नई दिल्ली : कोरोना काल में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री में बढ़ोतरी के कारण सेमीकंडक्टर की मांग काफी बढ़ गई. देश में चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत ने ताइवान के साथ बातचीत शुरू की है. भारत-ताइवान चिप मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश को लेकर बातचीत कर रहे हैं. माना जा रहा है कि चिप मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश को लेकर भारत और ताइवान के बीच आने वाले दिनों में समझौता हो सकती है, जिसके तहत भारत में चिप का उत्पादन किया जाएगा.
इसकी बड़ी वजह यह है कि बड़े बाजार को देखते हुए ताइवान की कंपनियां भारत में चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करना चाहती हैं और यहां से उत्पादित चिप को दूसरे देशों में निर्यात की योजना भी बना रही हैं. भारत सरकार भी ताइवान की कंपनियों को चिप मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए कर छूट के साथ अन्य सहूलियत भी देने को तैयार है.
सूत्रों के मुताबिक ताइवान ने चिप प्लांट लगाने से पहले भारत को अपनी जरूरतें बताई हैं और संबंधित कमियों को दूर करने का आग्रह किया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) भारत में चिप प्लांट के लिए 7.5 अरब डॉलर (करीब 55.23 हजार करोड़ रुपये) का निवेश कर सकती है, इसमें 5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक के कंपोनेंट शामिल होंगे.
TSMC दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी मानी जाती है, जो Qualcomm, Nivdia और Apple जैसी कंपनियां को चिप की सप्लाई करती है. चिप निर्माण में TSMC की हिस्सेदारी 56 फीसदी है.
क्वॉड की बैठक में चिप की कमी पर चर्चा
बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चिप की सप्लाई चेन को बढ़ाने के लिए क्वॉड मीटिंग में इस मुद्दे को उठाया था. क्वॉड मीटिंग में भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी चिप की समस्या के मुद्दे पर चर्चा की थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे पर आईटी क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की थी. माना जा रहा है कि इस बैठक में चिप की सप्लाई को लेकर चर्चा हुई थी. पीएम मोदी ने सेमीकंडक्टर और वायरलेस टेक्नोलॉजी निर्माता कंपनी क्वालकॉम (Qualcomm), सॉफ्टवेयर कंपनी एडोब (Adobe), अक्षय ऊर्जा कंपनी फर्स्ट सोलर (First Solar), ड्रोन तकनीक में माहिर जनरल एटॉमिक्स (General Atomics) और निवेश प्रबंधन कंपनी ब्लैकस्टोन (Blackstone) के सीईओ के साथ मुलाकात की थी.
बता दें कि भारत साल में 24 बिलियन डॉलर मूल्य के सेमीकंडक्टर आयात करता है, जो साल 2025 तक लगभग 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल
सेमीकंडक्टर चिप के बिना इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और गैजेट्स चल नहीं सकते. सेमीकंडक्टर चिप सिलिकॉन से बनते हैं. इन्हें माइक्रोसर्किट्स में फिट किया जाता है. कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर व तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सेमीकंडक्टर के बिना अधूरे हैं.
ये सेमीकंडक्टर गैजेट्स को संचालित करते हैं. सेमीकंडक्टर हाई-एंड कंप्यूटिंग, ऑपरेशन कंट्रोल, डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, इनपुट और आउटपुट मैनेजमेंट, सेंसिंग, वायरलेस कनेक्टिविटी और कई अन्य कामों में मदद करते हैं. ये चिप्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड वायरलेस नेटवर्क्स, ब्लॉकचेन एप्लिकेशंस, 5G, ड्रोन, रोबोटिक्स, गेमिंग और वियरेबल्स का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं.
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