ETV Bharat / bharat

भारत को स्कूलों को सुरक्षित रूप से खोलने को प्राथमिकता देनी चाहिए: यूनिसेफ - डॉ यास्मीन अली हक

यूनिसेफ ने गुरुवार को कहा कि भारत में स्कूलों (schools in India ) को सुरक्षित और धीरे-धीरे फिर से खोलना एक स्वागत योग्य कदम है. यूनिसेफ (UNICEF) ने केंद्र सरकार से सभी स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता देने की अपील की है.

यूनिसेफ
यूनिसेफ
author img

By

Published : Sep 9, 2021, 9:47 PM IST

नई दिल्ली : यूनिसेफ ने गुरुवार को कहा कि भारत में स्कूलों (schools in India ) को सुरक्षित और धीरे-धीरे फिर से खोलना एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि बच्चे व्यक्तिगत रूप से पढ़ते हैं और इससे सीखने के हो रहे नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी. इतना ही नहीं कुछ बच्चों को मनोवैज्ञानिक तनाव (psychological stress ) का भी सामना करना पड़ रहा है.

यूनिसेफ (UNICEF) ने केंद्र सरकार से सभी स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता देने की अपील की है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि आवश्यक हो तो दूर-दराज इलाकों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ( quality learning) प्राप्त करें.

स्कूल जाना बच्चों के जीवन का एक अहम हिस्सा है. कोविड-19 के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से कई बच्चे पढ़ने, सोशल इंटरेक्शन (social interaction) और खेलने के समय से चूक गए हैं, जो उनके समग्र विकास और भलाई के लिए आवश्यक हैं.

यूनिसेफ इंडिया (UNICEF India) के प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक (Dr Yasmin Ali Haque) ने कहा कि सुरक्षा महत्वपूर्ण है, शिक्षक, माता-पिता, बच्चे और समुदाय सरकार के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, ताकि बच्चों के स्कूलों में लौटने और सुरक्षित वातावरण में सीखने के लिए आवश्यक प्रोटोकॉल तैयार किए जा सकें.

उन्होंने कहा, 'हमें उन शिक्षकों की क्षमताओं (capacities of teachers ) के तेजी से निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जो कक्षा में और साथ ही घर पर अधिक प्रभावी ढंग से सीखने में सहायता कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि हमारे पास बिहार जैसे राज्यों के उदाहरण हैं, जहां छात्रों के लिए पढ़ने में सहायता के लिए कई उपकरण खरीदे जा रहे हैं. अब समय आ गया है कि बच्चों को वापस पढ़ने के लिए योजना बनाई जाए और ढांचों को स्थापित किया जाए. हमें वापस बेहतर और मजबूत बनाने की जरूरत है.

यूनिसेफ ने सरकारों को स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने का समर्थन करने के लिए शिक्षकों के टीकाकरण (vaccination of teachers) को प्राथमिकता देने का भी सुझाव दिया है.

यूनिसेफ ने कहा, 'सरकारों को मोबाइल उपकरणों, टीवी, रेडियो और प्रिंट सामग्री सहित तौर-तरीकों के संयोजन के माध्यम से प्रौद्योगिकी तक सीमित या बिना पहुंच वाले बच्चों और किशोरों तक बेहतर पहुंच के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित और लैस करने की आवश्यकता है.'

पढ़ें - गूगल ने भारत में डिजिटल समाचार स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया

दक्षिण एशिया में कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic ) के कारण स्कूल बंद होने से 434 मिलियन बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है. यूनिसेफ के शोध के अनुसार, छात्रों और उनके माता-पिता के पर्याप्त अनुपात ने बताया कि छात्रों ने पूर्व-महामारी के स्तर की तुलना में काफी कम सीखा.

भारत में 14-18 वर्ष की आयु के 80 प्रतिशत बच्चों ने शारीरिक रूप से स्कूल जाने की तुलना में सीखने के निम्न स्तर की सूचना दी.

