नई दिल्ली : यूक्रेन-रूस संघर्ष के बीच नई दिल्ली में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की मेजबानी के ठीक 10 दिन बाद पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच वर्चुअल बैठक हो रही है (Modi virtual meeting with Biden). दोनों नेता द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करेंगे और दक्षिण एशिया, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों और पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.
रूस यूक्रेन युद्ध के बीच इस बैठक के महत्व पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार (former diplomat ashok sajjanhar) ने कहा कि 'हमने देखा है कि भारत पर दबाव बढ़ रहा है. भारत को रूस के खिलाफ अधिक स्पष्ट रुख अपनाने की जरूरत है (clear position against Russia). हालांकि भारत ने कहा है कि मॉस्को के साथ उसके ऐतिहासिक संबंधों की विरासत है, खासकर रक्षा के मामले में. अन्य क्षेत्रों परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष आदि में सहयोग चल रहा है. भारत की रक्षा तैयारियों के साथ-साथ भू-राजनीतिक विचार और हित दोनों के लिए देश को रूस के साथ अच्छे संबंध रखने की आवश्यकता है.'
अशोक सज्जनहार ने कहा कि 'मुझे लगता है कि पश्चिम और अमेरिका 7 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की अनुपस्थिति से विशेष रूप से नाराज नहीं होना चाहिए क्योंकि रूस ने भी मतदान से पहले कहा था कि बहिष्कार या गैर-भागीदारी को 'अमित्रतापूर्ण इशारा' के रूप में देखा जाएगा. इसका द्विपक्षीय संबंधों पर असर होगा.' उन्होंने ईटीवी भारत से कहा, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अतीत में भारत की अनुपस्थिति का मतलब तटस्थ स्थिति हो सकता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने के प्रस्ताव पर परहेज निश्चित रूप से रूस के पक्ष में जाता है. हालांकि रूस और अमेरिका दोनों कुछ हद तक नाराज होंगे. लेकिन पश्चिम की नाखुशी रूस की नाखुशी से काफी कम होगी. 24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से संयुक्त राष्ट्र में यह भारत का 12वां वोट था. लेकिन मानवाधिकार परिषद में रूस के खिलाफ वोट न करना नई दिल्ली का मॉस्को के लिए अब तक का सबसे कड़ा संदेश था.
भारत के लिए स्थिति स्पष्ट करने का अवसर : गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, यूएस डिप्टी एनएसए दलीप सिंह और ब्रिटेन के विदेश सचिव लिज़ ट्रस सहित पश्चिमी दूतों ने रूस के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए भारत पर दबाव बनाने के लिए नई दिल्ली का दौरा किया था. पूर्व राजनयिक सज्जनहार ने कहा, 'भारत के पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच वर्चुअल बैठक भारत के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक अच्छा अवसर होगा. अगर हम रूस से हथियार खरीद रहे हैं तो यह किसी भी खतरे के लिए खुद को तैयार करने के लिए है. हमें चीन और पाकिस्तान से जिस तरह से खतरे का सामना करना पड़ता है, यह उसके लिए है और ये अमेरिका के हित के लिए भी है क्योंकि उसकी भी चीन के साथ तनातनी है.'
तेल खरीद पर ये बोले पूर्व राजनयिक : सज्जनहार ने कहा, जहां तक तेल खरीदने का सवाल है, भारत अमेरिका से बहुत अधिक तेल खरीदता है. भारत की करीब 7 से 8% आवश्यकताओं को अमेरिका से आयात के बूते किया जाता है. रूस से केवल लगभग 1-2% ही तेल आयात किया जा रहा है. यूरोपीय संघ के देश अमेरिका और भारत की तुलना में रूस से बहुत अधिक मात्रा में तेल और गैस का आयात कर रहे हैं. इसलिए, यह भारत के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक बहुत ही उपयोगी अवसर होगा और देश को सभी भागीदारों के साथ जुड़े रहने की जरूरत है. पीएम मोदी और बाइडेन के बीच आज की वर्चुअल बैठक दोनों पक्षों को द्विपक्षीय व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने में सक्षम बनाएगी. सज्जनहार ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस विशेष समय में भारत-अमेरिका साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण.
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दरअसल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी सोमवार को वाशिंगटन में भारत-अमेरिका 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेंगे. यह अमेरिका के बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में पहली 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता (two plus two ministerial meeting) है. यह 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता यूक्रेन संकट के साये में आयोजित हो रही है. यह दोनों सरकारों द्वारा इस द्विपक्षीय संबंध को दिए जाने वाले महत्व को प्रतिबिंबित करती है. 2 प्लस 2 के समापन पर एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन का आयोजन तय किया गया है. इसे ऑस्टिन और ब्लिंकन के साथ सिंह और जयशंकर संबोधित करेंगे.
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