नई दिल्ली: भारत ने चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किए जाने को अस्वीकार्य बताया और कहा कि वह ऐसे कदमों का 'समुचित उत्तर' देने का अधिकार रखता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत पहले ही इस मामले पर चीनी पक्ष के समक्ष अपना 'कड़ा विरोध' दर्ज करा चुका है. बागची ने कहा कि यह सरकार के संज्ञान में आया है कि उन कुछ भारतीय नागरिकों को स्टेपल वीजा जारी किया गया, जिन्हें चीन में एक अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करना था.
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#WATCH | MEA spokesperson Arindam Bagchi says, "It has come to our notice that Stapled visas were issued to some of our citizens representing the country in an international sporting event in China. This is unacceptable. And we have lodged our strong protest with the Chinese side… pic.twitter.com/hXuox50mq9
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— ANI (@ANI) July 27, 2023
उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और हमने चीनी पक्ष के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है तथा भारत ऐसे कदमों का समुचित जवाब देने का अधिकार रखता है.' उन्होंने एक मीडिया ब्रीफिंग में यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या अरुणाचल प्रदेश के कई खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किया गया है. बागची ने कहा, 'हमारी दीर्घकालिक और स्पष्ट स्थिति यह है कि वैध भारतीय पासपोर्ट रखने वाले भारतीय नागरिकों के लिए वीजा व्यवस्था में अधिवास या जातीयता के आधार पर कोई भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए.' यदि आव्रजन अधिकारी किसी पासपोर्ट पर वीजा की मोहर न लगाते हुए अलग से कागज पर मोहर लगाकर देते हैं और मोहर लगाकर पासपोर्ट के साथ नत्थी कर देते हैं, तो उसे स्टेपल वीजा कहा जाता है.
विदेश मंत्रालय के बयान पर कांग्रेस का सवाल- कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक दूसरे का अभिवादन स्वीकार किए जाने संबंधी विदेश मंत्रालय के बयान को लेकर शुक्रवार को सवाल किया कि क्या बीजिंग के साथ सीमा विवाद सुलझ गया है? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या क्या आखिरकार चीनी सैनिक डेपसांग और डेमचोक से पीछे हट जाएंगे?
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले वर्ष बाली में जी20 शिखर सम्मेलन में एक रात्रि भोज के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन स्वीकार किया और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता पर बातचीत की थी. रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट कर दावा किया, '19 जून 2020 को प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट दी थी. उसके बाद से मोदी सरकार चीन को लेकर कठोर कदम उठाने की बात करती रही है. सरकार बार-बार यह दिखाने का प्रयास करती रही है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किसी भी तरह की सार्थक बातचीत या समझौता नहीं हुआ है, जब से चीनी सैनिक पिछले एलएसी समझौतों का उल्लंघन कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, '16 नवंबर 2022, को मोदी सरकार ने बाली में दोनों नेताओं के बीच रात्रिभोज पर हुई बातचीत को भी सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात के रूप में दर्शाया था, लेकिन 25 जुलाई 2023, को चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में बाली में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी चिनपिंग के बीच बनी 'महत्वपूर्ण सहमति' का उल्लेख किया गया.'
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रमेश ने सवाल किया, '27 जुलाई को, हमारे विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि बाली में दोनों नेताओं के बीच शिष्टाचार मुलाकात के अलावा भी बहुत कुछ हुआ था. क्या यह सहमति है या प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई छूट? क्या चीनी सैनिक आखिरकार डेपसांग और डेमचोक से पीछे हट जाएंगे जहां उन्होंने तीन साल से भी अधिक समय से भारतीय जवानों को गश्त करने से रोक रखा है?'
उन्होंने कहा, 'इस बीच, दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते भी ऐसे आगे बढ़ते दिख रहे हैं जैसे अप्रैल 2020 के बाद से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ कभी हुई ही नहीं है. क्या यही प्रधानमंत्री की 'लाल आंख' का नतीजा है?'
क्या होता है स्टेपल वीजा: बता दें, जब आव्रजन अधिकारी (immigration officer) किसी पासपोर्ट पर वीजा की मोहर न लगा कर अलग से कागज पर मोहर लगाकर उसे पासपोर्ट के साथ नत्थी कर देते हैं, तो उसे स्टेपल वीजा कहा जाता है. हाल ही में चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश के लोगों को स्टेपल वीजा जारी करने के मामले सामने आए, जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है.
(पीटीआई-भाषा)