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भारत खुद को 'विश्वमित्र' के रूप में देखता है, दुनिया हमारे देश को अपना मित्र कहती है: पीएम मोदी

कान्हा शांति वनम में पीएम मोदी ने कहा कि विश्व हमारे देश को मित्र कहती है और भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कि कान्हा शांति वनम को दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन हॉल कहा जा रहा है. जब इस हॉल में 1 लाख लोग एक साथ ध्यान लगाएंगे तो जो ऊर्जा यहां पैदा होगी उसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है. पढ़िए पूरी खबर... Prime Minister Narendra Modi, Kanha Shanti Vanam

Prime Minister Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
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By PTI

Published : Nov 26, 2023, 3:29 PM IST

Updated : Nov 26, 2023, 8:49 PM IST

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है और यही कारण है कि दुनिया इसे मित्र कहती है. मोदी ने यहां से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कान्हा शांति वनम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अतीत में देश को गुलाम बनाने वालों ने भारत की मूल शक्ति--योग, ज्ञान और आयुर्वेद जैसी उसकी परंपराओं पर हमला किया, जिससे उसे भारी नुकसान सहना पड़ा. कान्हा शांति वनम का उद्घाटन 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि गुलामी जब भी और जहां भी आयी, उस समाज की मूल ताकत को निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा, 'भारत को गुलाम बनाने वालों ने योग और आयुर्वेद जैसी इसकी परंपराओं पर हमला किया. ऐसी कई महत्वपूर्ण परंपराएं थीं और उन पर हमला किया गया और इससे देश को भारी नुकसान हुआ.' उन्होंने कहा, 'हालांकि समय बदलता है, भारत भी बदल रहा है. यह आजादी का अमृत काल (75वां वर्ष) है. भारतीय जो भी निर्णय लेंगे, हम जो काम करेंगे, वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे.'

  • #WATCH | At a programme at Kanha Shanti Vanam in Telangana, Prime Minister Narendra Modi says, "You too are contributing towards building a prosperous India by taking forward our prosperous heritage. Prosperity doesn't come just through wealth, there is an equal importance of… pic.twitter.com/r5quVmlQy2

    — ANI (@ANI) November 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से की गई अपनी पंच प्रण घोषणा को याद किया, जिनमें एक विकसित भारत के लिए संकल्प लेना, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाना, हमारी विरासत और एकता पर गर्व करना तथा नागरिकों के कर्तव्य शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को हर तरह से सशक्त करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि आज भारत की चर्चा ज्ञान के केंद्र के रूप में की जा रही है. उन्होंने उल्लेख किया कि देश के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया.

उन्होंने कहा कि विकसित भारत सुनिश्चित करने के लिए हमें चार स्तंभों-नारी शक्ति, युवा शक्ति, श्रम शक्ति और उद्यम शक्ति- पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'गरीब, मछुआरे, किसान, छात्र, युवा...उनका सशक्तीकरण समय की मांग है और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोगों को योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन आज सरकार लाभार्थियों तक पहुंच रही है. मोदी ने कहा, 'एक समय था जब नागरिक सरकार के दरवाजे खटखटाते थे. आज हम आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए और कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए. उन्होंने मेरा भारत मिशन का जिक्र किया, जो युवाओं को नशे के दलदल में जाने से रोकेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, 'जैसे प्रकृति निस्वार्थ भाव से देती है, आइए हम भी निस्वार्थ भाव से काम करें और एक मजबूत भारत का निर्माण करें.' मोदी ने कहा कि भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, 'विकासशील भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है. जिस तरह से हम कोरोना (महामारी) के बाद दुनिया के साथ खड़े थे, आज मुझे दुनिया को यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत आपका मित्र है; दुनिया कहती है कि भारत हमारा मित्र है.' प्रधानमंत्री मोदी का इशारा परोक्ष तौर पर महामारी के बाद 2020 में देश की कंपनियों द्वारा उत्पादित कोविड-19 रोधी टीकों को कई देशों में भेजने की ओर था.

