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महामारी की वजह से आई 'गिरावट' से तेजी से उबरने वाली चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में होगा भारत : रिपोर्ट - अर्थव्यवस्था पर ओमीक्रोन का असर नहीं

भारत कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से उबरने वाले कुछ देशों में होगा. टीकाकरण की वजह से कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से अर्थव्यवस्था पर अधिक गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसा वित्त मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट (Finance Ministry report) में कहा गया है.

Finance Minister  (file photo)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
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Published : Dec 12, 2021, 2:10 AM IST

नई दिल्ली : भारत कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से उबरने वाले कुछ देशों में होगा. वित्त मंत्रालय की शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया की उन चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में से है, जो इस 'संकुचन' से अधिक तेजी से उबरेंगे. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में तेजी से टीकाकरण की वजह से कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से अर्थव्यवस्था पर अधिक गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा (Economic Review) में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.4 प्रतिशत रही है. इस तरह देश का उत्पादन 2019-20 की समान महामारी-पूर्व की अवधि से 100 प्रतिशत से अधिक सुधरा है.

रिपोर्ट कहती है, 'भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जिन्होंने कोविड-19 के बीच लगातार चार तिमाहियों (बीते वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तथा चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी) में वृद्धि दर्ज की है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता को दर्शाता है. देश के सेवा क्षेत्र में पुनरुद्धार हुआ है, विनिर्माण क्षेत्र पूरी तरह उबर चुका है और कृषि क्षेत्र भी सतत वृद्धि दर्ज कर रहा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पुनरुद्धार निवेश चक्र के फिर शुरू होने का संकेत देता है. इसे टीकाकरण में तेजी से मदद मिली है. रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की शेष तिमाही में अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार और तेजी पकड़ेगा. सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में 22 में से 19 उच्च चक्रीय संकेतकों (एचएफआई) का प्रदर्शन महामारी पूर्व यानी 2019 के समान महीनों की तुलना में बेहतर रहा है.

'ओमीक्रोन का अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा'

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन की वजह से वैश्विक पुनरुद्धार के लिए नया जोखिम पैदा हो सकता है. हालांकि, अभी तक जो शुरुआती प्रमाण मिले हैं उनसे उम्मीद बंधती है कि इसका अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा में कहा गया है कि विभिन्न देशों पर इस महामारी की भारी मानवीय और आर्थिक लागत बैठी है, जिससे उन्हें अपने विकास लक्ष्यों पर पीछे लौटना पड़ा है.

रिपोर्ट कहती है कि 2021 का साल भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए, जो पीछे छूट गया है उसे 'पकड़ने' का वर्ष होगा और वे 2019 के उत्पादन के स्तर को फिर पाने का प्रयास करेंगे.

पढ़ें- केंद्र ने राज्यों से कहा : कोविड-19 की स्थिति पर कड़ी नजर रखें

रिपोर्ट में कहा गया है कि न केवल दूसरी तिमाही में भारत ने महामारी-पूर्व के उत्पादन के स्तर को 'पकड़ा' है बल्कि वह पूरे साल के लिए ऐसा करने में सक्षम होगा. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए अपने 9.5 प्रतिशत के वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है.

रिपोर्ट कहती है, 'भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से है, जो 2021-22 में कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से उबर पाएंगे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में तेजी से उबरने वाले कुछ देशों में होगा. वित्त मंत्रालय की शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया की उन चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में से है, जो इस 'संकुचन' से अधिक तेजी से उबरेंगे. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में तेजी से टीकाकरण की वजह से कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से अर्थव्यवस्था पर अधिक गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा (Economic Review) में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सालाना आधार पर 8.4 प्रतिशत रही है. इस तरह देश का उत्पादन 2019-20 की समान महामारी-पूर्व की अवधि से 100 प्रतिशत से अधिक सुधरा है.

रिपोर्ट कहती है, 'भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जिन्होंने कोविड-19 के बीच लगातार चार तिमाहियों (बीते वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तथा चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी) में वृद्धि दर्ज की है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था की जुझारू क्षमता को दर्शाता है. देश के सेवा क्षेत्र में पुनरुद्धार हुआ है, विनिर्माण क्षेत्र पूरी तरह उबर चुका है और कृषि क्षेत्र भी सतत वृद्धि दर्ज कर रहा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पुनरुद्धार निवेश चक्र के फिर शुरू होने का संकेत देता है. इसे टीकाकरण में तेजी से मदद मिली है. रिपोर्ट में कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की शेष तिमाही में अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार और तेजी पकड़ेगा. सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में 22 में से 19 उच्च चक्रीय संकेतकों (एचएफआई) का प्रदर्शन महामारी पूर्व यानी 2019 के समान महीनों की तुलना में बेहतर रहा है.

'ओमीक्रोन का अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा'

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन की वजह से वैश्विक पुनरुद्धार के लिए नया जोखिम पैदा हो सकता है. हालांकि, अभी तक जो शुरुआती प्रमाण मिले हैं उनसे उम्मीद बंधती है कि इसका अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वित्त मंत्रालय की मासिक समीक्षा में कहा गया है कि विभिन्न देशों पर इस महामारी की भारी मानवीय और आर्थिक लागत बैठी है, जिससे उन्हें अपने विकास लक्ष्यों पर पीछे लौटना पड़ा है.

रिपोर्ट कहती है कि 2021 का साल भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए, जो पीछे छूट गया है उसे 'पकड़ने' का वर्ष होगा और वे 2019 के उत्पादन के स्तर को फिर पाने का प्रयास करेंगे.

पढ़ें- केंद्र ने राज्यों से कहा : कोविड-19 की स्थिति पर कड़ी नजर रखें

रिपोर्ट में कहा गया है कि न केवल दूसरी तिमाही में भारत ने महामारी-पूर्व के उत्पादन के स्तर को 'पकड़ा' है बल्कि वह पूरे साल के लिए ऐसा करने में सक्षम होगा. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए अपने 9.5 प्रतिशत के वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है.

रिपोर्ट कहती है, 'भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से है, जो 2021-22 में कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से उबर पाएंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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