नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को दोनों देशों के संबंधों को 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' की ओर ले जाने के लिए महत्वाकांक्षी 'रोडमैप 2030' को मंजूरी दी. मोदी और जॉनसन के बीच हुए शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने वाणिज्यिक भागीदारी की शुरुआत करने की भी घोषणा की. विदेश मंत्रालय ने इस भागीदारी को 'एक और कीमती घोषणा' करार दिया.
जॉनसन के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि भारत और ब्रिटेन के बीच एक बिलियन पौंड के नए व्यापार और निवेश की प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा से ब्रिटेन में 6,500 से अधिक नौकरियां सृजित होंगी. इस पैकेज में ब्रिटेन में 53.3 करोड़ पौंड का नया भारतीय निवेश शामिल है. इससे स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 6,000 से अधिक नौकरियां सृजित होने का अनुमान है.
बयान के अनुसार इसमें सीरम इंस्टीट्यूट का 24 करोड़ पौंड का निवेश शामिल है. यह निवेश ब्रिटेन में टीका कारोबार और नये बिक्री कार्यालय में किया जाएगा. इससे एक अरब डॉलर से अधिक का नया कारोबार सृजित होने का अनुमान है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि इस शिखर सम्मेलन ने भारत और ब्रिटेन के बीच एक नये अध्याय की शुरुआत की है और साथ ही कहा कि यह रोडमैप लोगों के बीच संपर्क, व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु और स्वास्थ्य जैसे अहम क्षेत्रों में अगले 10 सालों तक गहरे संबंधों और मजबूत आदान-प्रदान का रास्ता साफ करेगा.
बयान में कहा गया कि एक और बड़ी घोषणा दोनों देशों के बीच बढ़ी व्यापार साझेदारी को दर्शाती है. यह पूछे जाने पर कि विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगौड़े के प्रत्यर्पण को लेकर क्या दोनों नेताओं के बीच कोई चर्चा हुई, विदेश मंत्रालय ने कहा कि आर्थिक भगौड़ों के प्रत्यर्पण के लेकर बातचीत हुई. बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि आर्थिक भगौड़ों को सुनवाई के लिए जल्द से जल्द भारत भेजा जाना चाहिए.
दोनों नेताओं ने कोविड-19 की ताजा स्थिति के साथ ही इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में जारी सहयोग और टीके को लेकर सफल साझेदारी पर भी चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर भारत को तत्परता से चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए जॉनसन का धन्यवाद किया जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पिछले साल भर के दौरान ब्रिटेन और अन्य देशों तक दवाइयां और टीके की आपूर्ति के जरिए सहायता पहुंचाने के लिए भारत की भूमिका की सराहना की.
दोनों नेताओं ने विश्व की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच व्यापार की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक भागीदारी की शुरुआत की और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया. इस बीच, विदेश मंत्रालय ने बताया कि मोदी-जॉनसन डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा उपकरणों के सह-उत्पादन और सह-विकास पर चर्चा हुई. मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री जॉनसन ने प्रधानमंत्री मोदी को सूचित किया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ब्रिटेन में निवेश कर रहा है और ब्रिटेन में वह टीका बनाएगा.
इससे पहले, मंगलवार को ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रवासन और आवागमन भागीदारी समझौते पर दस्तखत के लिए ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल से लंदन में मुलाकात की और कहा कि इस करार से दोनों देशों के बीच रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे. जयशंकर जी-7 समूह के देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चार दिवसीय ब्रिटेन दौरे पर हैं.
विदेश मंत्री जयशंकर के मुताबिक समझौते से भारत और ब्रिटेन के बीच वैध तरीके से यात्रा और प्रतिभाओं की आवाजाही बढ़ेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच डिजिटल माध्यम से वार्ता के परिणामस्वरूप यह समझौता हुआ है. जयशंकर ने पटेल के साथ बैठक की तस्वीरों के साथ ट्वीट किया कि गृह मंत्री प्रीति पटेल के साथ आज सुबह सार्थक बैठक हुई. प्रवासन और आवागमन भागीदारी समझौते पर दस्तखत किए गए. इससे वैध तरीके से यात्रा और प्रतिभाओं की आवाजाही बढ़ेगी.
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जयशंकर ने कहा कि इससे भारत और ब्रिटेन के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे. जॉनसन को पिछले महीने भारत की यात्रा पर आना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण उनकी यात्रा टल गयी. इससे पहले, जनवरी में भी, जॉनसन की गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने के लिये भारत आने की योजना थी, लेकिन ब्रिटेन में महामारी फैलने के कारण यात्रा टल गयी.