ये भी पढ़ें - पीएम मोदी ने 'मन की बात' में विदेश में शादी समारोह के चलन पर उठाये सवाल, कहा- ऐसे आयोजन देश में ही करें

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है और यही कारण है कि दुनिया इसे मित्र कहती है. मोदी ने यहां से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कान्हा शांति वनम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अतीत में देश को गुलाम बनाने वालों ने भारत की मूल शक्ति--योग, ज्ञान और आयुर्वेद जैसी उसकी परंपराओं पर हमला किया, जिससे उसे भारी नुकसान सहना पड़ा. कान्हा शांति वनम का उद्घाटन 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि गुलामी जब भी और जहां भी आयी, उस समाज की मूल ताकत को निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा, 'भारत को गुलाम बनाने वालों ने योग और आयुर्वेद जैसी इसकी परंपराओं पर हमला किया. ऐसी कई महत्वपूर्ण परंपराएं थीं और उन पर हमला किया गया और इससे देश को भारी नुकसान हुआ.' उन्होंने कहा, 'हालांकि समय बदलता है, भारत भी बदल रहा है. यह आजादी का अमृत काल (75वां वर्ष) है. भारतीय जो भी निर्णय लेंगे, हम जो काम करेंगे, वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे.'

  • #WATCH | At a programme at Kanha Shanti Vanam in Telangana, Prime Minister Narendra Modi says, "You too are contributing towards building a prosperous India by taking forward our prosperous heritage. Prosperity doesn't come just through wealth, there is an equal importance of… pic.twitter.com/r5quVmlQy2

    — ANI (@ANI) November 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से की गई अपनी पंच प्रण घोषणा को याद किया, जिनमें एक विकसित भारत के लिए संकल्प लेना, औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाना, हमारी विरासत और एकता पर गर्व करना तथा नागरिकों के कर्तव्य शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, सरकार ने देश की सांस्कृतिक विरासत को हर तरह से सशक्त करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि आज भारत की चर्चा ज्ञान के केंद्र के रूप में की जा रही है. उन्होंने उल्लेख किया कि देश के प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया.

उन्होंने कहा कि विकसित भारत सुनिश्चित करने के लिए हमें चार स्तंभों-नारी शक्ति, युवा शक्ति, श्रम शक्ति और उद्यम शक्ति- पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'गरीब, मछुआरे, किसान, छात्र, युवा...उनका सशक्तीकरण समय की मांग है और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोगों को योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन आज सरकार लाभार्थियों तक पहुंच रही है. मोदी ने कहा, 'एक समय था जब नागरिक सरकार के दरवाजे खटखटाते थे. आज हम आपके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए और कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए. उन्होंने मेरा भारत मिशन का जिक्र किया, जो युवाओं को नशे के दलदल में जाने से रोकेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, 'जैसे प्रकृति निस्वार्थ भाव से देती है, आइए हम भी निस्वार्थ भाव से काम करें और एक मजबूत भारत का निर्माण करें.' मोदी ने कहा कि भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, 'विकासशील भारत खुद को विश्वमित्र के रूप में देखता है. जिस तरह से हम कोरोना (महामारी) के बाद दुनिया के साथ खड़े थे, आज मुझे दुनिया को यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत आपका मित्र है; दुनिया कहती है कि भारत हमारा मित्र है.' प्रधानमंत्री मोदी का इशारा परोक्ष तौर पर महामारी के बाद 2020 में देश की कंपनियों द्वारा उत्पादित कोविड-19 रोधी टीकों को कई देशों में भेजने की ओर था.

ये भी पढ़ें - पीएम मोदी ने 'मन की बात' में विदेश में शादी समारोह के चलन पर उठाये सवाल, कहा- ऐसे आयोजन देश में ही करें

Last Updated : Nov 26, 2023, 8:49 PM IST
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