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रूस पर लगे प्रतिबंध के कारण भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में इजाफा - inflation pressure in the US and real estate instability in China

यूक्रेन संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए कडी चुनौती पेश की है. वहीं भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसके कुछ पॉजिटिव पहलू भी हैं क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भारतीय निर्यातकों के लिए नए रास्ते खोले हैं. और भविष्य में इसके ज्यादा खुलने की संभावना है. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें ईटीवी भारत की रिपोर्ट..

भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में इजाफा
भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में इजाफा
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Published : Apr 23, 2022, 10:22 AM IST

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए काफी चुनौती पैदी की है. लेकिन भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसके कुछ पॉजिटिव पहलू भी हैं क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भारतीय निर्यातकों के लिए नए रास्ते खोल सकते हैं. वैश्विक बाजार में भारत के इंजीनियरिंग निर्यातकों के निकाय के अध्यक्ष के अनुसार मार्च 2022 में भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में सालाना आधार पर लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई. क्योंकि यह पिछले साल मार्च में 9.29 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 11.13 अरब डॉलर का हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देश का इंजीनियरिंग निर्यात 112.10 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 46.12 फीसदी ज्यादा है. देश के कुल व्यापारिक निर्यात में इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा 26.7% है.

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष महेश देसाई का कहना है कि वैश्विक और घरेलू दोनों मोर्चों पर कई चुनौतियां सामने आई हैं जो निर्यात की मौजूदा प्रवृत्ति को बनाए रखने में एक निवारक के रूप में काम कर सकती हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था को परेशान करने के लिए सबसे संवेदनशील मुद्दा है. वहीं चीन में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि भी वैश्विक सप्लाई चेन के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है. अमेरिका में मुद्रास्फीति का दबाव और चीन में अचल संपत्ति की अस्थिरता का व्यापार वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा. भारत में स्टील की बढ़ती कीमतों और कुछ वित्तीय मुद्दे भी आने वाले महीनों में भारत के निर्यात में बाधा डालेंगे.

पहली बार मार्च 2022 में इंजीनियरिंग निर्यात 11 अरब डॉलर को पार करने का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा कि इस गति को बनाए रखने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. ईईपीसी इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 के दौरान 34 इंजीनियरिंग उत्पाद पैनलों में से 32 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई. मार्च 2022 के दौरान नकारात्मक वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि तांबे और उसके उत्पादों, परमाणु रिएक्टरों और बॉयलरों, प्राइम माइका और उसके उत्पादों, जहाजों, नावों और तैरती संरचनाओं, और टिन एवं उसके उत्पादों में भी देखने को मिली है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संचयी रूप से नकारात्मक वृद्धि जहाजों, नावों और फ्लोटिंग स्ट्रक्चर श्रेणियों और हवाई जहाजों, अंतरिक्ष यान और भागों की श्रेणी में भी देखी गई. कुछ इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में गिरावट के बाद भी भारत का इंजीनियरिंग निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 107.34 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पार करनें में सफल रहा.

अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात 60% से अधिक बढ़ा: भारत के इंजीनियरिंग सामान के शीर्ष 25 बाजारों में अमेरिका को निर्यात मार्च में 61 फीसदी उछलकर 2.02 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 1.26 अरब डॉलर था. संचयी आधार पर वित्त वर्ष 2012 में अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात 17.32 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष में 11.33 बिलियन डॉलर था, जो 52.8% की वृद्धि थी. यूएई को इंजीनियरिंग निर्यात मार्च 2022 में 78.9% साल-दर-साल बढ़कर 553 मिलियन डॉलर हो गया. वित्तीय वर्ष 2021-22 में यूएई को निर्यात 74.3% बढ़कर 5.57 बिलियन डॉलर हो गया जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 3.2 बिलियन डॉलर था.

हालाँकि चीन को इंजीनियरिंग निर्यात मार्च 2022 के महीने में साल-दर-साल 44.5% घटकर 316 मिलियन डॉलर का रहा. हालांकि पूरे साल की वृद्धि सकारात्मक रही, वित्त वर्ष 2022 में चीन को कुल निर्यात 5.45 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल यह 4.84 अरब डॉलर का था. भारत के इंजीनियरिंग निर्यात के लिए शीर्ष 25 गंतव्य, जैसे अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, जर्मनी, इटली और सिंगापुर, भारत से कुल इंजीनियरिंग निर्यात का लगभग 75% हिस्सा है. 2021-22 के दौरान इटली, संयुक्त अरब अमीरात और बेल्जियम भारतीय लौह और इस्पात के शीर्ष तीन आयातक थे, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन 2020-21 की तुलना में इसी अवधि के दौरान भारत के लौह और इस्पात उत्पादों के शीर्ष तीन आयातक थे. भारत के उत्पाद समूह के वैश्विक आयात में संयुक्त राज्य अमेरिका 2021-22 के दौरान भारतीय 'औद्योगिक मशीनरी' का सबसे बड़ा आयातक था. थाईलैंड और जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के दो तत्काल अनुयायी थे. 2021-22 के दौरान दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और नाइजीरिया भारत के ऑटोमोबाइल के शीर्ष तीन आयातक थे.

