नई दिल्ली : नौवें भारत-यूरोपीय मानवाधिकार वार्ता के दौरान भारत और यूरोपीय संघ ने सोमवार को मानवाधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. इसके साथ ही सार्वभौमिकता, अविभाज्यता, आपसी निर्भरता और सभी मानव अधिकारों की पारस्परिक संबंधों पर जोर दिया.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता यूरोप पश्चिम के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव संदीप चक्रवर्ती और भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत उगो अस्तुतो ने की.
इस कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में मानवाधिकार को सशक्त बनाने पर अपने मतों का आदान-प्रदान किया. इसके साथ ही उन्होंने नागरिक और राजनीतिक अधिकारों, धर्म या विश्वास की आजादी, महिला सशक्तिकरण, बाल अधिकार, अल्पसंख्यक और कमजोर वर्ग के अधिकारों पर चर्चा की.
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यूरोपीय संघ और भारत ने मानव अधिकारों के मुद्दों पर अधिक से अधिक चर्चा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता व्यक्त की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानवाधिकार कानूनों और मानकों के आधार पर इस पर चर्चा करने की जरूरत पर जोर दिया गया.
इसके अलावा दोनों राष्ट्रों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-दूसरे को सहयोग करने की बात पर चर्चा की. खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक-दूसरे के साथ वे खड़े रहेंगे.
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इस संबंध में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र के लिए अपने संबंधित स्थायी मिशनों पर नियमित आदान-प्रदान और UNHRC में सहयोग हाथ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा.
बता दें कि जुलाई 2020 में 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसरण में आज नौवां भारत-यूरोपीय संघ मानवाधिकार वार्ता आयोजित हुआ.