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भारत ने रखा अफ्रीका वासियों की प्राथमिकताओं का ध्यान : जयशंकर - S Jaishankar at the 16th Conference of CII EXIM

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि अफ्रीका में भारत की पहलों को इस तरह से अमल में लाया गया है कि अफ्रीका वासियों की प्राथमिकताओं का ध्यान रखा जाए और इसके साथ ही स्थानीय स्वामित्व को बढ़ावा देते हुए परस्पर लाभ और क्षमताओं पर भी विचार किया गया है.

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Published : Jul 13, 2021, 10:57 PM IST

नई दिल्ली : भारत और दक्षिण अफ्रीका की साझेदारी पर सीआईआई-एक्जिम के 16वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अनेक तटीय अफ्रीकी राज्यों के सामने आने वाले गैर-परंपरागत खतरों में वृद्धि को देखते हुए समुद्री सुरक्षा में अफ्रीका के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि जब हम कोविड महामारी से उबरने के लिए काम कर रहे हैं तो यह साझेदारी और भी अधिक खास हो जाती है. जयशंकर ने कहा कि इस तरह के प्रयासों की वजह से संबंधों में एक विशिष्ट स्तर का विश्वास दिखाई देता है जो आगे की चुनौतियों से निपटने की दिशा में और अधिक महत्वपूर्ण है.

जयशंकर ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत की साझेदारी 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित कंपाला सिद्धांतों से निर्देशित है. उन्होंने कहा कि भारत की गतिविधियां और पहल अफ्रीका की जरूरतों तथा उसके लोगों की प्राथमिकताओं की जरूरतों के हिसाब से तैयार की गयी हैं.

उन्होंने कहा कि इसमें स्थानीय स्वामित्व को बढ़ावा देते हुए परस्पर क्षमताओं और लाभों पर विचार किया गया है. इसके परिणाम स्वरूप हम विश्वास का विशिष्ट स्तर देखते हैं जो आगे आने वाली चुनौतियों को देखते हुए अधिक महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्री के ये वक्तव्य इस लिहाज से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं कि भारत परंपरागत रूप से अफ्रीका महाद्वीप का करीबी साझेदार रहा है, लेकिन चीन पिछले कुछ सालों से इस संसाधन संपन्न क्षेत्र में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है.

इसे भी पढ़ें : जयशंकर ने कई देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की; द्विपक्षीय मुद्दों, कोविड-19 पर चर्चा हुई
जयशंकर ने कहा कि कोविड के बाद के परिदृश्य में अफ्रीका के संबंध में भारत की सहयोगात्मक गतिविधियों में चार क्षेत्र प्रमुख रहेंगे जिनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, डिजिटल आपूर्ति, कौशल और क्षमता निर्माण तथा हरित अर्थव्यवस्था हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारत और दक्षिण अफ्रीका की साझेदारी पर सीआईआई-एक्जिम के 16वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अनेक तटीय अफ्रीकी राज्यों के सामने आने वाले गैर-परंपरागत खतरों में वृद्धि को देखते हुए समुद्री सुरक्षा में अफ्रीका के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि जब हम कोविड महामारी से उबरने के लिए काम कर रहे हैं तो यह साझेदारी और भी अधिक खास हो जाती है. जयशंकर ने कहा कि इस तरह के प्रयासों की वजह से संबंधों में एक विशिष्ट स्तर का विश्वास दिखाई देता है जो आगे की चुनौतियों से निपटने की दिशा में और अधिक महत्वपूर्ण है.

जयशंकर ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत की साझेदारी 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित कंपाला सिद्धांतों से निर्देशित है. उन्होंने कहा कि भारत की गतिविधियां और पहल अफ्रीका की जरूरतों तथा उसके लोगों की प्राथमिकताओं की जरूरतों के हिसाब से तैयार की गयी हैं.

उन्होंने कहा कि इसमें स्थानीय स्वामित्व को बढ़ावा देते हुए परस्पर क्षमताओं और लाभों पर विचार किया गया है. इसके परिणाम स्वरूप हम विश्वास का विशिष्ट स्तर देखते हैं जो आगे आने वाली चुनौतियों को देखते हुए अधिक महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्री के ये वक्तव्य इस लिहाज से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं कि भारत परंपरागत रूप से अफ्रीका महाद्वीप का करीबी साझेदार रहा है, लेकिन चीन पिछले कुछ सालों से इस संसाधन संपन्न क्षेत्र में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है.

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जयशंकर ने कहा कि कोविड के बाद के परिदृश्य में अफ्रीका के संबंध में भारत की सहयोगात्मक गतिविधियों में चार क्षेत्र प्रमुख रहेंगे जिनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, डिजिटल आपूर्ति, कौशल और क्षमता निर्माण तथा हरित अर्थव्यवस्था हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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