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पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे रिश्ते चाहता है भारत : विदेश मंत्रालय - भारत पाकिस्तान संबंध

भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर गुरुवार को सहमति जताई. वहीं, सैन्य अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ से लड़ने के लिए पाकिस्तान सीमा पर सैनिकों की तैनाती या सैन्य अभियानों में कमी नहीं की जाएगी.

विदेश मंत्रालय
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Published : Feb 25, 2021, 10:54 PM IST

नई दिल्ली/ इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और नई दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की.

संयुक्त बयान में कहा गया, 'सीमाओं पर दोनों देशों के लिए लाभकारी एवं स्थाई शांति स्थापित करने के लिए डीजीएमओ ने उन अहम चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई, जिनसे शांति बाधित हो सकती है और हिंसा हो सकती है.'

अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए होगी 'फ्लैग मीटिंग'
बयान में कहा गया, 'दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई.' दोनों पक्ष ने दोहराया कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए हॉटलाइन संपर्क और 'फ्लैग मीटिंग' व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा.

घोषणा के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे रिश्ते चाहता है और शांतिपूर्ण तरीके से सभी मुद्दों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा, 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है. और मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं.'

आतंकवाद के खिलाफ नहीं रुकेगा सेना का अभियान
सैन्य अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम का यह मतलब नहीं कि आतंकवाद के खिलाफ सेना का अभियान थम जाएगा. सतर्कता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि वे संघर्ष विराम समझौते को लेकर आशावादी हैं, लेकिन पूरी तरह सावधानी बरतेंगे.

भारत और पाकिस्तान ने 2003 में संघर्ष विराम समझौता किया था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से शायद ही इस पर अमल हुआ.

'डॉन' अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के हवाले से कहा है, '1987 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन स्तर पर संपर्क हो रहा है. इस स्थापित तंत्र के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ संपर्क में रहते हैं.'

पढ़ें- पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत-चीन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया सुगमता से जारी : चीन

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से एलओसी पर संघर्ष विराम समझौता के उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है.

बयान में कहा गया, दोनों डीजीएमओ ने सहमति जताई कि 2003 की मौजूदा सहमति का अक्षरश: पालन करना चाहिए. दोनों अधिकारी इसे टिकाऊ बनाने पर राजी हुए और इस आधार पर कदम उठाने की मंशा जताई.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने किया स्वागत
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) तथा अन्य क्षेत्रों में संघर्षविराम समझौते का स्वागत किया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा, 'हम इसका स्वागत करते हैं और आशा है कि बयान का अक्षरश: पालन होगा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलओसी पर संघर्षविराम का हमेशा से जोरदार समर्थन किया है. इससे एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोग बिना किसी अवरोध और खतरे के सामान्य जीवन गुजार सकेंगे.'

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट कर संघर्षविराम समझौते के संबंध में घोषणा का स्वागत किया और कहा कि वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.

महबूबा ने कहा, 'यह बड़ा और स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर संघर्ष विराम के लिए समझौता हुआ है. अगर दोनों देश, जम्मू कश्मीर और सीमाओं पर हिंसा के कुचक्र और रक्तपात को रोकना चाहते हैं तो वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.'

तीन साल में पाक ने 10,752 बार तोड़ा सीजफायर
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि पिछले तीन साल में पाकिस्तान के साथ लगती भारत की सीमा पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की कुल 10,752 घटनाएं हुईं, जिनमें 72 सुरक्षा कर्मियों और 70 आम लोगों की जान गई.

उन्होंने कहा था कि 2018, 2019 और 2020 में जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा के पास सीमा पार गोलीबारी में 364 सुरक्षाकर्मी और 341 आम नागरिक घायल हुए.

नई दिल्ली/ इस्लामाबाद : पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और नई दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की.

संयुक्त बयान में कहा गया, 'सीमाओं पर दोनों देशों के लिए लाभकारी एवं स्थाई शांति स्थापित करने के लिए डीजीएमओ ने उन अहम चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई, जिनसे शांति बाधित हो सकती है और हिंसा हो सकती है.'

अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए होगी 'फ्लैग मीटिंग'
बयान में कहा गया, 'दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई.' दोनों पक्ष ने दोहराया कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए हॉटलाइन संपर्क और 'फ्लैग मीटिंग' व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा.

घोषणा के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसे रिश्ते चाहता है और शांतिपूर्ण तरीके से सभी मुद्दों को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा, 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे रूख में कोई बदलाव नहीं आया है. और मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं.'

आतंकवाद के खिलाफ नहीं रुकेगा सेना का अभियान
सैन्य अधिकारियों ने कहा कि संघर्ष विराम का यह मतलब नहीं कि आतंकवाद के खिलाफ सेना का अभियान थम जाएगा. सतर्कता में किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि वे संघर्ष विराम समझौते को लेकर आशावादी हैं, लेकिन पूरी तरह सावधानी बरतेंगे.

भारत और पाकिस्तान ने 2003 में संघर्ष विराम समझौता किया था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से शायद ही इस पर अमल हुआ.

'डॉन' अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के हवाले से कहा है, '1987 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन स्तर पर संपर्क हो रहा है. इस स्थापित तंत्र के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ संपर्क में रहते हैं.'

पढ़ें- पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत-चीन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया सुगमता से जारी : चीन

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से एलओसी पर संघर्ष विराम समझौता के उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है.

बयान में कहा गया, दोनों डीजीएमओ ने सहमति जताई कि 2003 की मौजूदा सहमति का अक्षरश: पालन करना चाहिए. दोनों अधिकारी इसे टिकाऊ बनाने पर राजी हुए और इस आधार पर कदम उठाने की मंशा जताई.

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने किया स्वागत
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) तथा अन्य क्षेत्रों में संघर्षविराम समझौते का स्वागत किया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा, 'हम इसका स्वागत करते हैं और आशा है कि बयान का अक्षरश: पालन होगा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलओसी पर संघर्षविराम का हमेशा से जोरदार समर्थन किया है. इससे एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोग बिना किसी अवरोध और खतरे के सामान्य जीवन गुजार सकेंगे.'

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट कर संघर्षविराम समझौते के संबंध में घोषणा का स्वागत किया और कहा कि वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.

महबूबा ने कहा, 'यह बड़ा और स्वागत योग्य घटनाक्रम है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर संघर्ष विराम के लिए समझौता हुआ है. अगर दोनों देश, जम्मू कश्मीर और सीमाओं पर हिंसा के कुचक्र और रक्तपात को रोकना चाहते हैं तो वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.'

तीन साल में पाक ने 10,752 बार तोड़ा सीजफायर
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि पिछले तीन साल में पाकिस्तान के साथ लगती भारत की सीमा पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की कुल 10,752 घटनाएं हुईं, जिनमें 72 सुरक्षा कर्मियों और 70 आम लोगों की जान गई.

उन्होंने कहा था कि 2018, 2019 और 2020 में जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा के पास सीमा पार गोलीबारी में 364 सुरक्षाकर्मी और 341 आम नागरिक घायल हुए.

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