इसी तरह, श्रीलंका में, प्राथमिक स्कूल के बच्चों के 69 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे कम या बहुत कम पढ़ रहे थे. लड़कियों, सबसे वंचित घरों के बच्चों और विकलांग बच्चों को दूर से सीखने में सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

नई दिल्ली : यूनिसेफ ने गुरुवार को कहा कि भारत में स्कूलों (schools in India ) को सुरक्षित और धीरे-धीरे फिर से खोलना एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि बच्चे व्यक्तिगत रूप से पढ़ते हैं और इससे सीखने के हो रहे नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी. इतना ही नहीं कुछ बच्चों को मनोवैज्ञानिक तनाव (psychological stress ) का भी सामना करना पड़ रहा है.

यूनिसेफ (UNICEF) ने केंद्र सरकार से सभी स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने को प्राथमिकता देने की अपील की है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि आवश्यक हो तो दूर-दराज इलाकों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ( quality learning) प्राप्त करें.

स्कूल जाना बच्चों के जीवन का एक अहम हिस्सा है. कोविड-19 के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से कई बच्चे पढ़ने, सोशल इंटरेक्शन (social interaction) और खेलने के समय से चूक गए हैं, जो उनके समग्र विकास और भलाई के लिए आवश्यक हैं.

यूनिसेफ इंडिया (UNICEF India) के प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक (Dr Yasmin Ali Haque) ने कहा कि सुरक्षा महत्वपूर्ण है, शिक्षक, माता-पिता, बच्चे और समुदाय सरकार के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, ताकि बच्चों के स्कूलों में लौटने और सुरक्षित वातावरण में सीखने के लिए आवश्यक प्रोटोकॉल तैयार किए जा सकें.

उन्होंने कहा, 'हमें उन शिक्षकों की क्षमताओं (capacities of teachers ) के तेजी से निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जो कक्षा में और साथ ही घर पर अधिक प्रभावी ढंग से सीखने में सहायता कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि हमारे पास बिहार जैसे राज्यों के उदाहरण हैं, जहां छात्रों के लिए पढ़ने में सहायता के लिए कई उपकरण खरीदे जा रहे हैं. अब समय आ गया है कि बच्चों को वापस पढ़ने के लिए योजना बनाई जाए और ढांचों को स्थापित किया जाए. हमें वापस बेहतर और मजबूत बनाने की जरूरत है.

यूनिसेफ ने सरकारों को स्कूलों को सुरक्षित रूप से फिर से खोलने का समर्थन करने के लिए शिक्षकों के टीकाकरण (vaccination of teachers) को प्राथमिकता देने का भी सुझाव दिया है.

यूनिसेफ ने कहा, 'सरकारों को मोबाइल उपकरणों, टीवी, रेडियो और प्रिंट सामग्री सहित तौर-तरीकों के संयोजन के माध्यम से प्रौद्योगिकी तक सीमित या बिना पहुंच वाले बच्चों और किशोरों तक बेहतर पहुंच के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित और लैस करने की आवश्यकता है.'

पढ़ें - गूगल ने भारत में डिजिटल समाचार स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया

दक्षिण एशिया में कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic ) के कारण स्कूल बंद होने से 434 मिलियन बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है. यूनिसेफ के शोध के अनुसार, छात्रों और उनके माता-पिता के पर्याप्त अनुपात ने बताया कि छात्रों ने पूर्व-महामारी के स्तर की तुलना में काफी कम सीखा.

भारत में 14-18 वर्ष की आयु के 80 प्रतिशत बच्चों ने शारीरिक रूप से स्कूल जाने की तुलना में सीखने के निम्न स्तर की सूचना दी.

इसी तरह, श्रीलंका में, प्राथमिक स्कूल के बच्चों के 69 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे कम या बहुत कम पढ़ रहे थे. लड़कियों, सबसे वंचित घरों के बच्चों और विकलांग बच्चों को दूर से सीखने में सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.