यह भी पढ़ें-भारत के चीनी निर्यात में जबरदस्त उछाल, 9000 से बढ़कर 35,000 करोड़ पहुंचा

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए काफी चुनौती पैदी की है. लेकिन भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसके कुछ पॉजिटिव पहलू भी हैं क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध भारतीय निर्यातकों के लिए नए रास्ते खोल सकते हैं. वैश्विक बाजार में भारत के इंजीनियरिंग निर्यातकों के निकाय के अध्यक्ष के अनुसार मार्च 2022 में भारत के इंजीनियरिंग निर्यात में सालाना आधार पर लगभग 20% की वृद्धि दर्ज की गई. क्योंकि यह पिछले साल मार्च में 9.29 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 11.13 अरब डॉलर का हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देश का इंजीनियरिंग निर्यात 112.10 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 46.12 फीसदी ज्यादा है. देश के कुल व्यापारिक निर्यात में इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा 26.7% है.

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष महेश देसाई का कहना है कि वैश्विक और घरेलू दोनों मोर्चों पर कई चुनौतियां सामने आई हैं जो निर्यात की मौजूदा प्रवृत्ति को बनाए रखने में एक निवारक के रूप में काम कर सकती हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था को परेशान करने के लिए सबसे संवेदनशील मुद्दा है. वहीं चीन में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि भी वैश्विक सप्लाई चेन के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है. अमेरिका में मुद्रास्फीति का दबाव और चीन में अचल संपत्ति की अस्थिरता का व्यापार वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा. भारत में स्टील की बढ़ती कीमतों और कुछ वित्तीय मुद्दे भी आने वाले महीनों में भारत के निर्यात में बाधा डालेंगे.

पहली बार मार्च 2022 में इंजीनियरिंग निर्यात 11 अरब डॉलर को पार करने का जिक्र करते हुए देसाई ने कहा कि इस गति को बनाए रखने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. ईईपीसी इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 के दौरान 34 इंजीनियरिंग उत्पाद पैनलों में से 32 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई. मार्च 2022 के दौरान नकारात्मक वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि तांबे और उसके उत्पादों, परमाणु रिएक्टरों और बॉयलरों, प्राइम माइका और उसके उत्पादों, जहाजों, नावों और तैरती संरचनाओं, और टिन एवं उसके उत्पादों में भी देखने को मिली है. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संचयी रूप से नकारात्मक वृद्धि जहाजों, नावों और फ्लोटिंग स्ट्रक्चर श्रेणियों और हवाई जहाजों, अंतरिक्ष यान और भागों की श्रेणी में भी देखी गई. कुछ इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में गिरावट के बाद भी भारत का इंजीनियरिंग निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 107.34 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पार करनें में सफल रहा.

अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात 60% से अधिक बढ़ा: भारत के इंजीनियरिंग सामान के शीर्ष 25 बाजारों में अमेरिका को निर्यात मार्च में 61 फीसदी उछलकर 2.02 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 1.26 अरब डॉलर था. संचयी आधार पर वित्त वर्ष 2012 में अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात 17.32 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वित्त वर्ष में 11.33 बिलियन डॉलर था, जो 52.8% की वृद्धि थी. यूएई को इंजीनियरिंग निर्यात मार्च 2022 में 78.9% साल-दर-साल बढ़कर 553 मिलियन डॉलर हो गया. वित्तीय वर्ष 2021-22 में यूएई को निर्यात 74.3% बढ़कर 5.57 बिलियन डॉलर हो गया जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह 3.2 बिलियन डॉलर था.

हालाँकि चीन को इंजीनियरिंग निर्यात मार्च 2022 के महीने में साल-दर-साल 44.5% घटकर 316 मिलियन डॉलर का रहा. हालांकि पूरे साल की वृद्धि सकारात्मक रही, वित्त वर्ष 2022 में चीन को कुल निर्यात 5.45 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल यह 4.84 अरब डॉलर का था. भारत के इंजीनियरिंग निर्यात के लिए शीर्ष 25 गंतव्य, जैसे अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, जर्मनी, इटली और सिंगापुर, भारत से कुल इंजीनियरिंग निर्यात का लगभग 75% हिस्सा है. 2021-22 के दौरान इटली, संयुक्त अरब अमीरात और बेल्जियम भारतीय लौह और इस्पात के शीर्ष तीन आयातक थे, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन 2020-21 की तुलना में इसी अवधि के दौरान भारत के लौह और इस्पात उत्पादों के शीर्ष तीन आयातक थे. भारत के उत्पाद समूह के वैश्विक आयात में संयुक्त राज्य अमेरिका 2021-22 के दौरान भारतीय 'औद्योगिक मशीनरी' का सबसे बड़ा आयातक था. थाईलैंड और जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के दो तत्काल अनुयायी थे. 2021-22 के दौरान दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और नाइजीरिया भारत के ऑटोमोबाइल के शीर्ष तीन आयातक थे.

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