नई दिल्ली : भारत ने अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा करते हुए बुधवार को सतह से सतह पर प्रहार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण-प्रक्षेपण किया जो अत्यंत सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य पर निशाना साध सकती है. अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा में एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से देर शाम करीब 7:50 बजे परीक्षण किया गया. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की इस प्रामाणिक न्यूनतम प्रतिरोध वाली नीति के अनुरूप है जो पहले उपयोग नहीं की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अग्नि-5 को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है और इसका वजन करीब 50,000 किलोग्राम है. मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है, जिसका व्यास 2 मीटर है. यह 1,500 किलोग्राम का वारहेड तीन चरणों वाले रॉकेट बूस्टर के शीर्ष पर रखा जाएगा जो ठोस ईंधन द्वारा संचालित होते हैं.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारतीय अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अपने सबसे तेज गति से 8.16 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलने वाली ध्वनि की गति से 24 गुना तेज होगी और 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्च गति हासिल करेगी. यह एक रिंग लेजर गायरोस्कोप जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली से लैस है जो उपग्रह मार्गदर्शन के साथ काम करता है. यह सटीक निशाना लगाने में भी सक्षम है. इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है.
अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परियोजना पर काम एक दशक से अधिक समय पहले शुरू हुआ था. परियोजना की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि यह मिसाइल का पहला यूजर ट्रायल है जिसकी जद में चीन का सुदूर उत्तरी हिस्सा आ सकता है.
अग्नि-5 परियोजना का उद्देश्य चीन के खिलाफ भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है, जिसके पास डोंगफेंग-41 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी क्षमता 12,000 से 15,000 किलोमीटर तक प्रहार करने की है.
मिसाइल का सफल परीक्षण ऐसे समय में किया गया है जब भारत की पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ सीमा पर सीजफायर चल रहा है, लेकिन पड़ोसी देश आतंकियों को भेजकर माहौल खराब करने की कोशिश में लगा हुआ है.
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गौरतलब है कि अग्नि-5 का पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में किया गया था. इसके बाद सितंबर 2013 में दूसरा परीक्षण किया. फिर जनवरी 2015 में तीसरा और दिसंबर 2016 में चौथा परीक्षण किया गया. दिसंबर 2018 तक इसके 7 परीक्षण किये गए. इन परीक्षणों के दौरान मिसाइल को अलग-अलग तरह के लॉन्चिंग पैड से दागा गया था. उसे अलग-अलग ट्रैजेक्टरी पर प्रक्षेपित कर परखा गया. अग्नि-5 तरह के टेस्ट में खरी उतरी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरडीओ की योजना अग्नि-5 मिसाइल को और खतरनाक बनाने की है. डीआरडीओ इसकी रेंज 10 हजार किलोमीटर तक ले जाने के प्रयास में लगा हुआ है. इस मिसाइल को अभी केवल जमीन से दागा जा सकता है. पानी से भी यह मिसाइल दागी जा सके इसके लिए अग्नि-5 के सबमरीन वर्जन पर भी तेजी से काम चल रहा है.