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भारत-बांग्लादेश दोस्ती, पीएम मोदी ने दी नई गति

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Published : Mar 30, 2021, 10:23 PM IST

बांग्लादेश दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश है. यूएन की कमेटी ने इसे सबसे कम विकसित देशों की सूची से निकालकर विकासशील देशों की सूची में डालने की अनुशंसा की है. जाहिर है, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध जितने बेहतर होंगे, फायदा दोनों का होगा. पीएम मोदी इसे बखूबी समझते हैं. यही वजह है कि उन्होंने बांग्लादेश के लिए कई योजनाओं को हरी झंडी दी है, ताकि चीन यहां हावी न हो सके.

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ढाका में पीएम मोदी और शेख हसीना.

हैदराबाद : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा इतिहास में याद किया जाएगा. पीएम ने 'बांग्लादेश के पिता' शेख मुजीबुर रहमान को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने उनकी ओर से अवार्ड प्राप्त करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया. बांग्लादेश को आजादी मिलने पर शेख मुजीबुर रहमान ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने हमारे लिए अपना खून बहाया, उसे हमारे लोग हमेशा याद रखेंगे.

भारत और बांग्लादेश न सिर्फ सीमा, बल्कि सामाजिक, सांस्कृति और आध्यात्मिक स्तर पर भी जुड़े हुए हैं. बांग्लादेश की स्वतंत्रता ने साबित कर दिया कि एक राष्ट्र धर्म से अधिक भाषा के स्तर पर जुड़े होते हैं. 'अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा डे' बांग्लादेश की उत्पत्ति की प्रेरणा है. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंगर ने भले ही बांग्लादेश का 'बास्केट केस' कहकर मजाक उड़ाया हो, लेकिन आज की तारीख में यह पाकिस्तान के मुकाबले विकास के हर सूचकांक में आगे है. यह सचमुच में बांग्लादेश की स्वर्ण जयंती का वर्ष है.

1975 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने भारत-बांग्लादेश संधि पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव आए. शरणार्थियों और पानी के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी. हालांकि सीमा, सीमा के जरिए अवैध आवाजाही, भारत विरोधी कैंप, भारत के खिलाफ कुप्रचार जैसे मुद्दों की वजह से भी दोनों देशों के बीच रिश्ते तनाव ग्रस्त रहे. लेकिन जैसे-जैसे बांग्लादेश में प्रजातंत्र ने अपनी स्थिति मजबूत की, दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होते चले गए. गलतफहमियां दूर होती गईं. 2015 में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद खत्म हो गया. 10 साल पहले तीस्ता नदी पर हुए समझौतों को अगर पटरी पर लाया जाए, तो सचमुच एक नया इतिहास लिखा जा सकेगा.

1980 की शुरुआत के बाद से बांग्लादेश के आर्थिक विकास की गाड़ी गति पकड़ने लगी थी. प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह भारत के करीब आने लगा. बांग्लादेश के औद्योगिक विकास की कहानी चौंकाने वाली है. 40 साल पहले बांग्लादेश की जीडीपी में कृषि की भागीदारी 33.2 फीसदी थी. अब कृषि का योगदान 14.2 फीसदी, जबकि उद्योग का योगदान 36.6 फीसदी है. विकास नीति पर बनी संयुक्त राष्ट्र की कमेटी ने बांग्लादेश को सबसे कम विकसित देशों की सूची से बाहर कर विकासशील देशों की सूची में दर्ज करने की अनुशंसा की है. अगर यह अनुशंसा पारित हो जाती है तो बांग्लादेश अग्रणी देशों के साथ व्यापार कर सकेगा. उसे ड्यूटी और एक्सपोर्ट कोटा जैसी शर्तों के बारे में सोचना नहीं होगा.

बांग्लादेश को अपने उत्पाद का 97 फीसदी निर्यात चीन के साथ करने की इजाजत मिली है. उस पर कोई ड्यूटी नहीं लगेगा. चीन ने कहा कि इससे बांग्लादेश 140 मि.डॉलर कमा सकेगा.

भारत के चारों ओर जितने भी पड़ोसी देश हैं, चीन ने एक तरीके से उन्हें अपने प्रभाव में कर रखा है. बांग्लादेश भी उनमें से एक है. पीएम मोदी इस चक्र को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लुक ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी इसी का नतीजा है. बांग्लादेश से संबंध बेहतर करने के लिए पीएम मोदी ने कई योजनाओं को हरी झंडी दी है. भारत ने कोरोना वैक्सीन के मामले में भी बांग्लादेश को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है. भारत न सिर्फ ढाका, बल्कि म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम से भी अपने संबंध मजबूत कर रहा है. जाहिर है, बांग्लादेश के साथ संबंधों को और अधिक मजबूत करना भारत के हित में होगा, वह भी ऐसे समय में जबकि बांग्लादेश दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो सबसे अधिक गति से आर्थिक विकास में आगे बढ़ रहा हो.

