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अफगानिस्तान पर 'मॉस्को फॉर्मेट' को लेकर भारत सकारात्मक, पूर्वी लद्दाख में विवाद सुलझने की उम्मीद : विदेश मंत्रालय - चीन पूर्वी लद्दाख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जो हालात बने वे यथास्थिति को बदलने के चीन के 'एकतरफा प्रयासों' के कारण पैदा हुए हैं. इसके अलावा उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान शासन के दौर में पहली मॉस्को फॉर्मेट को लेकर कहा कि भारत 20 अक्टूबर की बैठक को लेकर सकारात्मक है और बैठक में भाग लेगा.

विदेश मंत्रालय
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Published : Oct 14, 2021, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को उम्मीद जतायी कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा जिससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस बारे में भारत और चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर को हुई थी और वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने शेष क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं था और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका.

बागची ने कहा, दोनों पक्षों ने संवाद जारी रखने और जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखने पर सहमति व्यक्त की. यह सकारात्मक बात है.

उन्होंने कहा कि यह हाल ही में दुशांबे में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर की अपने चीनी समकक्ष से चर्चा के आधार पर बने मार्गदर्शन के अनुरूप होगा जहां वे इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों पक्षों को शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने चाहिए.

बागची ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा.

उन्होंने कहा कि इससे सीमा पर अमन एवं शांति बहाली और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.

आगामी मास्को फॉर्मेट बैठक में भाग लेगा भारत

इसके अलवा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि भारत अफगानिस्तान पर आगामी मास्को फॉर्मेट के तहत हो रही बैठक में भाग लेगा. यह बैठक 20 अक्टूबर को रूस में होगी. हालांकि बैठक में कौन जाएगा इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि रूस द्वारा शुरू किया गया मास्को फॉर्मेट अफगान मुद्दों को संबोधित करने के लिए 2017 में स्थापित एक वार्ता तंत्र है. इसमें वर्तमान में भारत, अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई राज्य शामिल हैं. भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान की स्थिति पर अपना रुख दोहराता रहा है.

आगामी मास्को फॉर्मेट बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अफगानिस्तान में स्थिति अस्थिर है और वह भी जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की अपील कर रहा है.

पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन गतिरोध शुरू हुआ

गौरतलब है कि पिछले वर्ष पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद सीमा गतिरोध शुरू हो गया था . इसके बाद दोनों ओर से सीमा पर सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की गई थी.

गतिरोध को दूर करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं. दोनों पक्षों ने पिछले महीने गोरा क्षेत्र से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया लेकिन कुछ स्थानों पर अभी गतिरोध बरकरार है.

दोनों पक्षों की ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

पढ़ें :- भारत-चीन वार्ता : 8 घंटे चली 13वें दौर की कमांडर स्तर बातचीत, सैन्य गतिरोध समाधान पर चर्चा

वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की हाल की अरूणाचल प्रदेश यात्रा पर चीन की आपत्ति के बारे में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोहराया कि हम ऐसे बयानों को खारिज करते हैं और अरूणाचल प्रदेश भारत का अटूट और अविभाज्य हिस्सा है.

बागची ने कहा, भारतीय नेता नियमित रूप से अरूणाचल प्रदेश की यात्रा करते हैं जिस प्रकार वे भारत के अन्य राज्यों में जाते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के एक राज्य की भारतीय नेताओं द्वारा यात्रा पर आपत्ति करने का कोई कारण भारतीयों को समझ नहीं आ रहा.

गौरतलब है कि चीन, अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है और वहां भारतीय नेताओं की यात्रा पर आपत्ति व्यक्त करता है.

नई दिल्ली : भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को उम्मीद जतायी कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा जिससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस बारे में भारत और चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता 10 अक्टूबर को हुई थी और वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने शेष क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं था और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका.

बागची ने कहा, दोनों पक्षों ने संवाद जारी रखने और जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखने पर सहमति व्यक्त की. यह सकारात्मक बात है.

उन्होंने कहा कि यह हाल ही में दुशांबे में एक बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर की अपने चीनी समकक्ष से चर्चा के आधार पर बने मार्गदर्शन के अनुरूप होगा जहां वे इस बात पर सहमत हुए थे कि दोनों पक्षों को शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने चाहिए.

बागची ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष मुद्दों को जल्दी हल करने की दिशा में काम करेगा.

उन्होंने कहा कि इससे सीमा पर अमन एवं शांति बहाली और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग सुगम होगा.

आगामी मास्को फॉर्मेट बैठक में भाग लेगा भारत

इसके अलवा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी कि भारत अफगानिस्तान पर आगामी मास्को फॉर्मेट के तहत हो रही बैठक में भाग लेगा. यह बैठक 20 अक्टूबर को रूस में होगी. हालांकि बैठक में कौन जाएगा इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि रूस द्वारा शुरू किया गया मास्को फॉर्मेट अफगान मुद्दों को संबोधित करने के लिए 2017 में स्थापित एक वार्ता तंत्र है. इसमें वर्तमान में भारत, अमेरिका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई राज्य शामिल हैं. भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान की स्थिति पर अपना रुख दोहराता रहा है.

आगामी मास्को फॉर्मेट बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अफगानिस्तान में स्थिति अस्थिर है और वह भी जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की अपील कर रहा है.

पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन गतिरोध शुरू हुआ

गौरतलब है कि पिछले वर्ष पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद सीमा गतिरोध शुरू हो गया था . इसके बाद दोनों ओर से सीमा पर सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की गई थी.

गतिरोध को दूर करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं. दोनों पक्षों ने पिछले महीने गोरा क्षेत्र से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया लेकिन कुछ स्थानों पर अभी गतिरोध बरकरार है.

दोनों पक्षों की ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

पढ़ें :- भारत-चीन वार्ता : 8 घंटे चली 13वें दौर की कमांडर स्तर बातचीत, सैन्य गतिरोध समाधान पर चर्चा

वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू की हाल की अरूणाचल प्रदेश यात्रा पर चीन की आपत्ति के बारे में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दोहराया कि हम ऐसे बयानों को खारिज करते हैं और अरूणाचल प्रदेश भारत का अटूट और अविभाज्य हिस्सा है.

बागची ने कहा, भारतीय नेता नियमित रूप से अरूणाचल प्रदेश की यात्रा करते हैं जिस प्रकार वे भारत के अन्य राज्यों में जाते हैं. उन्होंने कहा कि भारत के एक राज्य की भारतीय नेताओं द्वारा यात्रा पर आपत्ति करने का कोई कारण भारतीयों को समझ नहीं आ रहा.

गौरतलब है कि चीन, अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है और वहां भारतीय नेताओं की यात्रा पर आपत्ति व्यक्त करता है.

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