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फर्टिलाइजर आयात के लिए जॉर्डन के साथ समझौता, खरीफ सीजन में नहीं होगी यूरिया की कमी

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Published : May 17, 2022, 8:15 PM IST

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया है कि इस खरीफ सीजन में किसानों को उर्वरक की दिक्कत नहीं होगी. भारत ने जॉर्डन के साथ अगले 5 साल तक डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल खरीदने का समझौता किया है.

mansukh mandaviya fertilizer jordan
mansukh mandaviya fertilizer jordan

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के कारण दुनिया भर में उर्वरक का संकट गहरा गया है. केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया है कि आगामी खरीफ सत्र में महत्वपूर्ण फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं होगी. उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारत को अगले पांच साल तक जॉर्डन से सालाना 2.75 लाख मीट्रिक टन उर्वरक मिलेगा. सरकार ने पहले ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी आपूर्ति का इंतजाम कर रखा है औक पोटाश एवं फॉस्फेटिक उर्वरकों के आयात के लिए जॉर्डन के साथ दीर्घकालिक समझौता भी किया है.

उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि पिछले सप्ताह भारत और जॉर्डन की कंपनियों के बीच डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले 30 लाख टन रॉक फॉस्फेट, तीन लाख टन पोटाश, 2.50 लाख टन डीएपी और एक लाख टन फॉस्फोरिक एसिड की आपूर्ति के लिए एग्रीमेंट हुए. यह समझौता अगले पांच साल तक प्रभावी होगा. उन्होंने कहा कि भारत ने बहुत पहले से खरीफ सत्र के लिए आवश्यक 30 प्रतिशत डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का इंतजाम कर लिया था. सरकार ने कंपनियों को ग्लोबल मार्केट से हाई रेट पर खरीदारी नहीं करने की सलाह दी थी. मंत्री ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का दाम 1,030 डॉलर प्रति टन से घटकर 920 डॉलर प्रति टन रह गया है.

मांडविया ने बताया कि फर्टिलाइजर का संकट पूरी दुनिया में है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा फर्टिलाइजर आयातक देश है और उसे कम दरों पर आपूर्ति मिलनी चाहिए. कई देशों में उर्वरक को राशन की तरह दिया जाता है. हमने ऐसा नहीं किया है. हमने खरीफ सत्र के दौरान उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख उर्वरकों की अग्रिम खरीद की है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया था कि सरकार ने 30 लाख टन डीएपी और 70 लाख टन यूरिया का स्टॉक पहले से ही खरीद कर रख लिया है. यह पूरे साल की जरूरतों यानी खरीफ और रबी मौसम के लिए काफी है. उन्होंने कहा है कि देश में पर्याप्त स्टॉक और सप्लाई उपलब्ध है.

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के कारण दुनिया भर में उर्वरक का संकट गहरा गया है. केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया है कि आगामी खरीफ सत्र में महत्वपूर्ण फर्टिलाइजर की कोई कमी नहीं होगी. उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारत को अगले पांच साल तक जॉर्डन से सालाना 2.75 लाख मीट्रिक टन उर्वरक मिलेगा. सरकार ने पहले ही पर्याप्त मात्रा में डीएपी आपूर्ति का इंतजाम कर रखा है औक पोटाश एवं फॉस्फेटिक उर्वरकों के आयात के लिए जॉर्डन के साथ दीर्घकालिक समझौता भी किया है.

उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि पिछले सप्ताह भारत और जॉर्डन की कंपनियों के बीच डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले 30 लाख टन रॉक फॉस्फेट, तीन लाख टन पोटाश, 2.50 लाख टन डीएपी और एक लाख टन फॉस्फोरिक एसिड की आपूर्ति के लिए एग्रीमेंट हुए. यह समझौता अगले पांच साल तक प्रभावी होगा. उन्होंने कहा कि भारत ने बहुत पहले से खरीफ सत्र के लिए आवश्यक 30 प्रतिशत डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का इंतजाम कर लिया था. सरकार ने कंपनियों को ग्लोबल मार्केट से हाई रेट पर खरीदारी नहीं करने की सलाह दी थी. मंत्री ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी का दाम 1,030 डॉलर प्रति टन से घटकर 920 डॉलर प्रति टन रह गया है.

मांडविया ने बताया कि फर्टिलाइजर का संकट पूरी दुनिया में है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा फर्टिलाइजर आयातक देश है और उसे कम दरों पर आपूर्ति मिलनी चाहिए. कई देशों में उर्वरक को राशन की तरह दिया जाता है. हमने ऐसा नहीं किया है. हमने खरीफ सत्र के दौरान उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख उर्वरकों की अग्रिम खरीद की है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया था कि सरकार ने 30 लाख टन डीएपी और 70 लाख टन यूरिया का स्टॉक पहले से ही खरीद कर रख लिया है. यह पूरे साल की जरूरतों यानी खरीफ और रबी मौसम के लिए काफी है. उन्होंने कहा है कि देश में पर्याप्त स्टॉक और सप्लाई उपलब्ध है.


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