नई दिल्ली: भारत विशेष रूप से उत्तर और पश्चिमी भारत के जंगलों में लगी आग के कारण न केवल वन संपदा, वन्य जीव और मानव बल्कि सोलर ऊर्जा उत्पादन भी प्रभावित हो रही है. जंगल की आग के कारण उत्पन्न होने वाले एरोसोल और धुएं से फोटोवोल्टिक सेल की क्षमता प्रभावित हो रही है. यही फोटोवोल्टिक सेल सूर्य के प्रकाश को सोलर उर्जा में परिवर्तित करते हैं. ये जंगल की आग जो भारत के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करती है, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी में एक प्रमुख भूमिका निभाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान और एथेंस के राष्ट्रीय वेधशाला (एनओए), ग्रीस के शोधकर्ताओं के एक समूह ने सोलर उर्जा उत्पादन मे कमी के कारकों का पता लगाने की कोशिश की.
वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में पाया कि बादलों और एरोसोल के अलावा, जंगल की आग सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जंगल की आग और बायोमास जलना एशिया सहित कई क्षेत्रों में कार्बनयुक्त एरोसोल, ग्रीनहाउस गैसों, ओजोन अग्रदूतों, ट्रेस गैसों और कण प्रदूषक उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं. बड़े पैमाने पर जंगल की आग से उत्सर्जित वायु प्रदूषक, ग्रीनहाउस गैसें, कालिख और अन्य एरोसोल कण सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं. जिससे सौलर पैनलों पर पड़ने वाले प्रकाश की तीव्रता कम हो जाती है जिससे सौर फोटोवोल्टिक (PV) बिजली उत्पादन कम हो जाता है. इन एरोसोल के जमाव से सोलर पीवी उत्पादन में 30 से 50 प्रतिशत तक की कमी आती है. अधिकारियों के अनुसार सोलर संयंत्रों के उत्पादन पर जंगल की आग के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण ऊर्जा और वित्तीय नुकसान होता है. इस तरह के विश्लेषण से ग्रिड ऑपरेटरों को बिजली उत्पादन की योजना बनाने और शेड्यूल करने में मदद मिलेगी. यह बिजली उत्पादकों को देश में सोलर ऊर्जा उत्पादन के वितरण, आपूर्ति, सुरक्षा और समग्र योजना बनाने में भी मददगार सावित होगा.
भारत में जंगल की आग की समस्या: आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज के वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषण किए गए आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी और मध्य हिमालय और पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाकों में प्राकृतिक और मानवजनित कारणों से भारत को हर साल बड़े पैमाने पर जंगल की आग का सामना करना पड़ता है. नवंबर 2020-जून 2021 के बीच ओडिशा (51,968), मध्य प्रदेश (47,795), छत्तीसगढ़ (38,106), महाराष्ट्र (34,025), झारखंड (21,713), उत्तराखंड (21,497), आंध्र प्रदेश (19,328) में बड़ी संख्या में जंगल की आग की सूचना मिली थी. जबकि तेलंगाना (18,237), मिजोरम (12,864), असम (10,718), और मणिपुर (10,475) में भी आग काफी संख्या में लगी थी. उत्तराखंड राज्य में 2021 में बड़े पैमाने पर आग के कारण लगभग 1,300 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया. भारतीय वन सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 2004 से 2017 तक कुल 2.7 लाख (2,77,758) वन अग्नि प्वाइंट दर्ज किए गए थे और 2.56 लाख हेक्टेयर भूमि इन जंगल की आग से प्रभावित हुई थी.
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