हैदराबाद : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा इतिहास में याद किया जाएगा. पीएम ने 'बांग्लादेश के पिता' शेख मुजीबुर रहमान को महात्मा गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने उनकी ओर से अवार्ड प्राप्त करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया. बांग्लादेश को आजादी मिलने पर शेख मुजीबुर रहमान ने कहा था कि भारतीय सैनिकों ने हमारे लिए अपना खून बहाया, उसे हमारे लोग हमेशा याद रखेंगे.

भारत और बांग्लादेश न सिर्फ सीमा, बल्कि सामाजिक, सांस्कृति और आध्यात्मिक स्तर पर भी जुड़े हुए हैं. बांग्लादेश की स्वतंत्रता ने साबित कर दिया कि एक राष्ट्र धर्म से अधिक भाषा के स्तर पर जुड़े होते हैं. 'अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा डे' बांग्लादेश की उत्पत्ति की प्रेरणा है. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंगर ने भले ही बांग्लादेश का 'बास्केट केस' कहकर मजाक उड़ाया हो, लेकिन आज की तारीख में यह पाकिस्तान के मुकाबले विकास के हर सूचकांक में आगे है. यह सचमुच में बांग्लादेश की स्वर्ण जयंती का वर्ष है.

1975 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने भारत-बांग्लादेश संधि पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव आए. शरणार्थियों और पानी के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी. हालांकि सीमा, सीमा के जरिए अवैध आवाजाही, भारत विरोधी कैंप, भारत के खिलाफ कुप्रचार जैसे मुद्दों की वजह से भी दोनों देशों के बीच रिश्ते तनाव ग्रस्त रहे. लेकिन जैसे-जैसे बांग्लादेश में प्रजातंत्र ने अपनी स्थिति मजबूत की, दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होते चले गए. गलतफहमियां दूर होती गईं. 2015 में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद खत्म हो गया. 10 साल पहले तीस्ता नदी पर हुए समझौतों को अगर पटरी पर लाया जाए, तो सचमुच एक नया इतिहास लिखा जा सकेगा.

1980 की शुरुआत के बाद से बांग्लादेश के आर्थिक विकास की गाड़ी गति पकड़ने लगी थी. प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह भारत के करीब आने लगा. बांग्लादेश के औद्योगिक विकास की कहानी चौंकाने वाली है. 40 साल पहले बांग्लादेश की जीडीपी में कृषि की भागीदारी 33.2 फीसदी थी. अब कृषि का योगदान 14.2 फीसदी, जबकि उद्योग का योगदान 36.6 फीसदी है. विकास नीति पर बनी संयुक्त राष्ट्र की कमेटी ने बांग्लादेश को सबसे कम विकसित देशों की सूची से बाहर कर विकासशील देशों की सूची में दर्ज करने की अनुशंसा की है. अगर यह अनुशंसा पारित हो जाती है तो बांग्लादेश अग्रणी देशों के साथ व्यापार कर सकेगा. उसे ड्यूटी और एक्सपोर्ट कोटा जैसी शर्तों के बारे में सोचना नहीं होगा.

बांग्लादेश को अपने उत्पाद का 97 फीसदी निर्यात चीन के साथ करने की इजाजत मिली है. उस पर कोई ड्यूटी नहीं लगेगा. चीन ने कहा कि इससे बांग्लादेश 140 मि.डॉलर कमा सकेगा.

भारत के चारों ओर जितने भी पड़ोसी देश हैं, चीन ने एक तरीके से उन्हें अपने प्रभाव में कर रखा है. बांग्लादेश भी उनमें से एक है. पीएम मोदी इस चक्र को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लुक ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी इसी का नतीजा है. बांग्लादेश से संबंध बेहतर करने के लिए पीएम मोदी ने कई योजनाओं को हरी झंडी दी है. भारत ने कोरोना वैक्सीन के मामले में भी बांग्लादेश को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है. भारत न सिर्फ ढाका, बल्कि म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम से भी अपने संबंध मजबूत कर रहा है. जाहिर है, बांग्लादेश के साथ संबंधों को और अधिक मजबूत करना भारत के हित में होगा, वह भी ऐसे समय में जबकि बांग्लादेश दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो सबसे अधिक गति से आर्थिक विकास में आगे बढ़ रहा हो.

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