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भारत, चीन को पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए : सीडीएस रावत - भारत चीन सीमा विवाद पर

लद्दाख गतिरोध पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल विपिन रावत ने कहा कि भारत को 'किसी भी दुस्साहस' के लिए तैयार रहना चाहिए और जैसा उसने पूर्व में किया, उसी तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए. रावत ने कहा कि भारत को अपनी निगरानी बढ़ानी चाहिए और तैयार रहना चाहिए, चीजों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों को क्रमिक रूप से पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh ) में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए.

सीडीएस रावत
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Published : Jul 2, 2021, 7:46 PM IST

नई दिल्ली : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल विपिन रावत (Chief of Defence Staff Gen Bipin Rawat ) ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन दोनों को क्रमिक रूप से पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh ) में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि दोनों ही देश यह समझते हैं कि क्षेत्र में शांति और अमन स्थापित करना उनके सर्वोत्तम हित में है.

एक विचारक संस्था के कार्यक्रम में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि इसी के साथ भारत को 'किसी भी दुस्साहस' के लिए तैयार रहना चाहिए और जैसा उसने पूर्व में किया, उसी तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'मैं यही कहूंगा कि अपनी निगरानी बढ़ाइये, तैयार रहिए, चीजों को हल्के में मत लीजिए. हमें किसी भी दुस्साहस और उस पर प्रतिक्रिया के लिये भी तैयार रहना चाहिए. हमने पूर्व में ऐसा किया है और भविष्य में भी ऐसा करेंगे.'

लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के समाधान के बारे में जनरल रावत ने कहा कि विवाद सुलझाने के लिये दोनों पक्ष, राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'इसमें वक्त लगेगा. मुझे लगता है कि क्रमिक रूप से हम यथास्थिति हासिल करने में सक्षम होंगे क्योंकि अगर आप यथा स्थिति हासिल नहीं करेंगे, और ऐसी ही स्थिति में बने रहेंगे तो किसी समय यह दुस्साहस का कारण बन सकती है.'

उन्होंने कहा, 'इसलिये, दोनों राष्ट्र यह समझते हैं कि यथास्थिति की बहाली क्षेत्र में अमन और शांति के सर्वोत्तम हित में है, जिसके लिये हमारा देश प्रतिबद्ध है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या गतिरोध के बचे हुए बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की अपनी बात से चीन मुकर गया, उन्होंने कहा कि दोनों तरफ संदेह है और भारत ने भी वहां काफी संख्या में अपने सैनिक और संसाधन भेजे हैं.

सीडीएस ने कहा, 'दोनों तरफ संदेह है क्योंकि दूसरे पक्ष ने जहां अपने बलों को तैनात किया और अवसंरचना का निर्माण किया है, तो हम भी किसी से पीछे नहीं हैं. हमने भी बड़ी संख्या में सैनिकों और संसाधनों की तैनाती की है. दोनों तरफ इस तरह का संदेह है कि क्या हो सकता है.'

क्षेत्र में चीन के बढ़ती सैन्य मौजूदगी से संबंधित खबरों के संदर्भ में सीडीएस ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें इसका एहसास है कि भारतीय सशस्त्र बलों को हलके में नहीं लिया जा सकता. भारतीय सेना अब 1961 वाली सेना नहीं है. यह एक शक्तिशाली सशस्त्र बल है जिससे यूं ही पार नहीं पाया जा सकता.' उन्होंने कहा, 'वे जिस चीज के पात्र हैं उसके लिये खड़े होंगे. मुझे लगता है कि इसका उन्हें एहसास है.'

भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की और इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख के बचे हुए गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते यथा शीघ्र अगले दौर की सैन्य वार्ता के लिये सहमत हुए.

यह भी पढ़ें- लद्दाख में चीन के साथ वार्ता विफल होने पर सैन्य विकल्प मौजूद : जनरल रावत

भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है. दोनों पक्षों ने हालांकि कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह हटा लिया था.

दोनों पक्ष अब बचे हुए गतिरोध स्थलों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं. भारत विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग से सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा है. भारत अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति की बहाली के लिए जोर दे रहा है.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल विपिन रावत (Chief of Defence Staff Gen Bipin Rawat ) ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन दोनों को क्रमिक रूप से पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh ) में यथास्थिति बहाल करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि दोनों ही देश यह समझते हैं कि क्षेत्र में शांति और अमन स्थापित करना उनके सर्वोत्तम हित में है.

एक विचारक संस्था के कार्यक्रम में अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि इसी के साथ भारत को 'किसी भी दुस्साहस' के लिए तैयार रहना चाहिए और जैसा उसने पूर्व में किया, उसी तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'मैं यही कहूंगा कि अपनी निगरानी बढ़ाइये, तैयार रहिए, चीजों को हल्के में मत लीजिए. हमें किसी भी दुस्साहस और उस पर प्रतिक्रिया के लिये भी तैयार रहना चाहिए. हमने पूर्व में ऐसा किया है और भविष्य में भी ऐसा करेंगे.'

लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के समाधान के बारे में जनरल रावत ने कहा कि विवाद सुलझाने के लिये दोनों पक्ष, राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'इसमें वक्त लगेगा. मुझे लगता है कि क्रमिक रूप से हम यथास्थिति हासिल करने में सक्षम होंगे क्योंकि अगर आप यथा स्थिति हासिल नहीं करेंगे, और ऐसी ही स्थिति में बने रहेंगे तो किसी समय यह दुस्साहस का कारण बन सकती है.'

उन्होंने कहा, 'इसलिये, दोनों राष्ट्र यह समझते हैं कि यथास्थिति की बहाली क्षेत्र में अमन और शांति के सर्वोत्तम हित में है, जिसके लिये हमारा देश प्रतिबद्ध है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या गतिरोध के बचे हुए बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की अपनी बात से चीन मुकर गया, उन्होंने कहा कि दोनों तरफ संदेह है और भारत ने भी वहां काफी संख्या में अपने सैनिक और संसाधन भेजे हैं.

सीडीएस ने कहा, 'दोनों तरफ संदेह है क्योंकि दूसरे पक्ष ने जहां अपने बलों को तैनात किया और अवसंरचना का निर्माण किया है, तो हम भी किसी से पीछे नहीं हैं. हमने भी बड़ी संख्या में सैनिकों और संसाधनों की तैनाती की है. दोनों तरफ इस तरह का संदेह है कि क्या हो सकता है.'

क्षेत्र में चीन के बढ़ती सैन्य मौजूदगी से संबंधित खबरों के संदर्भ में सीडीएस ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें इसका एहसास है कि भारतीय सशस्त्र बलों को हलके में नहीं लिया जा सकता. भारतीय सेना अब 1961 वाली सेना नहीं है. यह एक शक्तिशाली सशस्त्र बल है जिससे यूं ही पार नहीं पाया जा सकता.' उन्होंने कहा, 'वे जिस चीज के पात्र हैं उसके लिये खड़े होंगे. मुझे लगता है कि इसका उन्हें एहसास है.'

भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की और इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख के बचे हुए गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते यथा शीघ्र अगले दौर की सैन्य वार्ता के लिये सहमत हुए.

यह भी पढ़ें- लद्दाख में चीन के साथ वार्ता विफल होने पर सैन्य विकल्प मौजूद : जनरल रावत

भारत और चीन के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है. दोनों पक्षों ने हालांकि कई दौर की सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह हटा लिया था.

दोनों पक्ष अब बचे हुए गतिरोध स्थलों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं. भारत विशेष रूप से हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग से सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा है. भारत अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति की बहाली के लिए जोर दे रहा है.

(पीटीआई भाषा)

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