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भारत-चीन संबंध 'तनावपूर्ण' बने रहेंगे : अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट - अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट

अमेरिकी खुफिया कम्युनिटी (US intelligence community ) का कहना है कि भारत और चीन के संबंध (india-china relations) तनावपूर्ण बने रहेंगे. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट में कहा गया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में इस बात की संभावना अधिक है कि भारत, पाकिस्तान की ओर से किसी भी उकसावे के प्रति सैन्य कार्रवाई कर सकता है.

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Published : May 11, 2022, 10:02 AM IST

वाशिंगटन : 'यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी' ने सांसदों से कहा कि 2020 में 'हिंसक झड़प' के मद्देनजर भारत और चीन के बीच संबंध 'तनावपूर्ण' रहेंगे. उसने भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह के संभावित संकट पर भी चिंता व्यक्त की है. 'यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी' ने कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष खतरों के संबंध में अपना वार्षिक आकलन पेश करते हुए मंगलवार को कहा कि भारत और चीन दोनों के विवादित सीमा पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाने से दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव का खतरा बढ़ता है, जो संभवत: अमेरिकी नागरिकों एवं हितों के लिए सीधे तौर पर खतरनाक हो सकता है. उसने इस संबंध में अमेरिका से हस्तक्षेप का आह्वान भी किया. उसने कहा, 'भारत और चीन के बीच संबंध 2020 में हिंसक संघर्ष के मद्देनजर तनावपूर्ण बने रहेंगे.'

रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले गतिरोध से पता चलता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निरंतर टकराव में तेजी आने की आशंका है. भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और सौहार्द द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों और भारी हथियारों के साथ अपनी मौजूदगी बढ़ाई है.

15 दौर की सैन्य वार्ता : भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद को सुलझाने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता की है. वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर तथा दक्षिण छोर से और गोगरा क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी की. दोनों देशों के एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में अभी करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद भी चिंता का विषय बना है.

रिपोर्ट के अनुसार, 'पाकिस्तान का भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों का सहयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है.' रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस बात की संभावना अधिक है कि भारत, पाकिस्तान की ओर से किसी भी उकसावे के प्रति सैन्य कार्रवाई कर सकता है.

वाशिंगटन : 'यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी' ने सांसदों से कहा कि 2020 में 'हिंसक झड़प' के मद्देनजर भारत और चीन के बीच संबंध 'तनावपूर्ण' रहेंगे. उसने भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह के संभावित संकट पर भी चिंता व्यक्त की है. 'यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी' ने कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष खतरों के संबंध में अपना वार्षिक आकलन पेश करते हुए मंगलवार को कहा कि भारत और चीन दोनों के विवादित सीमा पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाने से दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र टकराव का खतरा बढ़ता है, जो संभवत: अमेरिकी नागरिकों एवं हितों के लिए सीधे तौर पर खतरनाक हो सकता है. उसने इस संबंध में अमेरिका से हस्तक्षेप का आह्वान भी किया. उसने कहा, 'भारत और चीन के बीच संबंध 2020 में हिंसक संघर्ष के मद्देनजर तनावपूर्ण बने रहेंगे.'

रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले गतिरोध से पता चलता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निरंतर टकराव में तेजी आने की आशंका है. भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और सौहार्द द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों और भारी हथियारों के साथ अपनी मौजूदगी बढ़ाई है.

15 दौर की सैन्य वार्ता : भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद को सुलझाने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता की है. वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर तथा दक्षिण छोर से और गोगरा क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी की. दोनों देशों के एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में अभी करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद भी चिंता का विषय बना है.

रिपोर्ट के अनुसार, 'पाकिस्तान का भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों का सहयोग करने का एक लंबा इतिहास रहा है.' रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस बात की संभावना अधिक है कि भारत, पाकिस्तान की ओर से किसी भी उकसावे के प्रति सैन्य कार्रवाई कर सकता है.

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(पीटीआई-भाषा)

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