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श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे, लोकतांत्रिक माध्यम से जल्द समाधान की उम्मीद : विदेश मंत्रालय - विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची

पड़ोसी मुल्क में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट के बीच भारत ने कहा है कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा. साथ ही उम्मीद जताई है कि लोकतांत्रिक माध्यम से जल्द समाधान होगा (India hopes early solution to Lanka crisis).

India hopes early solution to Lanka crisis
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची
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Published : Jul 14, 2022, 9:46 PM IST

नई दिल्ली : श्रीलंका में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने के बीच भारत ने गुरुवार को कहा कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा तथा उसे लोकतांत्रिक तरीकों एवं संवैधानिक ढांचे के जरिये सरकार एवं नेतृत्व से जुड़े मुद्दों सहित वर्तमान स्थिति के जल्द समाधान की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत श्रीलंका में उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं तथा उस देश में सभी प्रासंगिक हितधारकों के सम्पर्क में है.

विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब सऊदी एयरलाइंस का एक विमान गुरुवार को मालदीव से सिंगापुर पहुंचा. अटकलें हैं कि इसमें श्रीलंका के संकटग्रस्त राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सवार थे. राजपक्षे (73) ने बुधवार को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का वादा किया था. लेकिन व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच वे देश छोड़कर मालदीव भाग गए थे.

बागची ने कहा, 'हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे, ताकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों एवं मूल्यों तथा स्थापित संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे के तहत समृद्धि, प्रगति की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से श्रीलंका की वर्तमान स्थिति के बारे में सवाल पूछे गए थे. बागची ने कहा, 'हम उस देश में उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. श्रीलंका के साथ हमारे संबंध समग्र एवं ऐतिहासिक हैं और हम श्रीलंका में सभी हितधारकों से सम्पर्क जारी रखेंगे.'

उन्होंने कहा, 'हमें लोकतांत्रिक तरीकों एवं संवैधानिक ढांचे के तहत सरकार एवं नेतृत्व से जुड़े मुद्दों सहित वर्तमान स्थिति के जल्द समाधान की उम्मीद है.' बागची ने कहा कि श्रीलंका को रास्ता तलाशने की जरूरत है, उन्हें समाधान तलाशने की ओर आगे बढ़ना होगा, हम श्रीलंका के लोगों के समर्थन के लिये हैं और हमने आर्थिक सहायता के जरिये इसका प्रदर्शन भी किया है.

उन्होंने कहा कि श्रीलंका हमारी 'पड़ोस पहले' की नीति में केंद्र में है और भारत ने उसे आर्थिक संकट से निपटने के लिए इस वर्ष 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है.

पढ़ें- सिंगापुर पहुंचे श्रीलंका राष्ट्रपति राजपक्षे ने दिया इस्तीफा

पढ़ें- श्रीलंका ईंधन संकट : इन भारतीय एयरपोर्ट पर भरा जा रहा श्रीलंकाई विमानों में फ्यूल

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : श्रीलंका में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने के बीच भारत ने गुरुवार को कहा कि वह श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा तथा उसे लोकतांत्रिक तरीकों एवं संवैधानिक ढांचे के जरिये सरकार एवं नेतृत्व से जुड़े मुद्दों सहित वर्तमान स्थिति के जल्द समाधान की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत श्रीलंका में उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं तथा उस देश में सभी प्रासंगिक हितधारकों के सम्पर्क में है.

विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब सऊदी एयरलाइंस का एक विमान गुरुवार को मालदीव से सिंगापुर पहुंचा. अटकलें हैं कि इसमें श्रीलंका के संकटग्रस्त राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सवार थे. राजपक्षे (73) ने बुधवार को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का वादा किया था. लेकिन व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच वे देश छोड़कर मालदीव भाग गए थे.

बागची ने कहा, 'हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे, ताकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों एवं मूल्यों तथा स्थापित संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे के तहत समृद्धि, प्रगति की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से श्रीलंका की वर्तमान स्थिति के बारे में सवाल पूछे गए थे. बागची ने कहा, 'हम उस देश में उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. श्रीलंका के साथ हमारे संबंध समग्र एवं ऐतिहासिक हैं और हम श्रीलंका में सभी हितधारकों से सम्पर्क जारी रखेंगे.'

उन्होंने कहा, 'हमें लोकतांत्रिक तरीकों एवं संवैधानिक ढांचे के तहत सरकार एवं नेतृत्व से जुड़े मुद्दों सहित वर्तमान स्थिति के जल्द समाधान की उम्मीद है.' बागची ने कहा कि श्रीलंका को रास्ता तलाशने की जरूरत है, उन्हें समाधान तलाशने की ओर आगे बढ़ना होगा, हम श्रीलंका के लोगों के समर्थन के लिये हैं और हमने आर्थिक सहायता के जरिये इसका प्रदर्शन भी किया है.

उन्होंने कहा कि श्रीलंका हमारी 'पड़ोस पहले' की नीति में केंद्र में है और भारत ने उसे आर्थिक संकट से निपटने के लिए इस वर्ष 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता दी है.

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(पीटीआई-भाषा)

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