नई दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि भारत युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में शांति (peace in afghanistan) सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय देशों सहित कई पक्षकारों के साथ बातचीत कर रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (arindam bagchi) ने कहा, अफगानिस्तान के साथ हमारे संबंध ऐतिहासिक और बहुआयामी हैं. हम विभिन्न जातियों के अफ़गानों के साथ काम कर रहे हैं. यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया जिसमें कहा गया कि भारत ने पहली बार अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की तेजी से वापसी की पृष्ठभूमि के खिलाफ मुल्ला बरादर सहित अफगान तालिबान गुटों और नेताओं के साथ बातचीत के चैनल खोले हैं.
यह कदम किसी भी तरह से अफगान तालिबान के साथ न उलझने की नई दिल्ली की स्थिति को बताता है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब प्रमुख विश्व शक्तियां इस स्थिति के इर्द-गिर्द घूम रही हैं कि तालिबान काबुल में किसी भी भविष्य की व्यवस्था में कुछ भूमिका निभाएगा.
आउटरीच का नेतृत्व बड़े पैमाने पर भारतीय सुरक्षा अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है और तालिबान गुटों और नेताओं तक सीमित है जिन्हें 'राष्ट्रवादी' या पाकिस्तान और ईरान के प्रभाव क्षेत्र से बाहर माना जाता है.
बरादर के लिए आउटरीच महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने फरवरी 2020 में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसने अमेरिकी सैनिकों की वर्तमान वापसी का मार्ग प्रशस्त किया.
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भारत के अफगान तालिबान गुटों तक पहुंचने पर एक प्रश्न के उत्तर में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा, एक पड़ोसी के रूप में, हम अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. हम सभी शांति पहल का समर्थन करते हैं और क्षेत्रीय देशों के साथ काम कर रहे हैं. जैसा कि मैंने अफगानिस्तान के हमारे दीर्घकालिक विकास और पुनर्निर्माण के अनुसरण में कहा था, हम विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के संपर्क में हैं.
उन्होंने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि विदेश मंत्री ने पिछले वर्ष दोहा में आयोजित अंतर-अफगान वार्ता के उद्घाटन समारोह में भाग लिया था. हाल के दिनों में, कई अफगान नेताओं ने भारत का दौरा भी किया है. हमने काबुल का भी आधिकारिक दौरा किया था. अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास के प्रयासों में भारत सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.