमेरिकी सैनिकों की मिश्रित टीम द्वारा सबसे कम समय में एक तम्बू स्थापित करने की प्रतियोगिता भी हुई.
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बाद में भारतीय सेना के मेडिकल कोर के एक अधिकारी ने दोनों टुकड़ियों के लिए एक सूचनात्मक व्याख्यान ऊंचाई की बीमारियों और ठंड की चोटों से रोकथाम और उपचार पर दिया. एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु भारतीय सैनिकों द्वारा अत्याधुनिक एम-2010 और बैरेट यूएस स्नाइपर राइफल्स का परीक्षण करना था. 2002 में शुरू हुआ युद्ध-अभ्यास भारत और अमेरिका के बीच चलने वाला सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण और रक्षा सहयोग प्रयास है.