चंडीगढ़: हरियाणा में मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. क्योंकि हरियाणा के तीन हजार से ज्यादा डॉक्टर फिर हड़ताल पर चले गये हैं. सरकारी अस्पतालों में न तो ओपीडी खुलेगी और न ही ऑपरेशन होंगे. सरकार से देर रात तक चली वार्ता के बाद इमरजेंसी सेवा बंद नहीं करने पर सहमति बनी.
फिर हड़ताल पर गए डॉक्टर: हरियाणा के सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं होने वाला है. हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMS) के बैनर तले 3000 से अधिक डॉक्टर आज से फिर हड़ताल पर चले गये हैं. सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर आज न तो ओपीडी में बैठेंगे और न ही ऑपरेशन करेंगे. दो दिन पहले 27 दिसंबर को भी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा बंद कर दी थी. लिहाजा मरीज इलाज के लिए भटकने को मजबूर हो गये थे.
इन सेवाओं पर भी पड़ेगा असर: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अन्य सेवाओं पर भी असर पड़ेगा. अस्पताल में आज पोस्टमार्टम, एमएलआर, ओपीडी, आईपीडी, वीआईपी ड्यूटी और जेल ड्यूटी जैसी सेवाएं भी बंद रहेगी. यहां तक कि विभिन्न प्रकार के मेडिकल टेस्ट भी नहीं किए जाएंगे.
सिर्फ इमरजेंसी सेवा उपल्बध रहेगी: मरीजों के लिए राहत की बात सिर्फ ये है कि डॉक्टर इमरजेंसी सेवा खुली रखने पर राजी हो गये हैं. पहले इमरजेंसी सेवा बंद करने की भी हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने घोषणा की थी. देर रात डीजी हेल्थ डॉ. आरएस पुनिया और HCMS के प्रतिनिधियों के बीच मीटिंग के बाद इमरजेंसी सेवा को चालू रखने पर सहमति बनी.
समाधान निकलने की उम्मीद: हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने उम्मीद जताई है कि रविवार तक समस्या का समाधान निकल आएगा. हड़ताल को लेकर देर रात तक मीटिंग का दौर जारी रहा. आज दोपहर बाद एसोसिएशन के अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य मंत्री की बैठक होने वाली है.
क्या है डॉक्टरों की मांग: HCMS अध्यक्ष डॉक्टर राजेश ख्यालिया के अनुसार डॉक्टरों की सभी मुख्य चार मांगें दो साल पुरानी है. दो साल से कोई नई मांग शामिल नहीं की गई है. इनकी मांग है कि डॉक्टरों के लिए एक विशेषज्ञ कैडर का गठन हो, गतिशील सुनिश्चित कैरियर प्रगति (ACP) योजना लागू हो, SMO की सीधी भर्ती पर तुरंत रोक लगाई जाए और पीजी के लिए बॉन्ड राशि 1 करोड़ से घटा कर 50 लाख किया जाए.
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